Haryana Roadways : हरियाणा रोडवेज में हैप्पी कार्ड की स्कीम सरकार ने आम जनता के हित के लिए शुरुआत की है। इस स्कीम को पिछले महीने आदर्श आचार संहिता से पहले लागू की गई है। हैप्पी कार्ड योजना तहत ई-स्मार्ट कार्ड को एटीएम की तर्ज पर बनाया गया है। जबकी, इस स्मार्ट कार्डों को ई-टिकटिंग मशीनों से जोड़ दिया गया है। ई-टिकटिंग मशीन पर कार्ड का नंबर डालते ही फ्री टिकट काटे जाएंगे।
बता दें कि, कैथल के नए बस स्टैंड (Haryana Roadways) पर दो दिन पहले ही कार्ड देना शुरू किए गए हैं। अब इन सहायता केंद्र पर कार्ड लेने वाले लाभार्थियों की भीड़ लगातार जुट रही है। जबकी, इस स्कीम के अनुसार, पहले मैसज न आने के कारण हैप्पी कार्ड नहीं मिल पा रहे थे। इसके बाद कुछ समय पहले ही लाभार्थियों को कार्ड लेने के लिए मैसज आना शुरू हो गए थे। प्रोसेस में मैसज में स्मार्ट कार्ड को चालू करने के लिए ओटीपी भी भेजे जा रहे हैं।
मोबाइल पर आया ओटीपी कितने दिनों तक रहेगा मान्य ?
हरियाणा रोडवेज (Haryana Roadways) विभाग की ओर से लाभार्थियों के मोबाइल पर आया ओटीपी 30 दिनों के लिए मान्य रहेगा। कैथल नया बस स्टैंड (Haryana Roadways) के बस डिपो के पास काउंटर पर ई-स्मार्ट बनने शुरू हो गए हैं। ई-स्मार्ट कार्ड लेने वाले यात्रियों ने बताया कि, उन्होंने हैप्पी परिवार अंत्योदय योजना के लिए एक महीने पहले योजना के लिए आवेदन किया था।
उसके पास जो पहले मैसज आए थे उस मैसज को निरस्त किया गया था। इसके बाद दोबारा मैसज भेजना शुरू कर दिए गए थे। स्कीम के अनुसार, अभी तक करीब 10 हजार लाभार्थियों के कार्ड के लिए आवेदन किया है। कैथल नया बस अड्डा के ड्यूटी प्रभारी निरंजन सिंह ने बताया कि, लाभार्थियों के पास मैसज आने के बाद ई-स्मार्ट कार्ड को चालू करना शुरू कर दिया गया है। यह एटीएम की तर्ज पर बनाया गया है।
ईतने कि.मी तक यात्रा कर सकते हैं मुफ्त ?
अगर आपने हैप्पी कार्ड बनवा लिया हैं तो, आप इससे हरियाणा रोडवेज (Haryana Roadways) बसों में एक साल में 1000 किलोमीटर तक की यात्रा मुफ्त कर सकते हैं। आप 50 रुपये की फीस जमा कर कार्ड प्राप्त कर सकते हैं।
Diversity Visa 2025 :अमेरिका ने ग्रीन कार्ड लॉटरी रिजल्ट की तारीखों की घोषणा कर दी है। जिसे डायवर्सिटी वीजा (Diversity Visa 2025) के रूप में जाना जाता है। अमेरिकी विदेश विभाग डायवर्सिटी वीजा कार्यक्रम का प्रबंधन करता है। यह कार्यक्रम उन देशों से रेंडमली विजेताओं का चयन करता है, जिनकी अतीत में अमेरिका में इमिग्रेशन रेट कम था और भाग्यशाली विजेताओं को 55,000 तक ग्रीन कार्ड दिए जाते हैं।
एचटी की रिपोर्ट के अनुसार , डायवर्सिटी वीजा-2025 (Diversity Visa 2025) के परिणाम 4 मई को स्थानीय समयानुसार दोपहर 12 बजे से ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। मिंट की रिपोर्ट के अनुसार , अमेरिकी विदेश विभाग 12 मई को ग्रीन कार्ड लॉटरी विजेताओं की घोषणा करेगा।
कैसे चेक करें अपना स्टेटस ?
अमेरिकी विदेश विभाग ने घोषणा के अनुसार, जिन लोगों ने डायवर्सिटी वीजा-2025 (Diversity Visa 2025) कार्यक्रम के लिए आवेदन किया है, वे आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध लिंक पर जाकर अपना कन्फर्मेशन डिटेल दर्ज कर सकते हैं। यह प्रोसेस 4 मई, 2024 को दोपहर (EDT) से शुरू होगी। प्रत्यासियों को सलाह दी गई है कि, उन्हें भविष्य में संदर्भ के लिए अपना कन्फर्मेशन नंबर 30 सितंबर, 2025 तक संभाल कर रखना चाहिए। डायवर्सिटी वीजा-2025 (Diversity Visa 2025) कार्यक्रम के लिए एंट्री पीरियड 4 अक्टूबर, 2023 और 7 नवंबर, 2023 के बीच था।
कार्यक्रम के लिए कौन उम्मीदवार है ?
ग्रीन कार्ड लॉटरी में भाग लेने के लिए आवेदकों को दो मुख्य आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। पहली यह कि आवेदकों का जन्म इस कार्यक्रम के लिए उम्मीदवार देश में हुआ हो। ऑफिशियल डायवर्सिटी वीजा (Diversity Visa 2025) प्रोग्राम वेवसाइट पर जाकर उम्मीदवार देश के बारे में जानकारी जुटाई जा सकती है। दूसरी यह कि आवेदकों के पास या तो हाई स्कूल की डिग्री होनी चाहिए या किसी ऐसे पेशे में पिछले पांच वर्षों में दो साल का कार्य अनुभव होना चाहिए जिसके लिए न्यूनतम दो साल के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
ग्रीन कार्ड के लिए आवेदकों के पास दस्तावेज होना जरूरी है
दो पासपोर्ट साइज फोटो
जन्म प्रमाण पत्र की कॉपी
फॉर्म I-693, मेडिकल जांच की रिपोर्ट और वैक्सीनेशन रिकॉर्ड
गैर-आप्रवासी वीजा के साथ पासपोर्ट पेज की कॉपी (यदि लागू हो)
प्रवेश (प्रवेश) या पैरोल स्टाम्प (यदि लागू हो) के साथ पासपोर्ट पेज की कॉपी
फॉर्म I-94, आगमन/प्रस्थान रिकॉर्ड
अदालती रिकॉर्ड की प्रमाणित प्रतियां (यदि व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है)
डीओएस से डायवर्सिटी वीजा लॉटरी (Diversity Visa 2025) के लिए मुख्य आवेदक के चयन पत्र की कॉपी
डायवर्सिटी वीजा (Diversity Visa 2025) लॉटरी प्रोसेसिंग शुल्क के लिए डीओएस से रसीद की कॉपी
फॉर्म I-601, अस्वीकार्यता के आधार पर छूट के लिए आवेदन (यदि लागू हो)
HBSE Smart Phone : हरियाणा में सरकारी स्कूलों में आई अधिगम के तहत दसवीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्मार्टफोन (HBSE Smart Phone) उपलब्ध कराए जाएंगे पिछले शासन में जो विद्यार्थी इन कक्षाओं में थे। उनसे टैबलेट एकत्रित कर लिए गए हैं।
अब की अधिगम के तहत दसवीं से 12वीं कक्षा को दिए गए टैबलेट (HBSE Smart Phone) सफल में वापस जमा करवा लिए गए हैं, अब विभाग ने सभी टैबलेट को रिसेट करने के आदेश दे दिए हैं।
छात्रों को कब दिए जाएंगे टैबलेट ?
टैबलेट रिसेट होने के बाद 3 मई को सभी छात्रों को वापस टैबलेट (HBSE Smart Phone) दे दिए जाएंगे और 3 मई से पहले सभी टैबलेट को अपडेट करवाना आवश्यक है। वहीं छात्रों को बोला हैं सॉफ्टवेयर का लगातार इस्तेमाल के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए हैं विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को टैबलेट एवं सिम मांग के बारे में निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
जिले में कितने छात्रों को मिलेगा टैबलेट ?
जारी SOP के मुताबिक नई शैक्षणिक सत्र 2024 – 25 के कक्षा दसवीं के विद्यार्थियों को टैबलेट (HBSE Smart Phone) दिया जानना है। ऐसे में अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी राजकीय सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय को निर्देश जारी करने को कहा गया है।
शिक्षा अधिकारियों के मुताबिक जिले में दसवीं से 12वीं के लगभग 16000 विद्यार्थियों को टैबलेट बनते जा चुके हैं। पानीपत की अधिगम नोडल अधिकारी डॉक्टर देवेंद्र दत्त ने कहा कि, विभाग ने टैबलेट बांटने के लिए आदेश जारी कर दिया है। अप्रैल के अंत तक सभी टैबलेट को रिसेट कर दिया जाएगा और 3 मई तक बच्चों को दे दिया जाएगा।
Haryana Agni-veer Riport : जब से केंद्र सरकार ने भारतीय सेना में अग्निपथ योजना लागू कि है, तब से हरियाणा में किशोर एंव युवाओं का सेना के प्रति जोश घट गया है और किसी कारणों से वीजा न मिलने पर डंकी मारकर विदेश पहुँचते हैं। इसी प्रकार हरियाणा के कुछ मशहुर फौजी गांवों से किशोर और युवाओं के पलायन पर एक मीडिया रिपोर्ट ( द वायर ) द्वारा कुछ जमीनी कहानियां तैयार की है। इसी गधांश के माध्यम से इन्ही जमीनी कहानियों में युवाओं की समस्याओं को जानने का प्रयास करेंगे।
पश्चिमी हरियाणा के हिसार ज़िले के बास गांव के निवासी यशपाल मौर्य भावुक हो जाते हैं। उन्होंने अपने बेटे ललित मौर्य को सिर्फ़ 18 साल की उम्र में इस फरवरी विदेश भेज दिया। ललित सेना में जाना चाहते थे, उम्र भी बची थी, लेकिन उनका जुनून खत्म हो चुका था।
यह देश भर के कई गांवों की कहानी है, जिन्हें फौजियों का गांव कहा जाता रहा है। पिछले कई दशकों से यहां के लड़कों के लिए सेना एक जुनून, एक सपना, एक बड़ा करिअर रहा है। इन गांवों से हज़ारों युवकों ने सेना में भर्ती होकर देश की सेवा की है। इन इलाकों की अर्थव्यवस्था और सामाजिक सरंचना को सेना के जीवन ने दिशा दी है, लेकिन अग्निपथ योजना के बाद स्थिति झटके से बदल गई है।
लगभग हर घर से कोई न कोई सेना में, मगर लड़के छोड़ चुके तैयारी
हरियाणा से युवाओं का विदेशों में पलायन कोई नई बात नहीं है। मगर हरियाणा के जींद, हिसार और भिवानी ज़िले के कई गांवों के निवासियों को विदेश ने नहीं लुभाया। आजाद हिंद फौज के समय से यहां के युवा सेना में जाते रहे हैं। बड़ौदा, भोंगरा, करसिंधु और बास जैसे गांवों के प्रवेश-द्वार शहीद सैनिकों के स्मारक दिखाई देते हैं जो भीतर कदम रखने से पहले ही इलाके की कथा सुना देते हैं। दो साल पहले तक इन गांवोंके लड़के दसवीं पास करने के बाद सेना जाना चाहते थे। मगर अग्निपथ योजना आने के बाद यह रिवायत बदलने लगी है।
इन गांवों के सरपंचों के अनुसार बीते दो सालों में एक हजार से भी ज्यादा युवा विदेश चले गए हैं, जिनमें से अधिकांश सेना की तैयारी करते थे। इनके अलावा कई युवा पासपोर्ट बनवाकर वीजा का इंतजार कर रहे हैं या डंकी रूट की तलाश में हैं, यानी देश की सीमाओं को अवैध तरीके से पार करना चाहते हैं। कई सालों से पंजाब और हरियाणा से लोग बड़ी संख्या में जंगल, पहाड़ और नदियों के रास्ते अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अवैध तरीके से पहुंचते रहे हैं।
जींद के भोंगरा गांव के चौक पर दस लोगों के साथ ताश खेल रहे 62 वर्षीय रणवीर सिंह ने गर्व से बताया कि ‘यहां सब फौज में जाते हैं। मैं खुद जाट रेजिमेंट में रहा हूं.‘ उन्होंने चार अन्य लोगों की तरफ इशारा करते हुए बताया कि वे भी सेना में रहे हैं।
अब क्या स्थिति है ?
यह सुनते ही महफिल में निराशा छा जाती है।
रणवीर सिंह बताते हैं कि, दो साल पहले तक यहां दोपहर में भी बच्चे मैदानों और सड़कों पर दौड़ते दिखते थे, अब सुबह-शाम भी कोई नहीं मिलेगा। अब लड़के पासपोर्ट बनवाकर विदेश निकल रहे हैं।
हर दिन वेरिफ़िकेशन के लिए 2-3 पासपोर्ट, बीते दो साल में एक बड़ी खेप जा चुकी है
जींद के बड़ौदा गांव की आबादी 20 हजार से ऊपर है. 50 वर्षीय सरपंच रेशम सिंह बताते हैं कि आजाद हिंद फौज से लेकर अभी तक इस गांव के लगभग एक हजार से भी ज़्यादा निवासी सेना में रह चुके हैं। सेना के प्रति प्रेम के चलते अग्निवीर आने के बाद भी बच्चों ने पैरा-मिलिट्री या हरियाणा पुलिस का विकल्प नहीं चुना।
वह बताते हैं कि उनके पास ‘ रोजाना एक-दो पासपोर्ट वेरिफ़िकेशन के लिए आते हैं। बीते दो सालों में इस गांव से लगभग 500 लड़के विदेश निकल चुके हैं। इनमें बड़ी संख्या सेना भर्तीकी तैयारी करने वाले युवाओं की थी ‘
रेशम सिंह के अनुसार अधिक संख्या डंकी रूट से जाने वालों की होती है। बेरोजगारी को इसका कारण बताते हुए वे कहते हैं कि ‘अगर नहीं जाएंगे तो यहीं भूखे मरेंगे ‘
बास गांव के बादशाहपुर पंचायत की सरपंच ज्योति मौर्य बताती हैं, ‘ सेना में किसान मजदूर परिवार के बच्चे जाते हैं. दसवीं के बाद यह एक अच्छी नौकरी थी। अब ये क्या करेंगे? सिर्फ मेरी पंचायत से अब तक 30 बच्चे विदेश निकल चुके होंगे ‘
लगभग 35 हज़ार से ऊपर की आबादी वाले बास गांव में लगभग 3 हज़ार लोग सेना में अपनी सेवाएं दे चुके या दे रहे हैं. इस गांव से बड़े अधिकारी भी सेना में रहे हैं। मगर अब यहां स्थिति बदल गई है।
तलवार सिंह के दोनों बेटे सेना की तैयारी करते थे। अग्निवीर का भी फॉर्म डाला था लेकिन तलवार सिंह ने खुद मना कर दिया। फिर दोनों अमेरिका चले गए. आज उनका बड़ा बेटा वहां ट्रक ड्राइवर है और छोटा दिहाड़ी मजदूरी करता है। जब उनसे पूछा कि इतनी जल्दी कैसे वीजा मिल गया, वह मुस्कुराकर बोले, ‘ पता लगा लो कैसे गया होगा ! ‘
स्पष्ट है कि जो लड़के कभी सेना में जाना चाहते थे, आज डंकी रूट से विदेश जा रहे हैं।
हालांकि, द वायर से बात करते हुए जींद के डिप्टी कमिश्नर ने इसे सिरे से नकार दिया। ‘मेरे पास ऐसी कोई जानकारी या शिकायत नहीं आई है, कि किसी स्कीम की वजह से युवा विदेशों में पलायन कर रहे हैं. यह बिल्कुल आधारहीन बात है. हमारे पास इसका कोई भी डेटा उपलब्ध नहीं है। इसलिए इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा. यहां से युवाओं में पहले से ही विदेश जाने की दिलचस्पी रही है। इसलिए ये नहीं कह सकते कि अग्निवीर की वजह से ही ऐसा है,’ जींद के डिप्टी कमिश्नर मो. इमरान रज़ा ने कहा।
इसके विपरीत हिसार के डिप्टी कमिश्नर प्रदीप दहिया संकेत देते हैं कि ये युवक पलायन कर रहे हैं. ‘मैंने हाल ही अपना प्रभार संभाला है, तो इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. न ही कभी किसी फोरम पर हमसे ये चीज़ें डिस्कस हुई हैं. जहां तक बात है पलायन की तो उसके कई कारण हो सकते हैं. लोग बेहतर संभावनाओं की तलाश में पलायन करते ही हैं. तैयारी करने वाले भी कर ही रहे हैं.’
‘स्थगित’ भर्ती की दरकती उम्मीद
अग्निवीर लागू होने के बाद सेना की जब भर्ती रुकी थी, उसने इन युवाओं के सपने एक झटके से तोड़ दिए. बड़ौदा गांव के निवासी सुरेश चहल बताते हैं कि, उनके 22 वर्षीय बेटे अंकित चहल पढ़ाई में अच्छे थे. सेना की तैयारी छोड़कर उन्होंने स्टडी वीजा लिया और अमेरिका चले गए।
जब अभ्यर्थी अदालत में गए, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यह भर्ती रद्द नहीं हुई है, बल्कि स्थगित हुई है।इसलिए अभ्यर्थियों को थोड़ी उम्मीद आज भी है। इन गांवों में दर्जनों युवा हैं, जो सेना की उस भर्ती की बहाली का इंतजार कर रहे हैं।
उस भर्ती के लिए भोंगरा गांव के 23 वर्षीय सुनील चहल मेडिकल परीक्षा पास कर चुके थे. चूंकि वे एनसीसी कैडेट थे, लिखित परीक्षा में छूट मिल जाती. बचपन का सपना पूरा होने ही वाला था कि अग्निपथ स्कीम आ गई, भर्ती रद्द हो गई और सपना बिखर गया। अब वह अपना पासपोर्ट दिखाते हुए कहते हैं कि ‘आखिरी विकल्प अब विदेश है। जो साथी चले गए हैं उनसे बात कर रहा हूं कि कौन-सा देश बेहतर होगा ‘
यही स्थिति भोंगरा के निवासी अंकित चहल की है. उन्होंने सेना की तैयारी की थी. चयन भी हुआ मगर भर्ती रद्द हो गई। अंकित अब वीजा लेने का प्रयास कर रहे हैं।
जींद के उचाना गांव के राजीव गांधी कॉलेज के मैदान में पड़ोसी गांवों के सैकड़ों युवा दौड़ने का अभ्यास कर सेना में भर्ती हुए हैं. फरवरी की इस शाम सिर्फ़ दसेक लोग यहां हैं. ग्राउंड का रखरखाव संभालने वाले रमेश चहल ने बताया कि ‘यहां रोज 250-300 बच्चे दौड़ने आते थे. मगर बीते दो सालों में सब बदल गया. आज जो 5-10 लोग दिख रहे हैं, वे भर्ती वाले नहीं हैं. फिटनेस बनाने आए हैं ‘
अग्निवीर आने के बाद हरियाणा की भागीदारी 75% कम हुई
रक्षा मंत्रालय द्वारा फरवरी 2022 में लोकसभा में जारी आंकड़े के अनुसार, 2019-20 में हुई सेना भर्ती में हरियाणा के 5,097 अभ्यर्थी चयनित हुए थे। हरियाणा भारत की कुल आबादी का सिर्फ 2% है, मगर सेना भर्ती में राज्य की भागीदारी 6% थी। उस बरस सिर्फ तीन राज्यों का अनुपात हरियाणा से बेहतर था- हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब।
हिमाचल प्रदेश की आबादी देश की कुल आबादी का सिर्फ 1 प्रतिशत है, मगर इसकी भागीदारी 7% रही. इसी तरह उत्तराखंड ने 1% आबादी के बावजूद सेना में 5% की भागीदारी दी. पंजाब की आबादी देश की कुल आबादी का सिर्फ 2% है, मगर पंजाब की भागीदारी 10% रही थी।
स्थानीय अनुमान के मुताबिक, हरियाणा के जींद, भिवानी और हिसार जैसे जिलों में यह औसत राज्य के औसत के दोगुने से भी अधिक है. राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुडा ने द वायर से कहा कि वह राज्यसभा में अग्निवीर का मुद्दा उठा चुके हैं।
हुडा ने बताया कि, अग्निवीर आने के बाद से सेना में हरियाणा के युवाओं की भागीदारी 70% से भी कम हो गई है. उन्होंने इस फरवरी राज्य सभा में अपने भाषण में हरियाणा में व्याप्त बेरोजगारी का ज़िक्र करते हुए कहा था कि इस राज्य का बेरोजगार युवक बाध्य होकर विदेश पलायन कर रहा है. इसके बाद उन्होंने अग्निपथ योजना की आलोचना करते हुए कहा कि पहले हर वर्ष हरियाणा से ‘5,500 पक्की भर्तियाँ हुआ करती थीं, अब केवल 900 भर्ती किए जा रहे हैं ’
रक्षा मंत्रालय से आरटीआई के तहत सवाल पूछा कि अग्निवीर भर्तियों में वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान किस राज्य से कितने लोगों का चयन हुआ है ? मगर मंत्रालय ने यह आंकड़ा यह कहते हुए देने से इनकार कर दिया, कि उनके पास ‘यह सूचना मांगे गए फॉर्मेट में उपलब्ध नहीं है ‘, और ‘इस जानकारी को एकत्र करना वक्त और संसाधन की बर्बादी है ‘
वायुसेना ने जवाब में लिखा, ‘ आरटीआई में मांगी गई जानकारी ‘सशस्त्र बल के सामर्थ्य से संबंधित है. यह संवेदनशील जानकारी है और इसका खुलासा भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है और यह व्यापक सार्वजनिक हित में नहीं है’
वहीं, नौसेना ने जवाब दिया कि ‘सशस्त्र बलों में कर्मियों की नियुक्ति/भर्ती/जॉइनिंग से संबंधित आंकड़ा सुरक्षा कारणों को देखते हुए सार्वजनिक नहीं किया जा सकता ‘
अंबाला हेडक्वार्टर से बीते 5 सालों में चयनित अभ्यर्थियों की संख्या मांगी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला
सेना की तैयारी कराने वाले कई कोचिंग सेंटर बंद हुए
रोहतक के निवासी मिल्खा ग्रेवाल सेना भर्ती की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटर चलाते थे। अब उन्होंने अपनी कोचिंग बंद कर दी है. वह बताते हैं कि अग्निवीर आने के 6 महीने बाद सिर्फ 15-20 अभ्यर्थी उनकी कोचिंग में रह गए थे। पहले ये संख्या 200-250 तक होती थी। इस घाटे में कोचिंग चलाना मुमकिन नहीं था।
‘यही हाल कई अन्य कोचिंग का हुआ, कुछ कोचिंग अभी भी बचे हुए हैं, जहां बहुत मुश्किल से 30-40 लड़के मिलेंगे. अब सेना की तैयारी छोड़कर सब IELTS के पीछे लग गए हैं। उनमें अब विदेश जाने की होड़ ज्यादा है,’ वह कहते हैं।
करनाल में अपना इमीग्रेशन ऑफिस चलाने वाले गौरव कुमार इसकी पुष्टि करते हैं। गौरव बताते हैं, ‘पहले गांव-देहात में युवा 10वीं, 12वीं के बाद सेना में भर्ती की तयारी करते थे, अब IELTS और PTE करते नजर आ रहे हैं ‘
बीते डेढ़ साल में 2 लाख से ऊपर पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट
विदेशों में पलायन को लेकर किसी संस्था के पास सटीक आंकड़ा नहीं है। हरियाणा पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अंबाला और आसपास के 6-7 जिलों जींद, हिसार, भिवानी,अंबाला, रोहतक, कैथल, करनाल में बीते डेढ़ साल में कम से कम 2 लाख से ऊपर पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट दिया गया होगा
पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट उन लोगों को दी जाती है, जो विदेशों में नौकरी या लंबी अवधि के वीजा के लिए अप्लाई करते हैं। मगर इससे बड़ी संख्या अवैध रूप से जाने वालों की है, जिसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
इमीग्रेशन ऑफिस चलाने वाले एजेंट्स बताते हैं कि, पासपोर्ट बनाने के लिए अंबाला में प्रतीक्षा-सूची इतनी लंबी होती है कि लोग जयपुर, चंडीगढ़ और दिल्ली तक निकल जाते हैं. ‘अंबाला और चंडीगढ़ में रोजाना पासपोर्ट के लिए 835 अपॉइंटमेंट होते हैं। किसी को बहुत जल्दी चाहिए तो वो जयपुर या दिल्ली की तरफ रुख करते हैं,’ एक एजेंट ने कहा।
डंकी रूट से विदेश जाने वालों की संख्या तेज़ी से बढ़ी
2022 में 748 भारतीय इंग्लिश चैनल पार कर के ब्रिटेन आए थे, जबकि 2023 में यह संख्या 50% तक बढ़कर 1,192 हो गई. 2022 में जहां 2,612 भारतीयों ने शरण मांगी थी, 2023 में यह संख्या 5,253 हो गई।
इसी तरह अमेरिका में भी यह संख्या तेजी से बढ़ी है । 2022 में 65 हजार भारतीय अवैध रूप से अमेरिका की सीमा में घुसे थे, 2023 में यह संख्या 1 लाख के पार चली गई. डंकी रूट से विदेश जानेवाले लगभग 60% से अधिक युवा होते हैं।
Haryana train time table : हरियाणा में रेलयात्रियों के लिए एक और अच्छी खबर सामने आई है। रेलवे विभाग की ओर से बीकानेर- दानापुर स्पेशल ट्रेन का संचालन शुरू किया गया है। इस ट्रेन के संचालन से दक्षिण हरियाणा के जिलों को यूपी और राजस्थान के कई बड़े शहरों के लिए सीधी ट्रेन की सुविधा का लाभ मिलेगा। इस ट्रेन का महेंद्रगढ़ और लोहारू रेलवे स्टेशन पर ठहराव (स्टॉप सेल्टर) होगा।
रेल का टाईम शेड्यूल
दैनिक रेल यात्री महासंघ के अध्यक्ष रामनिवास पाटोदा ने बताया कि, इस ट्रेन (Haryana train time table) का संचालन 2 मई से 28 जून तक रहेगा. यह ट्रेन प्रत्येक वीरवार को सुबह पौने 11 बजे बीकानेर स्टेशन से रवाना होकर दोपहर 02:35 बजे सादलपुर, 03:15 बजे लोहारू व 03:45 बजे महेंद्रगढ़ स्टेशन से रवाना होकर शाम 6 बजे दिल्ली, रात को 22:35 बजे मुरादाबाद, 12:03 बजे बरेली, 03:40 बजे लखनऊ, 08:45 बजे वाराणसी और 11:37 बजे बक्सर स्टेशन से आरां होते हुए शुक्रवार को 01:45 बजे दानापुर स्टेशन पहुंचेगी।
उन्होंने बताया कि इसी तरह वापसी में दानापुर- बीकानेर साप्ताहिक स्पेशल ट्रेन (Haryana train time table) शुक्रवार को सुबह 04:20 बजे दानापुर से रवाना होकर 9 बजे वाराणसी, 02:40 बजे लखनऊ, 06:16 बजे बरेली, 11:35 बजे दिल्ली, 14:35 बजे रेवाड़ी से चलकर 15:29 बजे महेंद्रगढ़ स्टेशन पर पहुंचेगी। इसके बाद 04:15 बजे लोहारु, 05:50 बजे सादलपुर व शनिवार को 07:20 बजे बीकानेर स्टेशन पर पहुंचेगी।
Young died lightning : हरियाणा के कैथल जिले के कलायत हलके के गांव बालू में दर्दनाक हादसा सामने आया है। गांव बालू में आसमानी बिजली गिरने से 20 वर्षीय युवक की मौत हुई है। युवक परिवार का इकलौता बेटा था। उसका रिश्ता पक्का हो चुका था और कुछ दिन बाद शादी की तैयारी थी।
बालू (रापड़िया) गांव का युवक संजू शुक्रवार शाम करीब साढ़े 7 बजे गांव में स्थित खेतों में तूड़ी बनाने का कार्य कर रहा था। जब वह चाय पीने के लिए खेत में बने एक मकान में आया तो अचानक आसमान से बिजली गिरी।
आसमानी बिजली (Young died lightning) की चपेट में आने से वह झुलस गया। उसे नागरिक अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
परिजनों ने बताया कि संजू की कुछ दिन पहले ही सगाई हुई थी और कुछ दिन के बाद उसका विवाह होना था। परंतु इससे पहले ही दर्दनाक हादसे ने युवक को लील लिया। प्रत्यक्षदर्शियों अनुसार गांव में देर शाम में 5 युवक तूड़ी बनाने का काम कर रहे थे। संजू में उन युवकों में शामिल था। मकान में चाय पीने के लिए आया तो आसमानी बिजली (Young died lightning) उस पर गिर गई।
बताया गया है कि संजू के पिता छोटे से किसान हैं। संजू के 3 बहनें हैं। इनमें संजू सबसे छोटा है। घटना के बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंची और छानबीन की। शव को पोस्टमार्टम के लिए शवगृह में रखवाया गया है।
Supreme Court WhatsApp No. : देश की सर्वोच्च अदालत में, यानि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना आधिकारिक वॉट्सऐप नंबर (Supreme Court official WhatsApp Number) जारी किया है। भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) ने गुरुवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वॉट्सऐप मैसेज के जरिए वकीलों को वाद सूची, केस दाखिल करने और सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होने की जानकारी दी जाएगी।
क्या है वॉट्सऐप नंबर
87676-87676 वाह नंबर तो वाकई में शानदार है। वॉट्सऐप नंबर से अब वकीलों को केस दाखिल होने के बारे में आटोमेटेड मैसेज मिलेगा। इसके अलावा वकीलों को वाद सूची का नोटिफिकेशन भी मोबाइल पर मिलेगा। वाद सूची का मतलब है कि, कोर्ट में सुनवाई के लिए उस दिन लगे मुकदमों की सूची, सुप्रीम कोर्ट का आधिकारिक वॉट्सऐप नंबर (Supreme Court WhatsApp No. ) जारी करते हुए Justice Chandrachud ने कहा,
75वें वर्ष में सुप्रीम कोर्ट ने वॉट्सऐप मैसेजिंग सेवाओं को IT सर्विस के साथ एकीकृत करके न्याय तक पहुंच को मजबूत करने की नयी पहल शुरू की है। इससे और अधिक वकीलों की सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच बढ़ेगी. साथ ही दूर दराज रहने वाले लोगों को भी कोर्ट कार्यवाही की सूचना मिल सकेगी।
वकीलों को इसके साथ Electronic filing, Causelists ऑर्डर और जजमेंट से जुड़े नोटिफिकेशन भी इसी ऐप पर मिलेंगे। लेकिन क्या इस नंबर पर आम नंबरों जैसे बतिया भी सकते हैं। जवाब है नहीं, क्योंकि ये वन-वे कम्युनिकेशन नंबर है। मतलब सिर्फ इनकमिंग मैसेज. इस नंबर से कोई रिप्लाई नहीं मिलेगा और ना कॉल बैक जैसी सुविधा।
आटोमेटेड मैसेज किसी मामले के सफलतापूर्वक दाखिल होने पर प्राप्त होंगे। इसमें दर्ज मामलों में रजिस्ट्री द्वारा चिह्नित आपत्तियों के बारे में अधिसूचनाएं भी शामिल हैं। वेबसाइट पर उपलब्ध आदेश और निर्णय भी वॉट्सऐप के माध्यम से भी भेजे जाएंगे।
UPI Paytem Facility : NPCI ने हाल ही में Paytm की पेरेंट कंपनी One97 Communications को अपने यूजर्स को UPI Payments के लिए नए बैंकों में स्थानांतरित करने की अनुमति दे दी है।
इससे पहले मार्च में एनपीसीआई ने ओसीएल को मल्टी-बैंक मॉडल के भीतर थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन प्रदाता (TPAP) के रूप में कार्य करने के लिए अधिकृत किया था। नियामक की इस मंजूरी के साथ पेटीएम अब पार्टनर बैंकों के साथ मिलकर यूपीआई सर्विस प्रदान करने में सक्षम है।
Paytm पर शुरू हुई UPI सेवाएं
मल्टी पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर एपीआई मॉडल पर ओसीएल को थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन प्रोवाइडर (टीपीएपी) के रूप में शामिल करने के लिए 14 मार्च, 2024 को एनपीसीआई की मंजूरी के बाद, पेटीएम ने एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और यस बैंक के साथ इंटीग्रेशन में तेजी ला दी है।
@paytm को ऐसे बदलें
कंपनी ने ‘@paytm’ यूपीआई हैंडल वाले उपयोगकर्ताओं को इन बैंकों में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे यूपीआई लेनदेन में आसानी होगी। कुछ पेटीएम यूपीआई यूजर्स को पहले से ही ऐप के अंदर Important UPI Alerts मिलना शुरू हो गया है।
यहां जानिए स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रियाएं
अगर आप भी पेटीएम यूपीआई यूजर हैं और अपनी यूपीआई आईडी अपडेट करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए स्टेप्स फॉलो करें-
सबसे पहले Paytm UPI मोबाइल पेमेंट ऐप इंस्टॉल करें।
ईसके बाद अपना मोबाइल नंबर दर्ज करें। यदि आप डुअल सिम फोन का उपयोग कर रहे हैं, तो अपने मोबाइल नंबर से जुड़े सिम स्लॉट का चयन करें।
अब ईसके बाद अपने डिवाइस से एक एसएमएस भेजकर अपना मोबाइल नंबर सत्यापित करें।
इसके बाद दी गई सूची में से अपना बैंक चुनें और सुनिश्चित करें कि यह आपके बैंक में पंजीकृत मोबाइल नंबर से मेल खाता हो। फिर आपके बैंक खाते का विवरण पुनः प्राप्त किया जाएगा।
अगर आप पहली बार अपने बैंक को लिंक कर रहे हैं, तो एक यूपीआई पिन बनाएं। इस चरण के लिए आपको अपने डेबिट कार्ड विवरण की आवश्यकता होगी।
आपका बैंक खाता सफलतापूर्वक UPI के माध्यम से लिंक हो गया है और आप अपना पहला भुगतान शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
Haryana agriculture news : हरियाणा सरकार किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी लाई है। हरियाणा सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा बीज पर 80% की सब्सिडी दी जा रही है। राज्य सरकार द्वारा इस योजना के तहत सब्सिडी प्रदान करने के लिए इच्छुक किसानों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राज्य के जो भी किसान बीज (Haryana agriculture news) प्राप्त करना चाहते हैं वह आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत किसान केवल 20% राशि देकर बीज प्राप्त कर सकते हैं| हम इस पोस्ट में जानेंगे किस तरह ढेंचा बीज के लिए सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।
ढेंचा बीज पर सब्सिडी
हरियाणा सरकार द्वारा राज्य के किसानों के लिए ढेंचा बीज पर 80% की सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना के तहत एक किसान अधिकतम 10 एकड़ क्षेत्र में डेंचा (Haryana agriculture news) की खेती के लिए अनुदान प्राप्त कर सकता है। हरियाणा कृषि विभाग के अनुसार, ढैंचा फसल के लिए बीज दर 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।
इस तरह, लगभग 12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होगी, अतः किसान को 10 एकड़ के लिए अधिकतम 120 किलोग्राम बीज उपलब्ध किया जाएगा। इच्छुक किसान इस योजना के तहत सब्सिडी पाने के लिए 20 मई 2024 से पहले पहले आवेदन कर सकते हैं।
ढेंचा खेती के फायदे ढेंचा बीज
ढैंचा फसल किसानों (Haryana agriculture news) को कम लागत में अच्छी हरी खाद प्राप्त कराती है। इससे भूमि को पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन मिलता है, जिससे अगली फसल के लिए कम यूरिया की आवश्यकता होती है। हरी खाद से भूमि में कार्बनिक पदार्थ बढ़ते हैं, जिससे भूमि और जल का संरक्षण होता है और संतुलित मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं, जो भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं।
ढैंचा को खेत में पलटने से नाइट्रोजन, पोटाश, गंधक, कैल्शियम, मैग्नेशियम, जस्ता, तांबा, लोहा आदि विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं। इससे फसलों की पैदावार बढ़ती है और कम रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता होती है, जिससे कृषि की लागत भी कम होती है।
ढेंचा बीज सब्सिडी के लिए पात्रता
ढेंचा बीज प्राप्त करने के लिए आवेदक किस का मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर पंजीकरण होना चाहिए।
राज्य का कोई भी किसान जो ढेंचा की खेती करना चाहता है आवेदन कर सकता है।
इस योजना के तहत 10 एकड़ भूमि के लिए सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है।
ढेंचा बीज सब्सिडी के लिए दस्तावेज
आधार कार्ड
मेरी फसल मेरा ब्यौरा
बैंक खाता
मोबाइल नंबर
भूमिज संबंधी दस्तावेज
ढेंचा बीज सब्सिडी के लिए आवेदन कैसे करें?
सबसे पहले Agri Haryana की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
होम पेज पर Farmers Corner में Apply For Agriculture Schemes पर क्लिक करें।
अब आपके सामने सभी स्कीम्स आ जाएगी|
अब आपको Dhaincha seed Distribution under CDP के सामने View पर क्लिक करना है।
अब आपके सामने एक नया पेज आएगा|
इस पेज पर Daincha Beej Subsidy Yojana संबंधी जानकारी दी होगी|
अब आपको Terms & Conditions को Agreed करना है| और Click Here To Registration पर क्लिक कर देना है।
अब आपको अपना मेरी फसल मेरा ब्यौरा पंजीकरण संख्या दर्ज करनी है।
और सच रिकॉर्ड के ऑप्शन पर क्लिक करना है।
अब आपके सामने पंजीकृत डिटेल आ जाएगी।
अब आप आपसे मांगी गई जानकारी आपको दर्ज करनी है।
उसके बाद आवश्यक दस्तावेजों को अपलोड करना है।
अंत में सबमिट के ऑप्शन पर क्लिक कर देना है।
इस प्रकार से आप हरियाणा ढेंचा बीज सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
LIC New Policy : देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है एलआईसी। इसके साथ ही भारतीय जीवन बीमा निगम भी शेयर बाजार में एक बड़ा संस्थागत निवेशक है। एलआईसी ने कई कंपनियों के शेयरों में निवेश किया है और बड़ी हिस्सेदारी ली है। एलआईसी के निवेश पोर्टफोलियो में कई कंपनियों के शेयर शामिल हैं, जिनमें अच्छी बढ़त देखने को मिल रही है।
आम निवेशकों की नजर इस बात पर रहती है कि, एलआईसी (LIC New Policy) किन कंपनियों पर दांव लगाती है। क्योंकि जिन शेयरों में एलआईसी ने निवेश किया है उनमें से कई शेयरों ने मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। इनमें से एक शेयर डिक्सन टेक्नोलॉजीज का है, इस शेयर ने अपने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया है।
डिक्सन टेक्नोलॉजीज के शेयरों ने साल, छह महीने और महीने जैसी अलग-अलग समय सीमा में निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया। इस शेयर की 52 हफ्तों में सबसे ऊंची कीमत 7236 रुपये है जबकि फिलहाल यह 6910 रुपये के स्तर पर कारोबार कर रहा है।
साल दर साल जबरदस्त रिटर्न
रिपोर्ट के मुताबिक, डिक्सन टेक्नोलॉजीज (इंडिया) लिमिटेड (LIC New Policy) के शेयरों ने पिछले एक साल में ही निवेशकों का पैसा दोगुना से ज्यादा कर दिया है। इस दौरान शेयरों ने 137 फीसदी का रिटर्न दिया. वहीं, 6 महीने में यह स्टॉक 35 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया. सिर्फ एक महीने में डिक्सन टेक्नोलॉजीज के शेयरों ने बैंक एफडी से 9 फीसदी ज्यादा का रिटर्न दिया है।
कंपनी के शेयरों ने पिछले 5 साल में मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। मार्च 2019 में डिक्सन टेक्नोलॉजीज के शेयर की कीमत 502 रुपये थी और अब कीमत 6900 रुपये को पार कर गई है। रिटर्न की यह दर 1200 प्रतिशत से अधिक है।
कंपनी में LIC की कितनी हिस्सेदारी है?
दिसंबर 2023 तक, एलआईसी (LIC New Policy) के पास डिक्सन टेक्नोलॉजीज के शेयरों में 2.83 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। यह कंपनी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रकाश व्यवस्था, गृह और प्रतिभूति सामान के निर्माण के व्यवसाय में है।