Farming

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This village of Sirsa is smelling of fennel fragrance

Sirsa News : सौंफ की खुश्बू से महक रहा सिरसा का ये गांव

Sirsa News : हरियाणा के सिरसा जिले में एक मात्र ऐसा किसान जो आर्गेनिक सौंफ की खेती करके लाखों रुपए कमा रहा है। गांव जोड़कियां का किसान सतबीर देहड़ू, यूट्यूब पर वीडियो देखकर सौंफ की खेती करने का मन बनाया।

 

सौंफ खेती के लिए यूट्यूब पर वीडियो देखकर सतबीर ने कई तरीके अपनाए। इस खेती के बारे में उसने सर्च किया तो खेती की आमदनी से वह बहुत प्रभावित हुआ। आखिरकार उन्होने, अक्टूबर 2023 में सौंफ की खेती शुरू कर दी। सबसे पहले वह जोधपुर से सौंफ का बीज लेकर आया। सतबीर को सौंफ की खेती करने के लिए, एक किले में करीब 800 ग्राम बीज की जरुरत होती है।

 

 

कैसे होती है सौंफ की खेती ? 

बता देें कि, इस फसल को पककर तैयार होने में करीब 150-180 दिन का समय लगता है। किसान सतबीर ने बताया कि, बाजार में सौंफ की अच्छी खासी मांग है। एक किले में करीब 8 से 10 क्विंटल तक फसल हो जाती है और इसका बाजार में दाम 18 से 20 हजार रूपए प्रति क्विंटल सामान्य तौर पर रहता है। किसान का कहना है कि, उसने एक किले से 2 लाख रुपए की फसल तक का फायदा मिला है।

उन्होंने बताया कि, सौंफ की खेती बहुत ही ज्यादा मुनाफा कमाने वाली खेती है, पर इसके बारे में किसानों को ज्यादातर सूचना नहीं होती, इसलिए किसान पारम्परिक खेती पर निर्भर रहते हैं। जबकी, सौंफ की खेती के लिए मीेठे पानी की जरुरत होती है। ऐसे में फसल के लिए किसान सतबीर ने खेत में पानी की डिग्गी का निर्माण करवाया। इस प्रकार सौंफ की फसल तीन सिंचाई में पककर तैयार हो जाती है और इसकी कटाई लगभग अप्रैल माह में हो जाती है।

सरकार से लगाई गुहार

किसान ने बताया कि, सौंफ की पैदावार तो अच्छी होती है, पर मंडी नजदीक नहीं होने की वजह से हमें फसल को जोधपुर लेकर जाना पड़ता है। ऐसे में फसल मंडी तक लेकर जाने में हमें अधिक व्यय करना पड़ता है। किसान ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि, सरकार द्वारा किसान की परम्परागत खेती छोड़ आधुनिक खेती की ओर अग्रसर करने के लिए अनुुदान देना चाहिए।

सौंफ के खेती के लिए स्प्रे एवं उर्वरक की जरुरत नहीं

गांव जोड़कियां (Sirsa News) निवासी सतबीर ने बताया कि, सौंफ की खेती आर्गेनिक तरीके से होती है। इसमें किसी भी प्रकार की स्प्रे और उर्वरक की जरूरत नहीं होती। आर्गेनिक तरीके से तैयार सौंफ लोगों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है, इसी कारण ज्यादा लोग आर्गेनिक खाद्य पदार्थों की तरफ आकर्षित हो रहे है।

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Cotton sowing work has started, farmers are getting disillusioned every year due to the outbreak of pink bollworm, Agriculture Department gave this advice

Haryana Agriculture news : कपास की बिजाई का काम शुरू, हर साल गुलाबी सुंडी के प्रकोप के कारण हो रहा किसानों का मोह भंग, कृषि विभाग ने दी ये सलाह

Haryana Agriculture news : कपास की बिजाई 15 अप्रैल से शुरू हो चुकी है। जिले में पिछले कुछ साल में गुलाबी सुंडी के प्रकोप के कारण कपास की फसल का रकबा लगातार घट रहा है। जिसके चलते धान का रकबा बढ़ रहा है, जिससे भूमिगत जल का भी दोहन बढ़ रहा है। सरकार और कृषि विभाग भूमिगत जल (Haryana Agriculture news) के दोहन को रोकने के लिए धान की बजाय कम सिंचाई में तैयार होने वाली फसलों पर जोर दे रहे हैं।

 

 

 

कपास की फसल में गुलाबी सुंडी और सफेद मक्खी के प्रकोप

कपास खरीफ की मुख्य फसल है। जिले में कुछ साल पहले तक 70 हजार हैक्टेयर से ज्यादा में कपास की फसल होती थी। लेकिन जुलाना, पिल्लूखेड़ा में भूमिगत जल स्तर ज्यादा आने की वजह से कपास की पैदावार बंद हो गई। एेसे में इन क्षेत्र के किसानों ने धान की खेती शुरू कर दी। वहीं कुछ साल पहले कपास की फसल में गुलाबी सुंडी और सफेद मक्खी के प्रकोप से जींद जिले के साथ-साथ अन्य जिलों में भी कपास का उत्पादन घट गया।

जिससे किसानों का कपास की खेती से मोह भंग होने लगा। जींद जिले (Haryana Agriculture news) में पिछले साल 27 हजार हैक्टेयर में ही कपास की फसल थी। वहीं साल 2022 में तो महज 16 हजार हैक्टेयर में ही कपास की फसल बची थी। उस समय गुलाबी सुंडी के कारण कपास की बिजाई कम हुई थी।

वहीं जुलाई में हुई भारी वर्षा के कारण हजारों एकड़ फसल खराब हो गई थी। धान की तुलना में कपास की फसल में पानी की लागत कम है। ऐसे में कृषि विभाग दोबारा कपास का रकबा बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। जहां सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता कम है, उन क्षेत्रों में कपास की बिजाई के लिए कृषि विभाग किसानों (Haryana Agriculture news) को जागरूक कर रहा है। वहीं गुलाबी सुंडी का प्रभाव कम से कम हो, इसके लिए खेतों में रखे कपास की फसल के अवशेष उठाने की किसानों को हिदायत दी है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल जो गुलाबी सुंडी कपास के टिंडे में रह गई थी, वो फसल अवशेष के अंदर जीवित हो सकती है। जिससे दोबारा कपास की फसल में जाकर नुकसान पहुंचाएगी। वहीं जिले में काटन व बिनौला मिल में बड़ी मात्रा में गुजरात से बिनौला आता है। जिसमें भी गुलाबी सुंडी हो सकती है। इसलिए कृषि अधिकारी मिल का निरीक्षण कर संचालकों को कपास व बिनौले को ढक कर रखने के निर्देश दे रहे हैं।

 

 

 

तीन साल पहले पालवां से गुलाबी सुंडी का हुआ फैलाव शुरू

कृषि विभाग के अनुसार जिले में गुलाबी सुंडी की शुरुआत पालवां गांव (Haryana Agriculture news) से हुई। पालवां गांव में काटन व बिनौला मिल हैं। जहां गुजरात से बिनौला आता है। ऐसा माना जाता है कि इसी बिनौले में गुजरात से गुलाबी सुंडी पालवां गांव में पहुंची। जहां बाकी क्षेत्र में इसका फैलाव हो गया।

गुलाबी सुंडी टिंडे के अंदर बिनौले का रस चूस लेती है। महंगे से महंगी और तेज प्रभाव वाली दवाइयों का स्प्रे करने के बावजूद गुलाबी सुंडी नियंत्रण में नहीं आती है। ऐसे में इसके शुरुआत में ही फैलाव को रोकना ही बड़ा बचाव है।

 

 

 

प्रमाणित बीज खरीदें और पक्का बिल लें किसान

जिला कृषि उप निदेशक डा. गिरिश नागपाल ने बताया कि गुलाबी सुंडी के प्रकोप की वजह से पिछले कुछ साल में जिले में कपास का रकबा घटा है। दोबारा कपास का रकबा बढ़ाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। गुलाबी सुंडी के फैलाव को कैसे रोका जा सकता है, इसके बारे में किसानों को बताया जा रहा है।

खेत में पड़े कपास के पिछले साल के फसल अवशेष को हटवाया जा रहा है। इस बार कपास का रकबा बढ़ने की उम्मीद है। किसान किसी दुकानदार या डीलर (Haryana Agriculture news) के बहकावे में आकर महंगे बीज ना खरीदें। प्रमाणित बीज खरीदें और पक्का बिल लें। बिजाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार करें।

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PM Kisan Samman Nidhi Yojana 2024 : पीएम किसान सामान निधि योजना पोर्टल दुबारा से नए सिरे से खुला, अब किसान उठा सकते है योजना का लाभ

PM Kisan Samman Nidhi Yojana 2024 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा देश के किसानों के लिए 24 फरवरी 2019 को पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की गई थी| केंद्र सरकार द्वारा किसानों के कल्याण के लिए शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना को भारत सरकार द्वारा 2019 में शुरू किया गया था। इस योजना के तहत प्रत्येक किसान को सालाना ₹6000 की सहायता राशि दी जाती है। (PM Kisan Samman Nidhi Yojana 2024) की तहत लाभार्थी किसानों को ₹6000 की सहायता राशि 3 किस्तों में 3 महीने के अंतराल में जारी की जाती है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा अब तक 16 किस्तों का भुगतान किया जा चुका है।

 

पीएम किसान सम्मान निधि योजना के बारे में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा देश के किसानों के लिए 24 फरवरी 2019 को पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana 2024) की शुरुआत की गई थी। इस योजना के तहत किसानों को सालाना ₹6000 की सहायता राशि दी जाती है। अब तक लाभार्थी किसानों को इस योजना के तहत 16 किस्तें मिल चुकी हैं। अभी पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 17वीं किस्त का स्थानांतरण जून जुलाई में किया जाना है। अगर आप एक नए किसान है और अपने इस योजना के तहत अभी तक पंजीकरण नहीं करवाया है, तो अभी से करवा ले ताकि आपको आने वाली 17वीं किस्त का लाभ मिल सके।

 

पीएम किसान सम्मान निधि योजना पंजीकरण 2024

योजना का नाम प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana 2024)
किसने शुरू की पीएम नरेंद्र मोदी  ने
लाभार्थी देश के किसान
उद्देश्य किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करना
आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन
आधिकारिक वेबसाइट pmkisan.gov.in

पीएम किसान सम्मान निधि योजना पंजीकरण नियम एवं शर्तें

  • आवेदन किसान की जमीन की रजिस्ट्री 1 फरवरी 2019 से पहले की होनी चाहिए। अगर मृत्यु के पश्चात आपके नाम जमीन हो जाती है तो ऐसे में 1 फरवरी 2019 का नियम लागू नहीं होगा।
  • अगर कोई किसान आइटीआर (ITR) भर रहा है तो उसे इस योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana 2024) का लाभ नहीं दिया जाएगा।
  • परिवार में से कोई एक सदस्य ही इस योजना का लाभ ले सकता है।
  • आवेदक किसान की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  • आवेदक किसान का बैंक खाते के साथ डीबीटी एक्टिवेट होना चाहिए।
  • अभी तक किसान की वार्षिक आय 6 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।

आवश्यक दस्तावेज

  • आधार कार्ड
  • बैंक खाता
  • राशन कार्ड
  • फर्द (6 महीने से पुरानी नहीं होनी चाहिए)
  • इंतकाल
  • मेरी फसल मेरा ब्यौरा पंजीकरण संख्या (केवल हरियाणा वालों के लिए)
  • अगर आवेदक विवाहित है तो पत्नी का आधार कार्ड साथ लगाना आवश्यक है।
  • अगर विवाहित हैं और बच्चे 18 साल से कम आयु के हैं तो सभी बच्चों के आधार कार्ड लगेंगे।

कैसे करें ऑनलाइन आवेदन ?

  • सबसे पहले आप पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Yojana) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं
  • इसके बाद आप होम पेज पर New Farmer Registration के ऑप्शन पर क्लिक करें।
  • इसके बाद अब आपके सामने एक नया पेज आ जाएगा।
  • इसके बाद आप अब किसान आवेदक शहरी क्षेत्र से है या ग्रामीण क्षेत्र से है उसका चयन करें
  • अब इसके बाद आप किसान का आधार नंबर दर्ज करें| आधार से लिंक मोबाइल नंबर दर्ज करें।
  • इसके बाद आप अब अपने राज्य का चयन करें और कैप्चा कोड दर्ज कर GET OTP के ऑप्शन पर क्लिक करें।
  • इसके बाद आप अब आधार से लिंक नंबर पर ओटीपी आएगा ओटीपी दर्ज कर सत्यापित करें।
  • अब इसके बाद आपके सामने आवेदन फॉर्म आ जाएगा।
  • इसके बाद आप आवेदन फार्म भी मांगी की जानकारी जैसे किसान का नाम, पता, भूमि संबंधी जानकारी, खसरा संख्या, खतौनी नंबर आदि दर्ज करें।
  • इसके बाद आप अब आवश्यक दस्तावेजों को अपलोड कर दें।
  • अब इसके बाद आप अंत में सबमिट के अवसर पर क्लिक कर दें।
  • इस प्रकार से आप पीएम किसान समान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana 2024) के तहत ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

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Farmer Successes Story : यूट्यूब से खेती सीखकर एक गरीब किसान का बेटा बना करोड़पति, आए जानें सक्सेस स्टोरी

Farmer Successes Story : डिजिटल तकनीक ने दुनिया भर में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत किया है और इसका महत्व दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इसी प्रकार डिजिटल इंडिया का मंत्र हर क्षेत्र में बदलाव ला रहा है और अब इसका असर कृषि क्षेत्र में भी दिखने लगा है।

कहानी मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के एक किसान की है, जिसने फसल उत्पादन में सुधार के लिए आधुनिक तकनीक अपनाई। इस प्रकार आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे किसान की सफलता (Farmer Successes Story ) की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने डिजिटल क्रांति का फायदा उठाया और अब हर साल बंपर मुनाफा कमा रहे हैं।

 

किसान ने यूट्यूब से सहजन की खेती सीखी

एमपी के खरगोन जिला निवासी 46 वर्षीय किसान अनिल वर्मा (Farmer Successes Story ) आज अपने आसपास के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। अनिल खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव रायबिदपुरा में रहते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि, अनिल वर्मा ने यूट्यूब से मिले ज्ञान की मदद से सहजन की खेती शुरू की और अब हर तीन साल में 6 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। लेकिन इस मुनाफ़े को कमाने के लिए उन्होंने नए ज़माने की तकनीक और टेलीमैटिक्स को अपनाया।

 

लॉकडाउन के दौरान अनिल का बढ़ा टेक्नोलॉजी की तरफ रुचान

बता दें की, अनिल एक बेहद साधारण किसान थे लेकिन आज वह एक टेक सेवी (प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ) बन गए हैं। चार साल पहले, जब देश में कोविड-19 के कारण तालाबंदी हुई, तो इस दौरान अनिल का तकनीक की तरफ रुचान बढ़ा। ऐसे में अनिल को सबसे पहले सहजन के बीज और फलियों के बारे में जानकारी पहले लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र के एक किसान से मिली।

इसके बाद उन्होंने यूट्यूब पर इस फसल के बारे में जानकारी जुटाई, इसी समय इसकी खेती में उनकी रुचि बढ़ने लगी। वह वर्ष 2019 में मनरेगा से जुड़े और अब तक पांच फसलों से लाभान्वित (Farmer Successes Story ) हो चुके हैं। छठी फसल काटने के लिए भी तैयार हैं। इससे उन्हें अब तक 6 लाख रुपये तक का मुनाफा हो चुका है।

 

सहजन की खेती और फायदे अनेक

आधुनिक सहजन की खेती की मदद से वे अब आंतरिक फसल को भी बढ़ावा दे रहे हैं। अनिल ने ग्रेजुएशन (Farmer Successes Story ) किया है। पढ़ाई पूरी करने के बाद खेती करने वाले अनिल ने हमेशा कुछ नया करने की चाहत में कई नई तरह की तकनीकें सीखीं। उनका कहना है कि, सहजन या मोरिंगा की देश के साथ-साथ विदेशों में भी अच्छी मांग है।

पौष्टिक होने के साथ-साथ आयुर्वेद में इसका बहुत महत्व है। इसमें दूध से चार गुना अधिक पोटैशियम, सात गुना अधिक कैल्शियम और संतरे से सात गुना अधिक विटामिन होते हैं।

 

पत्ती पाउडर का व्यापार

अनिल अब इसकी पत्तियों का पाउडर बनाकर उचित मात्रा में गेहूं के आटे में मिलाकर व्यवसाय कर रहे हैं। यह चूर्ण बच्चों में हड्डियों के रोग और कुपोषण को दूर करने में सहायक है।

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Anaaj Mandi rate update : राजस्थान और हरियाणा की मंडियों के ताजा भाव, कहां सबसे महंगी सरसों और ग्वार मिलेगी , आये जानें

Anaaj Mandi rate update : रायसिंहनगर अनाज मंडी अपडेट

ग्वार अराइवल 40 क्विंटल भाव 4950 से 5050 रुपये, जौ अराइवल 15,000 क्विंटल भाव 1625 से 1670 रुपये, चना अराइवल 1500 क्विंटल भाव 5700 से 5885 रुपये प्रति क्विंटल का रहा।

 

श्री गंगानगर मंडी का रेट

श्री गंगानगर मंडी का रेट 12/04/2024 : सरसों 3950-4966 रुपये, जौ 1575-1811 रुपये, ग्वार 4535-4647 रुपये, चना 5681-5926 रुपये, गेहूं 2101-2406 रुपये/क्विंटल के रहे।

 

नोहर अनाज मंडी के भाव (Anaaj Mandi rate update )

नोहर अनाज मंडी के भाव 12 अप्रैल 2024 : ग्वार 5080-5200 रुपये, चना 5770-6000 रुपये, अरंडी 5000-5665 रुपये, सरसों 4600-4900 रुपये, जौ 1400-1750 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका।

 

श्री विजयनगर मंडी के भाव

श्री विजयनगर मंडी 12 अप्रैल 2024 : सरसों 4294-4839 रुपये, जौ 1650-1717 रुपये, गेंहू 2314-2447 रुपये, ग्वार 4600-4811 रुपये, चना 5401-5671 रुपये प्रति क्विंटल बिका।

 

संगरिया कृषि उपज मंडी समिति के भाव

संगरिया कृषि उपज मंडी समिति दिनांक 12.04.2024: ग्वार 4871 से 4991 रुपये, जौ 1300 से 1731 रुपये, सरसो 4340 से 4882 रुपये प्रति क्विंटल का दर्ज किया गया।

 

सरदारशहर मंडी के भाव

सरदारशहर मंडी भाव 12/04/2024: सरसो 38 lab 4500-4625 रुपये, 40 lab 4650- 4750 रुपये, ईसबगोल 10000-11500 रुपये, जौ 1600-1725 रुपये, ग्वार 5000-5150 रुपये, गेहूं 2300-2450 रुपये, चुगा 5000-5500 रुपये, मुंगफली खळा 4500-5500 रुपये, मोठ 5400-5901 रुपये, मूंग 7500-8501 रुपये, चणा 5500-5750 रुपये, मेथी 4800-5300 रुपये, जीरा 19000-21000 रुपये प्रति क्विंटल के रहे।

 

आदमपुर अनाज मंडी के भाव (Anaaj Mandi rate update )

आदमपुर अनाज मंडी का भाव 12/04/2024: सरसों बोली (Leb 42.25 + 5.50) 5025 रुपये, ग्वार 4600-5136 रुपये, नरमा 6001-6826 रुपये, चना 5640-5862 रुपये, जौ 1300-1786 रुपये प्रति क्विंटल का बोला गया।

 

ऐलनाबाद मंडी के भाव

ऐलनाबाद मंडी भाव 12 अप्रैल 2024 : नरमा 6401-6850 रुपये, सरसों 4400-5080 रुपये, गुवार 4700-4950 रुपये, चना 5800-5900 रुपये, जौ 1300-1750 रुपये प्रति क्विंटल।

 

फतेहाबाद मंडी के रेट

फतेहाबाद मंडी का रेट 12 अप्रैल 2024 : जो भाव 1800 रुपये, सरसों भाव 4800 रुपये, नरमा 6000 से 6800 रुपये, कपास 6300 रुपये/क्विंटल।

 

बरवाला मंडी के भाव

बरवाला मंडी भाव 12-04-2024: जौ भाव 1791 रुपये, नरमा 6900 रुपये प्रति क्विंटल का रहा।

 

सिरसा अनाज मंडी के भाव

सिरसा अनाज मंडी भाव 12–04-2024: नरमा भाव 5500-6900 रुपए, कपास भाव 6200-6580 रुपए, गेहूं भाव 2200-2235 रुपए (Pvt.), गेहूं भाव 2275 रुपए (Govt.) जौ भाव 1500-1700 रुपए, PB-1 धान भाव 3400-3700 रुपए, 1401 धान भाव 3800-4200 रुपए प्रति क्विंटल के रहे।

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गुलाबी सुंडी व अन्य रोगों को लेकर नरमा उत्पादक किसानों को हकृवि की एडवाइजरी

फतेहाबाद। चौधरी चरण ङ्क्षसह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा नरमा कपास उत्पादक किसानों के लिए एक अक्टूबर से 15 अक्टूबर की अवधि के लिए जरूरी दिशा निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों में चुगाई, रोग प्रबंधन और कीट प्रबंधन पर विस्तार से जानकारी दी गई है। साथ ही सलाह दी है कि हकृवि के मौसम विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किए जाने वाले मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखकर किसान कीटनाशक व फफूंदनाशकों का प्रयोग करेंं।

कीट प्रबंधन कैसे करें

निर्देशों में कहा गया है कि अक्टूबर के महीने में गुलाबी सुंडी का प्रकोप नरमा की फसल में बढ़ जाता हैें। विशेषकर देर से लगायी गई नरमा फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप ज्यादा होता हैं। पिछले पखवाड़े में किए गए सर्वे में नरमा फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप ज्यादा पाया गया। अत: इस पखवाड़े में अपनी फसल में गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी जरूर करें। इसके लिए सप्ताह में दो बार नरमा फसल मे 100 फूलों का निरक्षण करें।

सप्ताह में एक बार अपनी फसल से 20-25 हरे टिंडे (1 टिंडा एक पौधे से, जो 12-15 दिनों पुराना एवं बड़े आकार का) खेत में अलग अलग जगह से तोड़कर उनको फाड़कर निरीक्षण करें। इसमें से यदि 5-10 फूल गुलाबी सुंडी से ग्रसित मिलते हैं या 20 टिन्डों को फाड़कर देेखने पर 1-2 टिन्डों में जीवित गुलाबी सुंडी मिलती हैं तो कीटनाशक के छिड़काव की आवश्यकता हैं। इसके अलावा गुलाबी सुंडी की निगरानी के लिए 2 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ लगाएं तथा इनमें फंसने वाले गुलाबी सुंडी के पतंगों को 3 दिनों के अंतराल पर गिनती करें।

मध्य अगस्त से अक्टूबर तक यदि इनमें कुल 24 पतंगे प्रति ट्रैप तीन दिन में आते हैं तो कीटनाशक के छिड़काव की आवश्यकता हैं। सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह में हुई बारिश के बाद गुलाबी सुंडी के वयस्क की सँख्या में बढ़ोत्तरी देखी गई है। नरमा की पछेती फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप फलीय भागों पर 5-10 प्रतिशत होने पर एक छिड़काव 80 से 100 मिलीलीटर साइपरमेथ्रिन 25 ई.सी. अथवा 160 से 200 मिलीलीटर डेकामेथरीन 2.8 ई.सी. अथवा 125 मिलीलीटर फेनवलरेट 20 ई.सीे क0 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से करें।

रोग प्रबंधन कैसे करें

कपास के तिड़क रोग से टिंडे ठीक तरह से नहीं खुलते। यह रोग हरियाणा के पश्चिमी इलाकों में कभी कभी लगने लगता है। रेतीली जमीनों में नाइट्रोजन की कमी के कारण कपास के पत्तों का रंग लाल पड जाता है एवम बढ़वार रुक जाती है। फूल तथा टिंडे लगने के समय आवश्यकतानुसार खाद डालने व पानी देने से जमीन के तापमान में कमी आती है और इस रोग की रोकथाम में आसानी होती है। टिंडा गलन रोग पर नियंत्रण के लिए सुंडी नियंत्रण वाली सिफारिश की गयी दवाई के साथ कॉपर ऑक्सिक्लोराइड या बाविस्टिन 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें।

पैराविल्ट के लिए किसान भाई लक्षण दिखाई देते ही 24 से 48 घंटों के अंदर 2 ग्राम कोबाल्ट क्लोराइड 200 लीटर पानी में घोल बनाकर 24 से 48 घंटे में खेत में छिड़काव करें परंतु पौधे सूख जाने पर दवा का असर नहीं होगा। जीवाणु अंगमारी रोग के लिए किसान भाई 6 से 8 ग्राम स्ट्रेप्टोसाक्लीन और 600 से 800 ग्राम
कॉपर ऑक्सिक्लोराइड को 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ 15 से 20 दिन के अंतराल पर दो से तीन छिड़काव करें। जड़ गलन बीमारी से सूखे हुए पौधों को खेत में से उखाड़ कर जमीन में दबा दें, ताकि बीमारियों को आगे बढऩे से रोका जा सके।

इस रोग से प्रभावित पौधों के आसपास स्वस्थ पौधों में 1 मीटर तक कार्बेंडाजिम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर 100 – 200 मिलीलीटर प्रति पौधा जड़ों में डालें। जड़ गलन रोग के लिए दवाई डालते समय किसान भाई पीठ वाले स्प्रे पंप का प्रयोग करते समय मोटे फव्वारे का प्रयोग करके जड़ों के पास इस फफूंदनाशक घोल को डालें।

 

गुलाबी सुंडी व अन्य रोगों को लेकर नरमा उत्पादक किसानों को हकृवि की एडवाइजरी Read More »