Amar singh chamkila ; इम्तियाज़ की फिल्म में दिलजीत ने अमर सिंह चमकीला का निभाया किरदार, अमर सिंह चमकीला की कहानी दिल दहला देने वाली, कातिल आज तक नहीं पकड़े जा सके

Diljeet dosanjh as Amar singh chamkila : अमर सिंह चमकीला फिल्म मशूहर पंजाबी सिंगर चमकीला की जीवनी पर आधारित ये फिल्म 12 अप्रैल 2024 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ होने वाली है। जब फिल्मी मनोरंजन की दुनिया में खबर आई थी कि इम्तियाज़ पंजाबी सिंगर चमकीला के जीवन पर फिल्म बनाने वाले हैं तो इसे हर तरह का रिएक्शन मिला। लोग अपने कमेंट में लिखने लगे कि इस फिल्म को हिंदी में बनाने की ज़रूरत है।

 

कुछ लोगों ने लिखा कि पंजाबी कलाकारों का हिंदीकरण मत कीजिए। इम्तियाज़ ने ऐसे सवालों का सिर्फ एक ही जवाब दिया . कि ये एक ज़रूरी कहानी है जिसे वो बड़ी ऑडियंस तक लेकर जाना चाहते हैं। लेकिन चमकीला वो कलाकार थे जिनका सिंगिंग करियर सिर्फ 10 साल का था। जबकी इसी की बदौलत उन्हें शोहरत मिली और उनके गानों की वजह से महज़ 27 साल की उम्र में चमकीला के सीने में गोलियां दाग दी गईं। वो आज भी पंजाबियों के दिलों में ज़िंदा हैं। उनके गाने आज भी अमर हैं। इसलिए इम्तियाज़ अली जैसे बड़े डायरेक्टर उन पर फिल्म बना रहे हैं।

 

चमकीला का अर्थ मतलब जो चमकता हो। अमर सिंह को इसी उपनाम से जाना जाता है। 21 जुलाई 1960 को उनका जन्म हुआ था। चमकीला का बचपन लुधियाना के पिंड डुगरी में बीता वहीं जवानी पूरे पंजाब में पंजाबी सिंगर के रूप में पंजाबी गानो में बीती। कहा जाता है कि उनका सपना था इलेक्ट्रिशियन बनने का, पर पैसों की तंगी के चलते कपड़े की मिल में काम करना पड़ा। लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंज़ूर था। शायद वो जिसकी उम्मीद खुद चमकीले को भी कभी नहीं होगी। चमकीले को पंजाबी म्यूज़िक का शौक बचपन से ही था। शौक के चलते उन्होंने हारमोनियम और ढोलकी भी सीख ली थी। पर स्टेज तक आते-आते उन्होंने अपने हाथ में तुम्बी को गानों की तर्ज की लगाव में प्यार से अपना लिया था। इस प्रकार चमकीला कपड़े की मिल में काम करते-करते गाने भी लिखने लगे थे।

 

ये वो दौर था जब सुरिंदर शिंदा और कुलदीप मानक जैसे सिंगर पंजाबियों के फेवरेट थे और गुरदास मान उसी ट्रैक पर चलने की तैयारी में थे। सुरिंदर शिंदा का कहना है कि चमकीला ने उन्हें ही सबसे पहले एप्रोच किया था। तब चमकीला की आयु 18 वर्ष थी। तब उन्होंने शिंदा के लिए गाने लिखने शुरू किए, जिसका अच्छा रिस्पॉन्स श्रोताओं से मिला। पर घर का खर्च निकालने में अभी भी चमकीला को दिक्कत आ रही थी। इस प्रकार पैसों की तंगी आने पर चमकीला ने शिंदा का दामन छोड़ खुद से लिखे हुए गानें को गाना की सोची और कुछ ही टाइम बाद साथ गाने का भी मौका मिला। इस प्रकार चमकीला का धीरे-धीरे अकेले गाने का हौसला बढ़ता गया।

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उनका अब तक का सफर तो वैसा ही चल रहा था, जैसा शायद हर संघर्षी व्यक्ति का होता है। लेकिन एक बार चमकीले ने पंजाबी गाने अपने देशी सुर में गाने शुरू किये, उन्होंने पंजाबी गायकी में सभी को पछाड़ के रख दिया। आखिर ऐसी बढ़ती हुई लोकप्रियता इस जवान लड़के में, जिसने सुरिंदर शिंदा, कुलदीप मानक और गुरदास मान जैसे स्थापित सिंगर्स को बैकफुट पर ला खड़ा कर दिया था।

 

दरअसल लिरिक्स के साथ-साथ चमकीले की स्टेज प्रेज़ेंस भी काफी अलग हो गई थी। उनके लिरिक्स में उस दौर के पंजाब के पंजाबी लोगों की सच्चाई थी। सूबे में बढ़ता हुआ नशा हो या घर में औरतों से मार-पिटाई, चमकीला हर किरदार की बात को बेबाकी से अपने गानों के ज़रिए ज़ाहिर कर दिया करता था। कभी गाते-गाते बीच में कमेंट्री करने लगता तो कभी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की बात या फिर गाली-गलौज। हर बात ज्यों की त्यों लोगों के सामने रख देता था। एक लाइन में कहें तो वो पंजाबियों को पंजाबी जीवन का आईना दिखाता था। चमकीला समाज पर तंज कसते हुए उनकी लाइफस्टाइल का, उनमें जाति के रुआब का गानों के लिरिक्स में कटाक्ष करता हुआ कहता था कि बुरा मत मानना, घर में भी तो सब ऐसे ही बोलते हैं !

 

ये सब कहना तब ज़्यादा महत्व रखता है जब आप लाइव गा रहे हों। चमकीले के ज़्यादातर पंजाबी गाने लाइव स्टेज परफॉर्मेंस के ही हैं। 5-6 फुट की स्टेज सजती थी उन जमाने में तब चमकीला गाते । चमकीला 4.5 साल में ही हर पंजाबी के मुंह पर चढ़ गए और दिल में फंस गए।

 

बात चमकीले की हो रही हो और उसमें अमरजोत कौर का ज़िक्र न हो ! संभव नहीं ! अमरजोत, जो हर स्टेज परफॉर्मेंस में चमकीले के साथ नज़र आती थीं। उतनी ही एनर्जेटिक और जोशीली पतली और तीखी आवाज़ में गाने वाली अमरजोत का चमकीला से वास्ता सन 1980 में पड़ा।

 

तब तक चमकीला कुछेक गाने गा चुके थे। लेकिन चमकीले को ज़रूरत थी स्टेज पार्टनर की, सोनिया और मिस ऊषा नाम की गायिका के साथ पहले ही काम कर चुके थे। लेकिन खोज अभी भी जारी थी। एक ऐसी गायिका की जो चमकीले के तेवरों को मिलान कर सके। पर खोज रुकी अमरजोत पर जाकर जो शादीशुदा थीं। पर सिंगिग के पैशन के चलते, पति को तलाक दे दिया और जुड़ गईं अपने नगमों की दुनिया में चमकीले के साथ।

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कुछ महीने स्टेज पर साथ बिताने के बाद दोनों सिंगरो ने ज़िंदगी भी साथ बिताने का फैसला कर लिया। इसी प्रकार चमकीले ने भी कुछ समय बाद अपनी पत्नी को तलाक दे दिया। अमरजोत इससे पहले कुलदीप मानक के साथ भी गाना गा चुकी थीं। लेकिन असल पहचान अमरजोत को चमकीले के साथ ही मिली। चमकीला के बारे में एक बात काफी सुनने में आती है कि उसका ऐसा कोई दिन खाली नहीं जाता था। जहां उसका रोज़ कहीं न कहीं शो होता था। एक फिल्म की रिसर्च के दौरान भी इस बात की पुष्टि हुई है।

 

रिसर्च के मुताबिक चमकीला ने 365 दिनों में 366 सिंगिग शो के परफॉर्म किए है और इस दौरान चमकीला की आवाज़ पंजाब और देश से बाहर निकल विदेशों की सरजमीं तक जा पहुंची। कनाडा, अमेरिका और दुबई जैसे कई देशों में भी चमकीला की ललकार गूंजी। ये एक ऐसा गायक था, जो गाते-गाते कुछ भी कहने लगता था। पर ऐसे, जैसे कोई अपने दोस्त से बात कर रहा हो, लेकिन बिना किसी झिझक के आवारा लड़के की बात करता.करता बीच में गुरबाणी का भी ज़िक्र कर जाता था। शादी-ब्याह में भी गाता था और 80 के दशक में भी 4000-4500 रुपए प्रति शो कमाया करता था।

 

मिड 1980 तक चमकीला खूब फेमस हो चुका था। पर इसी दौरान पंजाब में आतंकवाद का भी दौर था। पंजाब में तनाव का माहौल था, ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद हर तरफ मायूसी पसरी हुई थी। आतंकवादियों और पुलिस के बीच एनकाउंटर खबरें अखबारों की सुर्खिंयों मे जारी रहती थी। इस तरह तनावपूर्ण माहौल मेेें उन दिनों लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे। अखबारों में रोज़ किसी न किसी की मौत की खबर छपती ही रहती थी। ऐसे समय में चमकीला के अखाड़े में 200-300 लोगों का इकट्ठा होना ही एक बहुत बड़ी कामयाबी थी। और इसी से ये भी पता चलता है कि वो लोगों के दिल में अपनी गायकी को लेकर कितने फंसे हुए थे।

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चमकीले में एक और चीज़ थी जो सिंगर्स से उसे अलग बनाती थी। जट्टों के गढ़ पंजाब में एक दलित समुदाय का सिंगर लोगों के दिलों पर छाया हुआ था। चमकीला एक पिछड़ी जाति से आते थे, लेकिन फिर भी लोगों ने खासकर जट्टों ने उनको उनकी कला के लिए मान बख्शा और इसी मान के चलते चमकीला अपने साथ के जट्ट सिंगर्स से काफी आगे निकल गए थे। हालांकि वो अपने गानों में जट्टों का खूब ज़िक्र किया करते थे। उनके गाने पंजाबी फोक सिंगिंग को ऐसी पहचान देकर गए कि आज भी लोग उन्हें उतने ही चाव से सुनते हैं और शायद चमकीला ही आज के दौर में गिन्नी माही जैसे दलित सिंगर्स को फख्र से अपनी पहचान खुलकर जाहिर करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

 

चमकीला ने कुल मिलाकर अपने जीवन में केवल नौ साल गाने गाए थे और इन 9 सालों में अपनी गायिकी की वजह से जहां उन्होंने कइयों का दिल जीता, वहीं समाज की सच्चाई बयां करते उनके गानों के बोल कइयों के दिमाग में खटकने लगे। ये आवाज उन लोगों को इतनी खटकती थी चमकीला और उसकी पत्नी की हत्या बंदूक की गोलियां से कर दी थी।

 

मंगलवार के दिन, 8 मार्च 1988 को महसामपुरए जलंधर से करीब 40 किलोमीटर दूर चमकीला अपनी पत्नी और स्टेज पार्टनर अमरजोत कौर के साथ यहां परफॉर्म करने आए थे। इसी बीच कुछ युवक मोटर साइकिल पर आए और अंधाधुंध गोलियां चलाईं और कुछ ही पलों में वे युवक फरार हो गए। पीछे छोड़ गए चमकीला और अमरजोत कौर का गोलियों से छलनी मृत शरीर को।

 

चमकीला के कातिल आज तक न तो कभी पकड़े गए और न ही कोई अब तक कोई खबर लगी। इस मौत से कई अंदेशे लगाए जाते हैं कि जैसे कि खालिस्तानी आतंकियों ने उनके गानों के बोल की वजह से उन्हें मारा होगा या उनके साथ के प्रतियोगियों ने उन्हें मरवा दिया होगा।

 

इस प्रकार बदलते दौर में एक और एंगल उनकी मौत को दिया जाता गया है। वो ये कि अमरजोत जट्ट कौम से थी और चमकीला दलित ये भी हत्या करवाने की वजह बताई जाती है। करियर के टॉप पर चमकीला और अमरजोत कौर तो चले गए । पर पीछे छोड़ गए ऐसे 200 गीतों के बोलए जिन्हें गाया जाना बाकी रह गया था।

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