गुजरात में दुखद हादसा : नदी पर पुल टूटा, सैकड़ों लोग गिरे, 141, 100 से ज्यादा लापता, 70 घायल

अहमदाबाद। गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी के ऊपर अंग्रेजों के जमाने से बना पुल रविवार शाम को टूट गया। जिस कारण सैकड़ों लोग नदी में जा गिरे। हादसे में मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक 141 की मौत की खबर सामने आई है, जिनमें बहुत संख्या में बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। भाजपा सांसद मोहन कुंडारिया के परिवार के भी 12 सदस्य शामिल हैं।

जबकि 70 लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। अभी तक 100 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं। इस दुखद हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान सहित कई नेताओं ने ट्वीट कर शोक जताया है। गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल मोरबी के लिए रवाना हो गए हैं। खबर आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मोरबी पहुंचेंगे। साथ ही रेस्क्यू के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें लगाई गई हैं।

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इसके अलावा कच्छ और राजकोट से गोताखारों को और दमकल टीमों को मौके पर रवाना किया गया है। कंट्रोल रूम बनाया गया है और हेल्पलाइन नंबर 02822243300 भी जारी कर दिए गए है। हादसे का कारण है बताया जा रहा है कि 100 लोगों की कैपेसिटी वाले पुल पर करीब 400 से ज्यादा लोग एक साथ सवार हो गए थे, जिस कारण या पुल टूट गया।

आपको बता दें कि 6 महीने सही है पुल बंद था और हाल ही में इसकी 2 करोड रुपए की लागत से मरम्मत का कार्य पूरा हुआ था। दिवाली से 1 दिन पहले ही आम लोगों के लिए इसको खोला गया था। रविवार को छुट्टी थी जिस कारण 400-500 लोग इस पुल पर जमा थे, यह वजन सह नहीं पाया और टूट गया। भाजपा सांसद मोहन कुंडालिया ने बताया कि जिस जगह से पुल टूटा वहां पर पानी 15 फीट गहरा था। गुजरात सरकार ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये की सहायता देने का ऐलान किया है। राहत और बचाव कार्य जारी है।

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अंग्रेजों के जमाने में बना था पुल

मोरबी में मच्छु नदी के ऊपर बनाया गया यह पुल अंग्रेजों द्वारा 140 साल पहले बनाया गया था। इसकी लंबाई 765 फीट है और यह सस्पेंशन ब्रिज सिर्फ गुजरात ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है। इस पुल का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेंपल ने किया था। उस समय स्कूल पर 3.5 लाख रुपये की लागत आई थी और यह पुल 1880 में बनकर तैयार हुआ था। इस पुल को बनाने के लिए सारा सामान इंग्लैंड से ही मंगवाया गया था। समय-समय पर इस पुल की रिनोवेशन करवाई जाती रही है और दिवाली से पहले ही मरम्मत का कार्य पूरा होने पर इसे खोला गया था।

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