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Amar singh chamkila ; इम्तियाज़ की फिल्म में दिलजीत ने अमर सिंह चमकीला का निभाया किरदार, अमर सिंह चमकीला की कहानी दिल दहला देने वाली, कातिल आज तक नहीं पकड़े जा सके

Diljeet dosanjh as Amar singh chamkila : अमर सिंह चमकीला फिल्म मशूहर पंजाबी सिंगर चमकीला की जीवनी पर आधारित ये फिल्म 12 अप्रैल 2024 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ होने वाली है। जब फिल्मी मनोरंजन की दुनिया में खबर आई थी कि इम्तियाज़ पंजाबी सिंगर चमकीला के जीवन पर फिल्म बनाने वाले हैं तो इसे हर तरह का रिएक्शन मिला। लोग अपने कमेंट में लिखने लगे कि इस फिल्म को हिंदी में बनाने की ज़रूरत है।

 

कुछ लोगों ने लिखा कि पंजाबी कलाकारों का हिंदीकरण मत कीजिए। इम्तियाज़ ने ऐसे सवालों का सिर्फ एक ही जवाब दिया . कि ये एक ज़रूरी कहानी है जिसे वो बड़ी ऑडियंस तक लेकर जाना चाहते हैं। लेकिन चमकीला वो कलाकार थे जिनका सिंगिंग करियर सिर्फ 10 साल का था। जबकी इसी की बदौलत उन्हें शोहरत मिली और उनके गानों की वजह से महज़ 27 साल की उम्र में चमकीला के सीने में गोलियां दाग दी गईं। वो आज भी पंजाबियों के दिलों में ज़िंदा हैं। उनके गाने आज भी अमर हैं। इसलिए इम्तियाज़ अली जैसे बड़े डायरेक्टर उन पर फिल्म बना रहे हैं।

 

चमकीला का अर्थ मतलब जो चमकता हो। अमर सिंह को इसी उपनाम से जाना जाता है। 21 जुलाई 1960 को उनका जन्म हुआ था। चमकीला का बचपन लुधियाना के पिंड डुगरी में बीता वहीं जवानी पूरे पंजाब में पंजाबी सिंगर के रूप में पंजाबी गानो में बीती। कहा जाता है कि उनका सपना था इलेक्ट्रिशियन बनने का, पर पैसों की तंगी के चलते कपड़े की मिल में काम करना पड़ा। लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंज़ूर था। शायद वो जिसकी उम्मीद खुद चमकीले को भी कभी नहीं होगी। चमकीले को पंजाबी म्यूज़िक का शौक बचपन से ही था। शौक के चलते उन्होंने हारमोनियम और ढोलकी भी सीख ली थी। पर स्टेज तक आते-आते उन्होंने अपने हाथ में तुम्बी को गानों की तर्ज की लगाव में प्यार से अपना लिया था। इस प्रकार चमकीला कपड़े की मिल में काम करते-करते गाने भी लिखने लगे थे।

 

ये वो दौर था जब सुरिंदर शिंदा और कुलदीप मानक जैसे सिंगर पंजाबियों के फेवरेट थे और गुरदास मान उसी ट्रैक पर चलने की तैयारी में थे। सुरिंदर शिंदा का कहना है कि चमकीला ने उन्हें ही सबसे पहले एप्रोच किया था। तब चमकीला की आयु 18 वर्ष थी। तब उन्होंने शिंदा के लिए गाने लिखने शुरू किए, जिसका अच्छा रिस्पॉन्स श्रोताओं से मिला। पर घर का खर्च निकालने में अभी भी चमकीला को दिक्कत आ रही थी। इस प्रकार पैसों की तंगी आने पर चमकीला ने शिंदा का दामन छोड़ खुद से लिखे हुए गानें को गाना की सोची और कुछ ही टाइम बाद साथ गाने का भी मौका मिला। इस प्रकार चमकीला का धीरे-धीरे अकेले गाने का हौसला बढ़ता गया।

 

उनका अब तक का सफर तो वैसा ही चल रहा था, जैसा शायद हर संघर्षी व्यक्ति का होता है। लेकिन एक बार चमकीले ने पंजाबी गाने अपने देशी सुर में गाने शुरू किये, उन्होंने पंजाबी गायकी में सभी को पछाड़ के रख दिया। आखिर ऐसी बढ़ती हुई लोकप्रियता इस जवान लड़के में, जिसने सुरिंदर शिंदा, कुलदीप मानक और गुरदास मान जैसे स्थापित सिंगर्स को बैकफुट पर ला खड़ा कर दिया था।

 

दरअसल लिरिक्स के साथ-साथ चमकीले की स्टेज प्रेज़ेंस भी काफी अलग हो गई थी। उनके लिरिक्स में उस दौर के पंजाब के पंजाबी लोगों की सच्चाई थी। सूबे में बढ़ता हुआ नशा हो या घर में औरतों से मार-पिटाई, चमकीला हर किरदार की बात को बेबाकी से अपने गानों के ज़रिए ज़ाहिर कर दिया करता था। कभी गाते-गाते बीच में कमेंट्री करने लगता तो कभी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की बात या फिर गाली-गलौज। हर बात ज्यों की त्यों लोगों के सामने रख देता था। एक लाइन में कहें तो वो पंजाबियों को पंजाबी जीवन का आईना दिखाता था। चमकीला समाज पर तंज कसते हुए उनकी लाइफस्टाइल का, उनमें जाति के रुआब का गानों के लिरिक्स में कटाक्ष करता हुआ कहता था कि बुरा मत मानना, घर में भी तो सब ऐसे ही बोलते हैं !

 

ये सब कहना तब ज़्यादा महत्व रखता है जब आप लाइव गा रहे हों। चमकीले के ज़्यादातर पंजाबी गाने लाइव स्टेज परफॉर्मेंस के ही हैं। 5-6 फुट की स्टेज सजती थी उन जमाने में तब चमकीला गाते । चमकीला 4.5 साल में ही हर पंजाबी के मुंह पर चढ़ गए और दिल में फंस गए।

 

बात चमकीले की हो रही हो और उसमें अमरजोत कौर का ज़िक्र न हो ! संभव नहीं ! अमरजोत, जो हर स्टेज परफॉर्मेंस में चमकीले के साथ नज़र आती थीं। उतनी ही एनर्जेटिक और जोशीली पतली और तीखी आवाज़ में गाने वाली अमरजोत का चमकीला से वास्ता सन 1980 में पड़ा।

 

तब तक चमकीला कुछेक गाने गा चुके थे। लेकिन चमकीले को ज़रूरत थी स्टेज पार्टनर की, सोनिया और मिस ऊषा नाम की गायिका के साथ पहले ही काम कर चुके थे। लेकिन खोज अभी भी जारी थी। एक ऐसी गायिका की जो चमकीले के तेवरों को मिलान कर सके। पर खोज रुकी अमरजोत पर जाकर जो शादीशुदा थीं। पर सिंगिग के पैशन के चलते, पति को तलाक दे दिया और जुड़ गईं अपने नगमों की दुनिया में चमकीले के साथ।

 

कुछ महीने स्टेज पर साथ बिताने के बाद दोनों सिंगरो ने ज़िंदगी भी साथ बिताने का फैसला कर लिया। इसी प्रकार चमकीले ने भी कुछ समय बाद अपनी पत्नी को तलाक दे दिया। अमरजोत इससे पहले कुलदीप मानक के साथ भी गाना गा चुकी थीं। लेकिन असल पहचान अमरजोत को चमकीले के साथ ही मिली। चमकीला के बारे में एक बात काफी सुनने में आती है कि उसका ऐसा कोई दिन खाली नहीं जाता था। जहां उसका रोज़ कहीं न कहीं शो होता था। एक फिल्म की रिसर्च के दौरान भी इस बात की पुष्टि हुई है।

 

रिसर्च के मुताबिक चमकीला ने 365 दिनों में 366 सिंगिग शो के परफॉर्म किए है और इस दौरान चमकीला की आवाज़ पंजाब और देश से बाहर निकल विदेशों की सरजमीं तक जा पहुंची। कनाडा, अमेरिका और दुबई जैसे कई देशों में भी चमकीला की ललकार गूंजी। ये एक ऐसा गायक था, जो गाते-गाते कुछ भी कहने लगता था। पर ऐसे, जैसे कोई अपने दोस्त से बात कर रहा हो, लेकिन बिना किसी झिझक के आवारा लड़के की बात करता.करता बीच में गुरबाणी का भी ज़िक्र कर जाता था। शादी-ब्याह में भी गाता था और 80 के दशक में भी 4000-4500 रुपए प्रति शो कमाया करता था।

 

मिड 1980 तक चमकीला खूब फेमस हो चुका था। पर इसी दौरान पंजाब में आतंकवाद का भी दौर था। पंजाब में तनाव का माहौल था, ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद हर तरफ मायूसी पसरी हुई थी। आतंकवादियों और पुलिस के बीच एनकाउंटर खबरें अखबारों की सुर्खिंयों मे जारी रहती थी। इस तरह तनावपूर्ण माहौल मेेें उन दिनों लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे। अखबारों में रोज़ किसी न किसी की मौत की खबर छपती ही रहती थी। ऐसे समय में चमकीला के अखाड़े में 200-300 लोगों का इकट्ठा होना ही एक बहुत बड़ी कामयाबी थी। और इसी से ये भी पता चलता है कि वो लोगों के दिल में अपनी गायकी को लेकर कितने फंसे हुए थे।

 

चमकीले में एक और चीज़ थी जो सिंगर्स से उसे अलग बनाती थी। जट्टों के गढ़ पंजाब में एक दलित समुदाय का सिंगर लोगों के दिलों पर छाया हुआ था। चमकीला एक पिछड़ी जाति से आते थे, लेकिन फिर भी लोगों ने खासकर जट्टों ने उनको उनकी कला के लिए मान बख्शा और इसी मान के चलते चमकीला अपने साथ के जट्ट सिंगर्स से काफी आगे निकल गए थे। हालांकि वो अपने गानों में जट्टों का खूब ज़िक्र किया करते थे। उनके गाने पंजाबी फोक सिंगिंग को ऐसी पहचान देकर गए कि आज भी लोग उन्हें उतने ही चाव से सुनते हैं और शायद चमकीला ही आज के दौर में गिन्नी माही जैसे दलित सिंगर्स को फख्र से अपनी पहचान खुलकर जाहिर करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

 

चमकीला ने कुल मिलाकर अपने जीवन में केवल नौ साल गाने गाए थे और इन 9 सालों में अपनी गायिकी की वजह से जहां उन्होंने कइयों का दिल जीता, वहीं समाज की सच्चाई बयां करते उनके गानों के बोल कइयों के दिमाग में खटकने लगे। ये आवाज उन लोगों को इतनी खटकती थी चमकीला और उसकी पत्नी की हत्या बंदूक की गोलियां से कर दी थी।

 

मंगलवार के दिन, 8 मार्च 1988 को महसामपुरए जलंधर से करीब 40 किलोमीटर दूर चमकीला अपनी पत्नी और स्टेज पार्टनर अमरजोत कौर के साथ यहां परफॉर्म करने आए थे। इसी बीच कुछ युवक मोटर साइकिल पर आए और अंधाधुंध गोलियां चलाईं और कुछ ही पलों में वे युवक फरार हो गए। पीछे छोड़ गए चमकीला और अमरजोत कौर का गोलियों से छलनी मृत शरीर को।

 

चमकीला के कातिल आज तक न तो कभी पकड़े गए और न ही कोई अब तक कोई खबर लगी। इस मौत से कई अंदेशे लगाए जाते हैं कि जैसे कि खालिस्तानी आतंकियों ने उनके गानों के बोल की वजह से उन्हें मारा होगा या उनके साथ के प्रतियोगियों ने उन्हें मरवा दिया होगा।

 

इस प्रकार बदलते दौर में एक और एंगल उनकी मौत को दिया जाता गया है। वो ये कि अमरजोत जट्ट कौम से थी और चमकीला दलित ये भी हत्या करवाने की वजह बताई जाती है। करियर के टॉप पर चमकीला और अमरजोत कौर तो चले गए । पर पीछे छोड़ गए ऐसे 200 गीतों के बोलए जिन्हें गाया जाना बाकी रह गया था।

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Full form of Bra ; 80 प्रतिशत लोग नहीं जानतें ब्रा की फुल फॉर्म ? ब्रा की भी होती है एक्सपायरी डेट, देखें पूरी detail

Full form of Bra : हम सभी नागरिक जानते हैं कि ब्रा महिलाओं की जरूरत की सबसे अहम चीजों में से एक है। लेकिन ब्रा को लेकर आज भी समाज में खुलकर बात नहीं की जाती है। क्योंकि भारतीय समाज में इस पर खुलकर बात रखने से अच्छा आचरण नहीं माना जाता। पर पश्चिमी देशों में इस पर खुलकर बातें रखी जाती हैं।

आपको बता दें कि महिलाओं के लिए मार्केट से ब्रा की खरीददारी काफी असहज हो जाती है। हर कोई जानता है कि ब्रा मात्र एक कपड़ा है। महिलाओं को पता है कि ब्रा उनके लिए कितनी अहम है पर इसके बावजूद भी लोगों को ब्रा की फुल फॉर्म के बारे में खास जानकारी नहीं है। आज हम आपको ब्रा से जुड़े कुछ अंश लेख के माघ्यम से बताएंगे।

 

ब्रा की फुल फॉर्म क्या है ?

ब्रा (BRA) जो कि एक शॉर्ट फॉर्म है। इस छोटे शब्द के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है। बता दें कि ब्रा एक फ्रेंच शब्द ब्रासियर (Brassier) से आया है। 1893 में इसे न्यूयॉर्क में ईवनिंग हेराल्उ पेपर में विश्ेष रूप से प्रयोग किया जाता था। 1904 में यह बहुत ज्यादा प्रचलन में आ गया था। इसके बाद 1907 में वोग मैग्जीन ब्रासियर शब्द को पहली बार फ्रिंट में प्रयोग किया गया। जबकि बाद में इस शब्द का प्रचलन बहुत बढ़ गया। कुछ वर्षों बाद इसे ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी में भी शामिल किया गया।

 

शुरूआती दौर में इस शब्द का अर्थ बच्चे की अंडरशर्ट माना जाता था, जबकि बाद में महिलाओं के अंडर गारमेंट का रूप दे दिया गया। आपकी जानकारी में बता दे कि ब्रा का एक और फुल फॉर्म है जो कि धीरे-धीरे समय के साथ काफी पॉपुलर हुआ है, ब्रा- ब्रीस्ट रेस्टिंग एरिया (Breast Resting Area), समय के साथ ब्रा में कई बदलाव आए हैं उसी तरह ब्रा के नाम भी कई अहम बदलाव आ चुके हैं।

 

1930 में कप साइज ब्रा का हुआ आविष्कार

शुरूआती दौर के समय ब्रा में कप साइज डिजाइन नहीं थे यह पढ़कर आपको जरूर आश्चर्य हुआ होगा। पर आपने सही पढ़ा है, बिना कप साइज के ब्रा में महिलाएं को कितनी परेशानी होती होगी यह हम केवल विचारणीय सोच ही सकते हैं। आपकी जानकारी में बता दें कि 1930 में एस.एच.कैंप (S.H. Camp) कंपनी ने पहली बार कप साइज का आविष्कार किया था। मॉर्डन समय में कप साइज का डिजाईन ए से डी साइज में मिलने लग गए हैं।

 

महिलाएं गलत ब्रा का प्रयोग करती है

अधिकतर महिलाएं गलत साइज की ब्रा पहनती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर की लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं गलत साइज की ब्रा पहनती हैं। आज के समय में महिलाएं फिटिंग और साइज नापने के बाद भी गलत ब्रा पहनती हैं।

 

ब्रा की एक्सपायरी डेट भी होती है

आपको यह जानकर हास्यस्पद लगता होगा कि भला कपड़े में कैसी एक्सपायरी डेट हैं ना, जी हां बहुत लोगों को यह बात नहीं पता है। पर हां ब्रा की भी एक्सपायरी डेट (BRA expiry date) होती है। अधिकतर महिलाएं सालों साल तक ब्रा (BRA) का इस्तेमाल करती है। जो कि गलत है एक ब्रा को 8 से 9 महिने तक इस्तेमाल करना चाहिए। ज्यादा समय तक एक ही ब्रा का इस्तेमाल करने से वह सपोर्ट नहीं करती है। पर हमारे समाज की महिलाएं ज्यादा समय तक ब्रा का इस्तेमाल करती है

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TRAI new Rule ; ट्राई ने टेलीकॉम कंपनियों को जारी किये नये आदेश, 15 तारीख से बंद हो जाएंगी ये सर्विस

TRAI new Rule : ट्राई ने टेलीकॉम कंपनियों को अपने आदेश में यूएसएसडी कोड को ब्लॉक करने के लिए कहा है। अगर मॉबाईल यूजर भी अपने फोन में यूएसएसडी कोड (अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डेटा ) का इस्तेमाल करते हैं तो मॉबाईल यूजर के लिए भी एक नया अपडेट (new update) आने वाला है।

आपको जानकारी सूचित करते हुए बताते कि मोबाइल यूजर्स के लिए फोन में यूएसएसडी (ussd code) कोड का इस्तेमाल जल्द ही बंद होने वाला है। क्योंकि ट्राई ने टेलिकॉम कंपनियों को यूएसएसडी कोड को इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगा दी है।

 

हालांकि यूएसएसडी कोड (USSD) को ब्लॉक करने के लिए सरकार (भारत में दूरसंचार विभाग) की ओर से एक नया आदेश जारी किया गया है। इसके साथ ही भारत के दूरसंचार विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों को ’401 ‘ जैसे यूएसएसडी कोड को पूरी तरह से ब्लॉक या निरस्त करने का आदेश दे दिया है।

 

15 अप्रैल से बंद हो रही है ये सेवाएं

केंद्र सरकार की ओर से 28 मार्च को जारी किया गया आदेश के अनुसार यूएसएसडी.आधारित कॉल फॉरवर्डिंग सेवा का लाइसेंस इस महीने समाप्त किया जा रहा है और जब तक कि इससे कोई संबधित कोई नया आदेश जारी नहीं किया जाता।

 

क्योंकि केंद्र सरकार का मानना है कि इससे ऑनलाईन धोकाधड़ी एंव घोटालाबाजी बढ़ी है। इसलिए कंेद्र सरकार ने इस सेवा को अवरुद्ध कर रही है क्योंकि सरकार का मानना है कि घोटालेबाज इसका उपयोग ऑनलाइन घोटालों के रूप में कर रहे हैं। केंद्र सरकार के आदेश में कोड के कुछ गलत कारण भी बताए गए है

 

आदेश में बताया गया कि मोबाइल यूजर को पता भी नहीं चलताए जब स्कैमर्स फ्रॉड कॉल कर कॉल फॉरवर्डिंग कोड एक्टिवेट कर देते हैं, तो यूजर के साथ फ्रॉड हो जाता है। परिणामस्वरूपए मोबाइल उपयोगकर्ता के फ़ोन पर महत्वपूर्ण कॉल और संदेशों का सारा डाटा किसी अज्ञात डिवाइस पर जाने लगता है। जिससे यूजरों के साथ धोकाधड़ी के केस सामने आते है।

 

गौरतलब है कि कोड के माध्यम से फायदा उठाने के लिए स्कैमर्स मोबाइल के ओटीपी प्राप्त करने के लिए इस पद्धति का उपयोग करते हैं ताकि वे पैसे से संबंधित धोखाधड़ी कर सकें

 

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हरियाणा के 530 युवा इजराइल के लिए रवाना, सीएम सैनी ने फोन पर की बात; सरकार दोबारा निकालेगी वैकेंसी

Israel naukri : हरियाणा सरकार के सहयोग से आज 530 युवाओं के पहले जत्थे ने इजराइल के लिए उड़ान भरा। इजराइल रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने युवाओं से संवाद स्थापित किया। सीएम सैनी युवाओं को फोन पर सफर की शुभकामनाएं दी। वहीं पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्‌टर ने भी इजराइल जाने वाले युवाओं से संवाद किया। इस दौरान युवाओं ने हरियाणा सरकार और पूर्व मुख्यमंत्री का आभार जाताया। मनोहर लाल ने कहा कि इजराइल जाने वाले देश व प्रदेश का इजराइन में नाम रोशन करेंगे।

 

बता दें कि बीते कुछ माह पहले कई देशों ने भारत के पास अलग अलग कामों के लिए प्रोफेशनल्स की डिमांड भेजी थी। जिसके बाद हरियाणा सरकार ने HKRN में ट्रेंड युवाओं को इजराइल भेजने का फैसला लिया। हालांकि इसमें अन्य लोगों के लिए भी वैकेंसी ओपेन थी जिन्होंने एचकेआरएन में ट्रेनिंग नहीं ली थी। विदेश जा रहे इन युवाओं को 1.37 लाख भारतीय रुपये प्रति माह वेतन दिया जाएगा। इसके अलावा कई अन्य जरूरी सुविधाएं भी मुहैया करवाई जाएंगी।

 

पहले दौर की सफलता के बाद हरियाणा सरकार सेकेंड फेज की वैंकेसी निकालने की तैयारी में है। हालांकि वैकेंसी कब निकलेगी इसकी कोई जानकारी अभी नहीं दी गई है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव बीतने के कुछ दिन बाद तुरंत प्रक्रिया पूरी कर दूसरे दौर की वैकेंसी निकाली जा सकती है। जनवरी में 7 देशों में 13294 पदों के लिए भारत के युवाओं की डिमांड आई थी। इसके लिए पद, योग्यता और सैलरी सार्वजनिक कर दी गई थी।

 

इसी तरह इजराइल में 10000 कंस्ट्रक्शन वर्कर्स की डिमांड आई है। फ्रेमवर्क, शटरिंग, कारपेंटर, प्लास्टरिंग, सेरामिक टाइल, यरन बेडिंग करने वालों की जरूरत है। इसके लिए वेतन 1,37,000 प्रति महीना होगा। दसवीं पास, तीन साल का अनुभव, उम्र 25 से 45 साल होनी चाहिए। ओवरटाइम भी मिलेगा। चिकित्सा बीमा, खाने और आवास के साथ 1.37 लाख रुपए का मासिक वेतन होगा। इन उम्मीदवारों को हर महीने 16,515 रुपए बोनस भी दिया जाएगा।

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Satpal Pegan kabaddi ; हरियाणा के सभी गांवों का इतिहास जुबानी याद है सतपाल पेगां को, 15 वर्षों से कबड्डी में कर रहे कमेंट्री

कबड्डी के इतिहास से लेकर बड़े खिलाड़ियों की पृष्ठभूमि की पूरी जानकारी
Satpal pega kabaddi : प्रदेश में कहीं भी सर्कल कबड्डी का जिक्र हो और और सतपाल पेगां का नाम न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता। जी हां पेशे से अध्यापक पेगां गांव निवासी सतपाल को हरियाणा के सभी गांवों का इतिहास जुबानी याद है। पिछले 15 वर्षों से सतपाल पेगां सर्कल कबड्डी की राष्ट्रीय और राज्य प्रतियोगिताओं में कमेंट्री करते आ रहे हैं, इसके चलते उन्हें कबड्डी के बड़े खिलाड़ियों और उनकी पृष्ठभूमि की भी पूरी जानकारी है। सतबीर सिंह टांग से दिव्यांग हैं लेकिन अपनी दिव्यांगता को कभी भी आड़े नहीं आने दिया। सतपाल पेगां सर्कल कबड्डी में लाइव कमेंट्री करते हैं।

 

जहां भी बड़ी कबड्डी प्रतियोगिता होती है, वहां कमेंट्री के लिए सतपाल पेगां को बुलाया जाता है। सतपाल पेगां की कमेंट्री बड़ी दिलचस्प होती है, क्योंकि कमेंट्री के दौरान वह हंसी-ठहाके की बात तो सुनाते ही हैं, साथ ही जिस गांव में टूर्नामेंट होती है, उस गांव की विशेषता, उसका इतिहास, वहां के स्वतंत्रता सेनानी, वहां के खिलाड़ी और दूसरी तमाम दिलचस्प चीजों को दर्शकों के सामने रखते हैं। साथ ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, नशा मुक्त प्रदेश, पौधारोपण, खाने का व्यर्थ नहीं छोड़ने, एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड को रास्ता देने बारे भी नारे देकर लोगों को जागरूक करते हैं।

खिलाड़ी से लेकर उसके परिवार तक की जानकारी उंगलियों पर हरियाणा और पंजाब में कबड्डी का कोई रेडर हो या कैचर, जो कई प्रतियोगिताएं खेल चुका हो, उस खिलाड़ी के नाम से लेकर उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि, माता-पिता और कोच के नाम सतपाल पेगां को याद रहते हैं।

 

यही नहीं, उस खिलाड़ी ने कब बढ़िया रेड या कैच लगाई थी, कब बड़ा ईनाम जीता था, कब बुलेट या गाड़ी जीती थी, यह सब सतपाल पेगां को याद रहता है, जिसका जिक्र कर के वह कमेंट्री में करके दर्शकों की दिलचस्पी और खिलाड़ी के उत्साह को और बढ़ा देते हैं।

 

दिव्यांगता को नहीं बनने दिया बाधा
सतपाल पेगां को बचपन से ही कुश्ती का शौक था। पेगां गांव के जाने-माने पहलवान रिछपाल शर्मा से उन्हें खेलने की प्रेरणा मिली और टांग से दिव्यांग होने के बावजूद उसने कबड्डी खेलना शुरू कर दिया। पहले गांव में छोटी कबड्डी, उसके बाद ब्लाक स्तर और फिर जिला स्तर पर सतपाल ने कबड्डी खेली। 1998 में सतपाल पेगां को स्कूल में डीपीई की नौकरी मिल गई। 2006 में वह खोखरी गांव आ गए, जहां से ग्रामीणों का खूब सहयोग मिला। उसके बाद उन्हाेंने कमेंट्री शुरू कर दी। गांवों के इतिहास के बारे में पढ़ा, पुस्तकें पढ़ी और खेल की जानकारी हासिल की। सतपाल पेगां ने अपने गांव के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए खुद के खेत को खाली छोड़ दिया और वहां बच्चों को कबड्डी और कुश्ती के गुर सिखाए।

 

सतपाल पेगां बताते हैं कि शुरूआत में जहां भी कबड्डी का मैच होता था, वहां के बुजुर्ग, सरपंच या दूसरे लोगों से गांव के इतिहास और दूसरी जानकारी जुटा लेते थे। उसके बाद कमेंट्री के दौरान खिलाड़ियों, स्वतंत्रता सेनानियों और इतिहस के बारे में लोगों को जानकारी देने का काम करते थे। धीरे-धीरे तजुर्बा बढ़ता गया और अब उन्हें लगभग सभी गांवाें के इतिहास और बड़े कबड्डी खिलाड़ियों के बारे में पता है। प्रदेश भर के एक हजार से ज्यादा सरपंच उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। कहीं पर भी जनसभा हो, धार्मिक कार्यक्रम हो तो मंच संचालन के लिए उन्हें बुलाया जाता है। फिलहाल वह किशनपुरा के सरकारी स्कूल में हेडमास्टर हैं।

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CNG-Car ; गर्मियों में CNG कार का कैसे रखें ध्यान, लापरवाही की तो हो सकता है ब्लास्ट

CNG car : अगर आप भी सीएनजी कार चलाते हैं या फिर सीएनजी कार खरीदने की सोच रहे हैं तो तो यह खबर आपके काम की है। सीएनजी कार की कुछ जरूरी बातें सभी को पता होनी चाहिएं।

हम आपको बताएंगे कि CNG कार का कैसे ध्यान रखना पड़ता है। लापरवाही करने पर सीएनजी कार आग का गोला भी बन सकती है और आपकी जान जोखिम में पड़ सकती है।

आगर आपके पास सीएनजी (CNG) कार है तो सबसे पहले इसकी लीकेज चेक करते रहना चाहिए। हर तीन साल में सीएनजी सिलेंडर की हाइड्रो टेस्टिंग होती है। इस टेस्टिंग से पता चलता है कि सिलेंडर में कोई दिक्कत तो नहीं है।

बताते चलें की सीएनजी कार इन दिनों ग्राहकों के बीच काफी पापुलर मानी जा रही है। आप भी हर रोज चेक करते रहें कि सीएनली सिलेंडर कहीं लीक तो नहीं हो रहा है।

सीएनजी (CNG Car)  कार में गर्मियों में टैंक फुल करवाने से बचें। जब भी गैस भरवाएं तो सीएनली फुल न करवाएं।

सिलिंडर की मैक्सिमम लिमिट तक न जाएं। सिलेंडर 10 किलोग्राम का है तो आठ किलो तक सीएनजी भरवाएं।

 

सीएनजी सिलेंडर की एक्सपायरी डेट को चेक करें। आमतौर पर सीएनजी सिलेंडर की 15 साल की एक्सपायरी डेट होती है, जो गाड़ी की उम्र के साथ खत्म हो जाती है।

 

कार को धूप से बचाएं।
पेट्रोल और डीजल की गाड़ी की तरह सीएनजी (CNG Car)  कार काे भी धूप से बचाएं। कहीं भी गाड़ी पार्क करते समय  ऐसी जगह कार न खड़ी करें, जहां धूप ज्यादा हो।

 

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परवरिश हो तो ऐसी… अरबपति ने अपने बेटे से 20 साल तक छिपाई अमीरी, ताकि बेटे को न हो घमंड, न बने बिगड़ैल

आपको यह खबर 90 के दशक की किसी बॉलीवुड मूवी की कहानी लग रही होगी, लेकिन यह सत्य है कि एक शख्स ने अपने 20 वर्ष के बेटे से यह बात छिपाकर रखी कि वह अरबपति है। उसे हमेशा यह दिखाया गया कि उनकी कंपनी घाटे में चल रही है और कंपनी पर कर्जा है।

आलीशान बंगले छोड़कर वह वर्षों तक परिवार के साथ एक छोटे से फ्लैट में रहा। क्यों, क्योंकि वह चाहता था कि उसका बेटा जमीन से जुड़ा रहे, उसमें दौलत का अहंकार न आए, वह बिगड़ैल न बने और मेहनतकश बनकर अपने बूते पर कुछ करके दिखाए।

घटना चीन की है, जहां दिग्गज स्नैक्स कंपनी हुनान स्पाइसी ग्लूटेन लेटियाओ ब्रांड माला प्रिंस के फाऊंडर और प्रेजिडेंट जेंग यूडोंग ने हाल ही में यह खुलासा किया कि उनके बेटे झाल जिलोंग से यह बात उन्होंने छिपाकर रखी कि वह अरबपति है और उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 692 करोड़ रुपये हैं। युडोंग ने बताया कि वे चाहते थे कि उनका बेटा जमीन से जुड़ा रहे। संपत्ति का घमंड उस पर हावी न हो। उसे हमेशा मेहनत के लिए प्रेरित करते रहे।

बेस्ट स्कूल में एडमिशन के लिए उनके बेटे जिलोंग ने अपनी काबिलियत साबित की, इसके लिए परिवार से कोई सपोर्ट नहीं मिला। वह स्कूल के बाद 60 हजार रुपये प्रति माह की सेलरी की उम्मीद में था, ताकि वह अपने परिवार का कर्ज उतार सके। लेकिन अब उसे जाकर बताया गया कि वह कितनी बड़ी कंपनी का मालिक है और कंपनी पर कर्ज नहीं है। अभी भी युडोंग ने कहा है कि वह कंपनी की पूरी कमान जिलोंग को तभी सोंपने पर विचार करेंगे, जब उसकी परफॉरमेंस सभी पैमानों पर खरी उतरेगी।

जिलोंग ने बताया कि मेरा पालन पोषण पिंगजियांग काऊंटी के एक साधारण फ्लैट में हुआ। हालांकि मैं पापा केे ब्रांड के बारे में जानता था, लेकिन मुझे बताया गया कि बिजनेस चलाने के लिए परिवार पर काफी कर्जा हो गया है। अब ग्रेजुएशन के बाद असलियत सामने आई। इसके बाद परिवार अपने आलीशान बंगले में शिफ्ट हुआ। इसके बाद वह ट्रेनी के रूप में कंपनी में जुड़ा है।

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बिना चालक के 80 की स्पीड पर 78 किलोमीटर दौड़ती गई माल गाड़ी, कई स्टेशनों पर रोकना चाहा नहीं रुकी

होशियापुर। बर्निंग ट्रेन मूवी तो आपको याद होगी ही, जिसमें एक ट्रेन में आग लगने के बाद ट्रेन बेकाबू होकर दौड़ रही होती है और हर स्टेशन पर उसे रोकने का प्रयास किया जाता है। इसी तरह का मामला सामने आया है, हालांकि ट्रेन में आग तो नहीं लगी, लेकिन बिना चालक की यह माल गाड़ी 78 किलोमीटर दौड़ती गई।

ट्रेन की रफ्तार भी 80 किलोमीटर प्रति घंटा थी, कई स्टेशनों पर इसे रोकने के विफल प्रयास हुए और आखिरकार होशियारपुर के पास जाकर ट्रेन को लकड़ी के स्टॉपर लगाकर रोका गया। अब घटना के जांच के आदेश रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिए हैं।

जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर के कठुआ से मालगाड़ी (14806 आर) के चालक ने मालगाड़ी का इंजन तो स्टार्ट कर दिया, लेकिन बिना हैंड ब्रेक लगाए, वह नीचे उतर गया। स्टेशन पर पठानकोट की तरफ ढलान थी, जिस कारण हैंड ब्रेक न होने पर माल गाड़ी ढलान की तरफ अपने आप चल पड़ी और आगे आगे दौडऩे लगी।

रेलवे स्टेशन के अधिकारियों ने कठुआ में ही उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे। देखते ही देखते गाड़ी ने रफ्तार पकड़ ली और 80 किमी की रफ्तार से भागने लगी। कठुआ रेलवे स्टेशन के अधिकारियों ने तुरंत पंजाब के पठानकोट में सुजानपुर रेलवे स्टेशन के रेलवे अधिकारियों से संपर्क किया।

वहां भी ट्रेन को रोकने की कोशिश की गई। रेलवे लाइन पर स्टॉपर लगाए गए। इस बार भी कोशिश विफल रही और मालगाड़ी स्टेशन क्रॉस कर गई। इसके बाद मालगाड़ी को पठानकोट कैंट, कंडरोड़ी, मीरथल, बंगला और मुकेरियां में भी रोकने की कोशिश की गई। कई प्रयासों से माल गाड़ी की रफ्तार कम होने लगी। आखिर में होशियारपुर के ऊंची बस्सी रेलवे स्टेशन पर लगाए गए लकड़ी के स्टॉपर से मालगाड़ी रुक गई।

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सूर्यदेव भी मुस्कुराते हैं, देखिए नासा ने जारी की अद्भुत तस्वीर

हम सबने यही देखा और सुना है कि सूर्य देव आग उगलते हैं, लेकिन पहली बार सूर्य की हंसते हुए क्यूट पिक्चर सामने आई है। आप भी देखकर हैरान रह जाएंगे। नासा के सेटेलाइट ने एक अद्भुत पिक्चर रिकॉर्ड की है, जिसमें सूर्य केे अंदर उत्पन्न हो रही एनर्जी व अन्य घटनाओं को देखकर ऐसा लगता है जैसे सूर्य मुस्कुरा रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे सूर्य देव अच्छे मूड में हैं।

यह पिक्चर गुरूवार को रिकॉर्ड की गई है, जिसे नासा ने सोशल मीडिया पर शेयर किया। साथ ही लिखा कि ‘आज नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने सूर्य को मुस्कुराते हुए कैमरे में कैद कर लियाÓ। दरअसल सूर्य पर हंसते हुए चेहरे का आकार दे रहे इन काले धब्बों को कोरोनल होल के रूप में पहचाना गया है, इन क्षेत्रों से तेज सोलर हवाएं पूरे अंतरिक्ष में चलती हैं।

एकबारगी तो तस्वीर देखने पर लगता है कि सूर्य हमारी तरफ देख कर मुस्कुरा रहे हैं। काले धब्बे से सूर्य की दो आंखें बन रही हैं तो बीच में मोटा गोल नाक दिख रहा है जबकि उसके नीचे मुस्कान नजर आ रही है। नासा ने 2010 में ऑब्जर्वेटरी को लांच किया था, तब से यह अंतरिक्ष में सूर्य की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। इससे पहले अक्टूबर 2014 में भी एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें सूर्य का चेहरा डरावना नजर आया था।

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दुनिया के सबसे गंदे आदमी की मौत, बिना नहाए 50 साल जिआ, नहाया तो मरा

तेहरान। आप यह पढ़कर यकीन नहीं करोगे कि दुनिया के सबसे गंदे आदमी की 94 वर्ष की आयु में मौत हो गई है। पिछल् 50 साल से अधिक समय से बिना नहाये रह रहे इस शख्स को कुछ समय पहले ग्रामीणों ने पकड़कर नहला दिया था और कुछ ही दिनों बाद उसकी अब मौत हो गई है। इस व्यक्ति ने उस थ्योरी को गलत साबित किया है कि साफ स्वच्छ रहने से हम निरोग रहते हैं। यह व्यक्ति गंदगी युक्त जीवन भी 94 वर्ष तक जीआ। इतना ही नहीं अमो हाजी नामक इस शख्स ने न केवल 50 साल तक पानी और साबुन से दूरी बनाई बल्कि वह सड़ा गला मांस खाता था और गंदा पानी पी रहा था। उसे डर था कि वह सफाई से बीमार हो सकता है। यह आदमी इरान के दक्षिणी प्रांत फारस में रहता था।

पूरा शरीर पड़ चुका था काला

लोगों ने उसे काफी बार साफ सफाई के लिए कहा, लेकिन वह हमेशा इनकार कर देता था। उनके दबाव में ही वह कुछ दिन पहले नहाया तो बाद में उसकी मौत हो गई। नहाने के कुछ समय बाद वह बीमार हो गया और रविवार को उसने दम तोड़ दिया। वह गड्ढे में ईंटों की झोपड़ी बनाकर रहता था और नहाए न होने के चलते उसका पूरा शरीर काला पड़ चुका था। नहाने की बात से ही वह उदास हो जाता था। लंबे समय तक न नहाने का रिकॉर्ड भी उसके नाम है।

असफल हुआ तो नहाया नहीं

आपको बता दें कि 2009 में भारत के भी एक व्यक्ति ने दावा किया था कि उसे 35 साल हो गए बिना ब्रश किए और नहाए। लेकिन उसके आगे का डेटा उपलब्ध नहीं है। तेहरान की मीडिया के अनुसार हाजी जब युवा था, तब वह असफलताओं से परेशान होकर ऐसा रहने लगा। सर्दी से बचने के लिए वह युद्ध में प्रयोग होने वाला हेलमेट पहने रहता था। उसे धुम्रपान करने की बुरी तरह से लत लगी हुई थी। जब सिगरेट नहीं होती थी तो वह पाइपों के टुकड़ों में जानवरों का मल भरकर उसका धुम्रपान करता था।

जानवरों के मल से धूम्रपान की लत

तेहरान टाइम्स की मुताबिक, अपनी युवावस्था में कई ‘असफलताओं’ का सामना करने के बाद हाजी ने इस तरह का जीवन जीने का फैसला किया। वह एक वॉर हेलमेट पहनकर रखते थे ताकि वह सर्दी से खुद को बचा सकें। उन्हें ध्रूमपान की बहुत बुरी लत थी। अक्सर वह जंग लगे पाइप के टुकड़ों में जानवरों का मल भरकर उससे ध्रूमपान करते थे। वह कहते भी थे कि नहाने से वह बीमार पड़ सकते हैं।

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