Haryana Lok Sabha election : हरियाणा में अबकी बार लोकसभा चुनावों में भाजपा-जजपा नेताओं की परेशानी बढ़नें से कम नही हो रही है। हरियाणा में दोनों पार्टिंयों के प्रति लोगों और खापों में भारी रोष है। सर्वखापों ने मीटिंग बुलाकर भाजपा-जजपा नेताओं के गांवों में होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रमों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। वहीं खापों ने भाजपा व जजपा पर आपसी भाईचारा खराब करने का आरोप लगाते हुए स्पष्ट किया कि, चुनाव के दौरान नेताओं के चक्कर में आपसी भाईचारा खराब नहीं होने देंगे।
30 अप्रैल को दादरी में होने वाली सीएम की रैली का होगा बहिष्कार
दादरी के स्वामी दयाल धाम (Haryana Lok Sabha election) पर फोगाट खाप प्रधान बलवंत नंबरदार की अध्यक्षता में सर्वखाप पदाधिकारियों की बैठक हुई। सर्वखापों की बैठक में सांगवान, श्योराण, फोगाट सहित आधा दर्जन खापों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। इस दौरान सर्वसम्मति से भाजपा और जजपा के सार्वजनिक कार्यक्रमों के बहिष्कार का निर्णय लिया। साथ ही 30 अप्रैल को दादरी में होने वाली सीएम नायब सैनी की रैली का बहिष्कार किया जाएगा।
5 मई को होगी महापंचायत, लिए जाएंगे कई अहम फैसले
लोकसभा चुनाव (Haryana Lok Sabha election) को लेकर 5 मई को दादरी में सर्वजातीय सर्वखाप महापंचायत बुलाई है। महापंचायत में भाजपा व जजपा के खिलाफ आगामी रणनीति तय की जाएगी। वहीं खापों ने आरोप लगाया कि, भाजपा ने कभी किसानों तो कभी खिलाड़ियों के साथ अन्याय किया।
हर वर्ग भाजपा (Haryana Lok Sabha election) की नीतियों से परेशान हुआ। शुरू से ही खापों की भूमिका आपसी भाईचारा कायम करने की रही है। इसके बावजूद भाजपा ने भाईचारा खराब करते हुए अपने स्वार्थ की राजनीति की है। पंचायत खापें ऐसा नहीं होने देंगे। प्रधान बलवंत नंबरदार ने सर्वखाप पदाधिकारियों की बैठक के बाद बताया कि, आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 5 मई को कई अहम व बड़े निर्णय लिए जाएंगे।
Haryana politician family news : अबकी बार 2024 के लोकसभा चुनावों में हरियाणा की राजनीति में परिवर्तन के साथ नया भूचाल आया है । हरियाणा में 1980 के दशक में राज करने वाले तीन ‘लाल’ की राजनीतिक का वर्चस्व खत्म होता जा रहा है, वहीं चौथे लाल ‘मनोहर लाल’ इस समय सक्रिय राजनीति में हैं। 1 नवंबर 1966 को हरियाणा बनने के बाद प्रदेश के तीन लाल ‘देवीलाल, बंसीलाल, भजनलाल’ ने राजनीतिक की कमान संभाली।
लंबे समय तक बदल-बदल कर तीनों लाल ने हरियाणा में राज किया। इनमें पूर्व सीएम देवीलाल देश के उपप्रधानमंत्री पद तक भी पहुंचे। जबकि, बंसीलाल और भजनलाल हरियाणा के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में सक्रिय रहे। तीनों लाल के बाद उनके परिवारों ने राजनीतिक विरासत को संभाला और हरियाणा में सक्रियता दिखाई। बंसीलाल के बेटे स्व. सुरेंद्र सिंह प्रदेश में मंत्री रहे।
सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी किरण चौधरी आज भी सक्रिय राजनीति कर रही हैं। अबकी बार लोकसभा चुनाव के परिदृश्य से बंसीलाल का परिवार बाहर हो गया है। कांग्रेस की आपसी खींचतान के चलते बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को संभाल रही श्रुति चौधरी को इस बार टिकट नहीं दी।
देवीलाल परिवार की वर्चस्व की लड़ाई
इस बार लोकसभा चुनावों में देवीलाल परिवार (Haryana politician family news ) की वर्चस्व की लड़ाई है। देवीलाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। देवीलाल की तीसरी पीढ़ी इस समय सक्रिय राजनीति में है। देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला, पोते की पत्नी नैना चौटाला और सुनैना चौटाला, इस बार लोकसभा चुनावों में जंग के मैदान में उतरे हैं।
भजनलाल का परिवार भी इस बार लोकसभा चुनाव से बाहर
इस बार लोकसभा चुनाव (Haryana politician family news ) से हरियाणा के तीसरे लाल यानी भजनलाल का परिवार भी बाहर हो गया है। भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई हिसार से भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदार थे। वहीं, भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन को हिसार से कांग्रेस प्रत्याशी बनाने के लिए कांग्रेस का एक गुट जोर लगा रहा था। दोनों ही भाइयों को कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से निराशा ही हाथ लगी है। इस चलते दोनों भाई फिलहाल घर बैठ गए हैं।
हरियाणा का चौथा लाल, अभी है मस्त उल्लास
हरियाणा का चौथा लाल पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर को माना जाता है। मनोहर लाल हरियाणा की राजनीति में अभी मस्त उल्लास हैं। हरियाणा में भाजपा ने वर्ष 2014 के दौरान मनोहर लाल को राजनीति में उतारते हुए नारा दिया कि, तीन लाल के बाद अब चौथे लाल हरियाणा को बनाएंगे बेमिसाल। मनोहर लाल इस समय भाजपा की राजनीति के मुखिया के रूप में काम कर रहे हैं। बीजेपी ने उन्हें फ्री हैंड दिया हुआ है। करीब साढ़े नौ साल मुख्यमंत्री रहने के बाद अब वह करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
Haryana Lok Sabha Election 2024 : हरियाणा के लिए कांग्रेस ने जैसे ही अपने आठ प्रत्याशियों के नाम लोकसभा चुनावों की सीटों के लिए घोषणा की, राजनीति को लेकर रोमंचाक बातें सामने आई। 33 साल बाद लोकसभा इलेक्शन में पहली बार ऐसा होगा, हरियाणा के पूर्व सीएम बंसीलाल के परिवार का कोई सदस्य मैदान में नहीं होगा।
कांग्रेस ने किया बंसीलाल के परिवार के सदस्यों से किनारा
हरियाणा में कांग्रेस ने लोकसभा प्रत्याशियों (Haryana Lok Sabha Election 2024 ) की घोषणा करने के बाद साफ दिख रहा है। पार्टी हाईकमान ने पूर्व सीएम बंसीलाल के सदस्यों को किनारा करते हुए, उनकि पोती श्रुति चौधरी को भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से टिकट नहीं दिया है।
सन् 1977 से लेकर 2019 तक सिर्फ एक बार साल 1991 को छोड़कर ऐसा रहा जब बंसीलाल या उनके परिवार का कोई सदस्य लोकसभा के इलेक्शन मैदान में नहीं उतरा।
अबकी बार लोकसभा चुनाव में भजनलाल परिवार से भी कोई नहीं मैदान में
हरियाणा में 26 साल बाद भजनलाल परिवार का भी कोई सदस्य चुनावी मैदान (Haryana Lok Sabha Election 2024 ) में नहीं उतरेगा। पूर्व सीएम भजनलाल 1989 में फरीदाबाद से और 1998 में करनाल से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे थे। भजनलाल परिवार ने 2009 से 2019 तक हिसार सीट से लोकसभा का इलेक्शन लड़ा है। लेकिन अबकी बार हिसार से कांग्रेस ने पूर्व कंेद्रीय मंत्री जयप्रकाश जेपी को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने रणजीत चौटाला को टिकट दिया है। ऐसे में पहला अवसर होगा, 26 साल बाद भजनलाल परिवार से कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं होगा। क्योंकि भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई भाजपा में पिछले कुछ महिनों में शामिल हो चुके हैं, लेकिन भाजपा ने उसे हिसार से टिकट नहीं दिया।
अबकी बार चुनावी जंग में देवीलाल तथा चौटाला परिवार का अस्तित्व की लड़ाई
हरियाणा के चर्चित लालों में से एक और लाल परिवार भी शामिल है। हरियाणा के पूर्व सीएम देवीलाल के परिवार के तीन सदस्य एक ही सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने रणजीत चौटाला को हिसार सीट से टिकट दिया है। वहीं इनेलो से सुनैना चौटाला और जेजेपी से नैना चौटाला इसी सीट पर चुनावी (Haryana Lok Sabha Election 2024 ) मैदान में हैं। रणजीत सिंह चौटाला देवीलाल के बेटे हैं। जबकी सुनैना चौटाला देवीलाल के पौत्र रवि चौटाला की धर्म पत्नी है। वहीं नैना चौटाला ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला की पत्नी और हरियाणा के पूर्व सीएम दुष्यंत चौटाला की मां हैं। इसी प्रकार चुनावी मैदान में कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट पर ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला चुनाव लड़ रहे हैं।
अंबाला सीट पर 25 साल बाद फिर सियासी जंग में कटारिया और चौधरी परिवार
हरियाणा की अंबाला सीट (Haryana Lok Sabha Election 2024 ) पर अबकी बार रोमांचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। अबकी बार कांग्रेस ने विधायक वरूण चौधरी को टिकट दिया है। चुनावी मैदान में उनके सामने भाजपा की उम्मीदवार रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया होगी। वरूण चौधरी के पिता फूलचंद मुलाना ने जब सन् 1999 में यहां से चुनाव लड़ा था, तब उनके सामने भाजपा के प्रत्याशी रतनलाल कटारिया थे। रतनलाल कटारिया का बीते साल निधन हो गया था। इस प्रकार 25 साल बाद एक बार फिर चौधरी और कटारिया परिवार चुनावी मैदान में आमने सामने होंगे।
सोनीपत सीट पर जाटों के बिना होगा मुकाबला
हरियाणा की सोनीपत सीट (Haryana Lok Sabha Election 2024 ) पर कांग्रेस के टिकट की काफी चर्चा में है क्योंकि अबकी बार कांग्रेस ने यहां से सतपाल ब्रह्माचारी को प्रत्याशी बनाया है। सतपाल मूल रूप से हरियाणा के निवासी हैं, पर वह उत्तराखण्ड की हरिद्वार लोकसभा सीट पर राजनीति करते रहे हैं। सतपाल ब्रह्माचारी को कांग्रेस ने हरिद्वार सीट से 2012 और 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया था। पर दोनों ही चुनावों में उन्हें हार मिली थी। सतपाल ब्रह्माचारी हरिद्वार नगर पालिका के अध्यक्ष भी रहे हैं और हरिद्वार में उनका आश्रम है। यह भी रोमांच है कि सोनीपत में इस बार बीजेपी और कांग्रेस से कोई जाट नेता प्रत्याशी मैदान में नहीं है।
अबकी बार मुकाबला इसलिए रोमांचक है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में जब हरियाणा में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यहां से चुनाव लड़ा था तो भाजपा के प्रत्याशी रमेश चंद्र कौशिक ने उन्हें लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। अबकी बार भाजपा ने राममेहर सिंह लोहिया को मैदान में उतारा हैं।
रोहतक सेे अबकी बार फिर दीपेंद्र हुड्डा
हरियाणा से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा को पार्टी हाईकमान ने रोहतक सीट (Haryana Lok Sabha Election 2024 ) से चुनाव मैदान में उतारा है। हरियणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा के लिए लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। वें यहां से तीन बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं। पर पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर की वजह से 65 हजार वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे।
फरीदाबाद सीट पर अबकी बार फिर जाट प्रत्याशी नहीं
अबकी बार लोकसभा चुनावों में फरीदाबाद सीट पर भाजपा और कांग्रेस ने गुर्जर उम्मीदवारों को टिकट दिया है। 1999 के लोकसभा चुनाव (Haryana Lok Sabha Election 2024 ) में यहां से जाट नेता रामचंद्र बैंदा चुनाव जीते थे और यह इलेक्शन जीत कर उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई थी। 1999 के बाद से फरीदाबाद से कोई भी जाट नेता सांसद का चुनाव नहीं जीत पाया।
सिरसा सीट पर फिर लौटी कुमारी सैलजा
हरियाणा की लोकसभा सिरसा सीट (Haryana Lok Sabha Election 2024 ) पर अबकी बार रोमांचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। हरियणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी सैलजा को कांग्रेस से लोकसभा सीट का टिकट मिला है। वहीं उनके सामने होंगे भाजपा के प्रत्याशी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष डॉ तंवर सिंह। सिरसा सीट से कुमारी सैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह चार बार और सैलजा खुद दो बार सांसद का चुनाव जीत चुकी हैं। 1998 में सैलजा ने यहां से चुनाव लड़ा था। लेकिन 2004 केबाद से वह अंबाला सीट से चुनाव लड़ती रही हैं। 20 साल बाद उन्होंने सिरसा की सीट पर वापसी की है।
हिसार लोकसभा सीट पर बृजेंद्र सिंह का कटा टिकट
टिकट बंटवारे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद का ध्यान रखा गया है, क्योंकि हिसार सीट (Haryana Lok Sabha Election 2024 ) पर चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह को टिकट नहीं मिला है। चौधरी बीरेंद्र सिंह पहले कांग्रेस में ही थे। लेकिन 2014 में वह भाजपा में शामिल हो गए थे। कुछ दिन पहले ही वह कांग्रेस वापस ज्वॉईन हुए हैं। वहीं बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार से कांग्रेस का टिकट मिलना तय माना जा रहा था। जबकी पिछली लोकसभा इलेक्शन 2019 में बृजेंद्र सिंह भाजपा की टिकट पर सांसद बने थे।
Haryana Roadways : हरियाणा रोडवेज में हैप्पी कार्ड की स्कीम सरकार ने आम जनता के हित के लिए शुरुआत की है। इस स्कीम को पिछले महीने आदर्श आचार संहिता से पहले लागू की गई है। हैप्पी कार्ड योजना तहत ई-स्मार्ट कार्ड को एटीएम की तर्ज पर बनाया गया है। जबकी, इस स्मार्ट कार्डों को ई-टिकटिंग मशीनों से जोड़ दिया गया है। ई-टिकटिंग मशीन पर कार्ड का नंबर डालते ही फ्री टिकट काटे जाएंगे।
बता दें कि, कैथल के नए बस स्टैंड (Haryana Roadways) पर दो दिन पहले ही कार्ड देना शुरू किए गए हैं। अब इन सहायता केंद्र पर कार्ड लेने वाले लाभार्थियों की भीड़ लगातार जुट रही है। जबकी, इस स्कीम के अनुसार, पहले मैसज न आने के कारण हैप्पी कार्ड नहीं मिल पा रहे थे। इसके बाद कुछ समय पहले ही लाभार्थियों को कार्ड लेने के लिए मैसज आना शुरू हो गए थे। प्रोसेस में मैसज में स्मार्ट कार्ड को चालू करने के लिए ओटीपी भी भेजे जा रहे हैं।
मोबाइल पर आया ओटीपी कितने दिनों तक रहेगा मान्य ?
हरियाणा रोडवेज (Haryana Roadways) विभाग की ओर से लाभार्थियों के मोबाइल पर आया ओटीपी 30 दिनों के लिए मान्य रहेगा। कैथल नया बस स्टैंड (Haryana Roadways) के बस डिपो के पास काउंटर पर ई-स्मार्ट बनने शुरू हो गए हैं। ई-स्मार्ट कार्ड लेने वाले यात्रियों ने बताया कि, उन्होंने हैप्पी परिवार अंत्योदय योजना के लिए एक महीने पहले योजना के लिए आवेदन किया था।
उसके पास जो पहले मैसज आए थे उस मैसज को निरस्त किया गया था। इसके बाद दोबारा मैसज भेजना शुरू कर दिए गए थे। स्कीम के अनुसार, अभी तक करीब 10 हजार लाभार्थियों के कार्ड के लिए आवेदन किया है। कैथल नया बस अड्डा के ड्यूटी प्रभारी निरंजन सिंह ने बताया कि, लाभार्थियों के पास मैसज आने के बाद ई-स्मार्ट कार्ड को चालू करना शुरू कर दिया गया है। यह एटीएम की तर्ज पर बनाया गया है।
ईतने कि.मी तक यात्रा कर सकते हैं मुफ्त ?
अगर आपने हैप्पी कार्ड बनवा लिया हैं तो, आप इससे हरियाणा रोडवेज (Haryana Roadways) बसों में एक साल में 1000 किलोमीटर तक की यात्रा मुफ्त कर सकते हैं। आप 50 रुपये की फीस जमा कर कार्ड प्राप्त कर सकते हैं।
HBSE Smart Phone : हरियाणा में सरकारी स्कूलों में आई अधिगम के तहत दसवीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्मार्टफोन (HBSE Smart Phone) उपलब्ध कराए जाएंगे पिछले शासन में जो विद्यार्थी इन कक्षाओं में थे। उनसे टैबलेट एकत्रित कर लिए गए हैं।
अब की अधिगम के तहत दसवीं से 12वीं कक्षा को दिए गए टैबलेट (HBSE Smart Phone) सफल में वापस जमा करवा लिए गए हैं, अब विभाग ने सभी टैबलेट को रिसेट करने के आदेश दे दिए हैं।
छात्रों को कब दिए जाएंगे टैबलेट ?
टैबलेट रिसेट होने के बाद 3 मई को सभी छात्रों को वापस टैबलेट (HBSE Smart Phone) दे दिए जाएंगे और 3 मई से पहले सभी टैबलेट को अपडेट करवाना आवश्यक है। वहीं छात्रों को बोला हैं सॉफ्टवेयर का लगातार इस्तेमाल के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए हैं विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को टैबलेट एवं सिम मांग के बारे में निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
जिले में कितने छात्रों को मिलेगा टैबलेट ?
जारी SOP के मुताबिक नई शैक्षणिक सत्र 2024 – 25 के कक्षा दसवीं के विद्यार्थियों को टैबलेट (HBSE Smart Phone) दिया जानना है। ऐसे में अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी राजकीय सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय को निर्देश जारी करने को कहा गया है।
शिक्षा अधिकारियों के मुताबिक जिले में दसवीं से 12वीं के लगभग 16000 विद्यार्थियों को टैबलेट बनते जा चुके हैं। पानीपत की अधिगम नोडल अधिकारी डॉक्टर देवेंद्र दत्त ने कहा कि, विभाग ने टैबलेट बांटने के लिए आदेश जारी कर दिया है। अप्रैल के अंत तक सभी टैबलेट को रिसेट कर दिया जाएगा और 3 मई तक बच्चों को दे दिया जाएगा।
Haryana Agni-veer Riport : जब से केंद्र सरकार ने भारतीय सेना में अग्निपथ योजना लागू कि है, तब से हरियाणा में किशोर एंव युवाओं का सेना के प्रति जोश घट गया है और किसी कारणों से वीजा न मिलने पर डंकी मारकर विदेश पहुँचते हैं। इसी प्रकार हरियाणा के कुछ मशहुर फौजी गांवों से किशोर और युवाओं के पलायन पर एक मीडिया रिपोर्ट ( द वायर ) द्वारा कुछ जमीनी कहानियां तैयार की है। इसी गधांश के माध्यम से इन्ही जमीनी कहानियों में युवाओं की समस्याओं को जानने का प्रयास करेंगे।
पश्चिमी हरियाणा के हिसार ज़िले के बास गांव के निवासी यशपाल मौर्य भावुक हो जाते हैं। उन्होंने अपने बेटे ललित मौर्य को सिर्फ़ 18 साल की उम्र में इस फरवरी विदेश भेज दिया। ललित सेना में जाना चाहते थे, उम्र भी बची थी, लेकिन उनका जुनून खत्म हो चुका था।
यह देश भर के कई गांवों की कहानी है, जिन्हें फौजियों का गांव कहा जाता रहा है। पिछले कई दशकों से यहां के लड़कों के लिए सेना एक जुनून, एक सपना, एक बड़ा करिअर रहा है। इन गांवों से हज़ारों युवकों ने सेना में भर्ती होकर देश की सेवा की है। इन इलाकों की अर्थव्यवस्था और सामाजिक सरंचना को सेना के जीवन ने दिशा दी है, लेकिन अग्निपथ योजना के बाद स्थिति झटके से बदल गई है।
लगभग हर घर से कोई न कोई सेना में, मगर लड़के छोड़ चुके तैयारी
हरियाणा से युवाओं का विदेशों में पलायन कोई नई बात नहीं है। मगर हरियाणा के जींद, हिसार और भिवानी ज़िले के कई गांवों के निवासियों को विदेश ने नहीं लुभाया। आजाद हिंद फौज के समय से यहां के युवा सेना में जाते रहे हैं। बड़ौदा, भोंगरा, करसिंधु और बास जैसे गांवों के प्रवेश-द्वार शहीद सैनिकों के स्मारक दिखाई देते हैं जो भीतर कदम रखने से पहले ही इलाके की कथा सुना देते हैं। दो साल पहले तक इन गांवोंके लड़के दसवीं पास करने के बाद सेना जाना चाहते थे। मगर अग्निपथ योजना आने के बाद यह रिवायत बदलने लगी है।
इन गांवों के सरपंचों के अनुसार बीते दो सालों में एक हजार से भी ज्यादा युवा विदेश चले गए हैं, जिनमें से अधिकांश सेना की तैयारी करते थे। इनके अलावा कई युवा पासपोर्ट बनवाकर वीजा का इंतजार कर रहे हैं या डंकी रूट की तलाश में हैं, यानी देश की सीमाओं को अवैध तरीके से पार करना चाहते हैं। कई सालों से पंजाब और हरियाणा से लोग बड़ी संख्या में जंगल, पहाड़ और नदियों के रास्ते अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अवैध तरीके से पहुंचते रहे हैं।
जींद के भोंगरा गांव के चौक पर दस लोगों के साथ ताश खेल रहे 62 वर्षीय रणवीर सिंह ने गर्व से बताया कि ‘यहां सब फौज में जाते हैं। मैं खुद जाट रेजिमेंट में रहा हूं.‘ उन्होंने चार अन्य लोगों की तरफ इशारा करते हुए बताया कि वे भी सेना में रहे हैं।
अब क्या स्थिति है ?
यह सुनते ही महफिल में निराशा छा जाती है।
रणवीर सिंह बताते हैं कि, दो साल पहले तक यहां दोपहर में भी बच्चे मैदानों और सड़कों पर दौड़ते दिखते थे, अब सुबह-शाम भी कोई नहीं मिलेगा। अब लड़के पासपोर्ट बनवाकर विदेश निकल रहे हैं।
हर दिन वेरिफ़िकेशन के लिए 2-3 पासपोर्ट, बीते दो साल में एक बड़ी खेप जा चुकी है
जींद के बड़ौदा गांव की आबादी 20 हजार से ऊपर है. 50 वर्षीय सरपंच रेशम सिंह बताते हैं कि आजाद हिंद फौज से लेकर अभी तक इस गांव के लगभग एक हजार से भी ज़्यादा निवासी सेना में रह चुके हैं। सेना के प्रति प्रेम के चलते अग्निवीर आने के बाद भी बच्चों ने पैरा-मिलिट्री या हरियाणा पुलिस का विकल्प नहीं चुना।
वह बताते हैं कि उनके पास ‘ रोजाना एक-दो पासपोर्ट वेरिफ़िकेशन के लिए आते हैं। बीते दो सालों में इस गांव से लगभग 500 लड़के विदेश निकल चुके हैं। इनमें बड़ी संख्या सेना भर्तीकी तैयारी करने वाले युवाओं की थी ‘
रेशम सिंह के अनुसार अधिक संख्या डंकी रूट से जाने वालों की होती है। बेरोजगारी को इसका कारण बताते हुए वे कहते हैं कि ‘अगर नहीं जाएंगे तो यहीं भूखे मरेंगे ‘
बास गांव के बादशाहपुर पंचायत की सरपंच ज्योति मौर्य बताती हैं, ‘ सेना में किसान मजदूर परिवार के बच्चे जाते हैं. दसवीं के बाद यह एक अच्छी नौकरी थी। अब ये क्या करेंगे? सिर्फ मेरी पंचायत से अब तक 30 बच्चे विदेश निकल चुके होंगे ‘
लगभग 35 हज़ार से ऊपर की आबादी वाले बास गांव में लगभग 3 हज़ार लोग सेना में अपनी सेवाएं दे चुके या दे रहे हैं. इस गांव से बड़े अधिकारी भी सेना में रहे हैं। मगर अब यहां स्थिति बदल गई है।
तलवार सिंह के दोनों बेटे सेना की तैयारी करते थे। अग्निवीर का भी फॉर्म डाला था लेकिन तलवार सिंह ने खुद मना कर दिया। फिर दोनों अमेरिका चले गए. आज उनका बड़ा बेटा वहां ट्रक ड्राइवर है और छोटा दिहाड़ी मजदूरी करता है। जब उनसे पूछा कि इतनी जल्दी कैसे वीजा मिल गया, वह मुस्कुराकर बोले, ‘ पता लगा लो कैसे गया होगा ! ‘
स्पष्ट है कि जो लड़के कभी सेना में जाना चाहते थे, आज डंकी रूट से विदेश जा रहे हैं।
हालांकि, द वायर से बात करते हुए जींद के डिप्टी कमिश्नर ने इसे सिरे से नकार दिया। ‘मेरे पास ऐसी कोई जानकारी या शिकायत नहीं आई है, कि किसी स्कीम की वजह से युवा विदेशों में पलायन कर रहे हैं. यह बिल्कुल आधारहीन बात है. हमारे पास इसका कोई भी डेटा उपलब्ध नहीं है। इसलिए इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा. यहां से युवाओं में पहले से ही विदेश जाने की दिलचस्पी रही है। इसलिए ये नहीं कह सकते कि अग्निवीर की वजह से ही ऐसा है,’ जींद के डिप्टी कमिश्नर मो. इमरान रज़ा ने कहा।
इसके विपरीत हिसार के डिप्टी कमिश्नर प्रदीप दहिया संकेत देते हैं कि ये युवक पलायन कर रहे हैं. ‘मैंने हाल ही अपना प्रभार संभाला है, तो इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. न ही कभी किसी फोरम पर हमसे ये चीज़ें डिस्कस हुई हैं. जहां तक बात है पलायन की तो उसके कई कारण हो सकते हैं. लोग बेहतर संभावनाओं की तलाश में पलायन करते ही हैं. तैयारी करने वाले भी कर ही रहे हैं.’
‘स्थगित’ भर्ती की दरकती उम्मीद
अग्निवीर लागू होने के बाद सेना की जब भर्ती रुकी थी, उसने इन युवाओं के सपने एक झटके से तोड़ दिए. बड़ौदा गांव के निवासी सुरेश चहल बताते हैं कि, उनके 22 वर्षीय बेटे अंकित चहल पढ़ाई में अच्छे थे. सेना की तैयारी छोड़कर उन्होंने स्टडी वीजा लिया और अमेरिका चले गए।
जब अभ्यर्थी अदालत में गए, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यह भर्ती रद्द नहीं हुई है, बल्कि स्थगित हुई है।इसलिए अभ्यर्थियों को थोड़ी उम्मीद आज भी है। इन गांवों में दर्जनों युवा हैं, जो सेना की उस भर्ती की बहाली का इंतजार कर रहे हैं।
उस भर्ती के लिए भोंगरा गांव के 23 वर्षीय सुनील चहल मेडिकल परीक्षा पास कर चुके थे. चूंकि वे एनसीसी कैडेट थे, लिखित परीक्षा में छूट मिल जाती. बचपन का सपना पूरा होने ही वाला था कि अग्निपथ स्कीम आ गई, भर्ती रद्द हो गई और सपना बिखर गया। अब वह अपना पासपोर्ट दिखाते हुए कहते हैं कि ‘आखिरी विकल्प अब विदेश है। जो साथी चले गए हैं उनसे बात कर रहा हूं कि कौन-सा देश बेहतर होगा ‘
यही स्थिति भोंगरा के निवासी अंकित चहल की है. उन्होंने सेना की तैयारी की थी. चयन भी हुआ मगर भर्ती रद्द हो गई। अंकित अब वीजा लेने का प्रयास कर रहे हैं।
जींद के उचाना गांव के राजीव गांधी कॉलेज के मैदान में पड़ोसी गांवों के सैकड़ों युवा दौड़ने का अभ्यास कर सेना में भर्ती हुए हैं. फरवरी की इस शाम सिर्फ़ दसेक लोग यहां हैं. ग्राउंड का रखरखाव संभालने वाले रमेश चहल ने बताया कि ‘यहां रोज 250-300 बच्चे दौड़ने आते थे. मगर बीते दो सालों में सब बदल गया. आज जो 5-10 लोग दिख रहे हैं, वे भर्ती वाले नहीं हैं. फिटनेस बनाने आए हैं ‘
अग्निवीर आने के बाद हरियाणा की भागीदारी 75% कम हुई
रक्षा मंत्रालय द्वारा फरवरी 2022 में लोकसभा में जारी आंकड़े के अनुसार, 2019-20 में हुई सेना भर्ती में हरियाणा के 5,097 अभ्यर्थी चयनित हुए थे। हरियाणा भारत की कुल आबादी का सिर्फ 2% है, मगर सेना भर्ती में राज्य की भागीदारी 6% थी। उस बरस सिर्फ तीन राज्यों का अनुपात हरियाणा से बेहतर था- हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब।
हिमाचल प्रदेश की आबादी देश की कुल आबादी का सिर्फ 1 प्रतिशत है, मगर इसकी भागीदारी 7% रही. इसी तरह उत्तराखंड ने 1% आबादी के बावजूद सेना में 5% की भागीदारी दी. पंजाब की आबादी देश की कुल आबादी का सिर्फ 2% है, मगर पंजाब की भागीदारी 10% रही थी।
स्थानीय अनुमान के मुताबिक, हरियाणा के जींद, भिवानी और हिसार जैसे जिलों में यह औसत राज्य के औसत के दोगुने से भी अधिक है. राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुडा ने द वायर से कहा कि वह राज्यसभा में अग्निवीर का मुद्दा उठा चुके हैं।
हुडा ने बताया कि, अग्निवीर आने के बाद से सेना में हरियाणा के युवाओं की भागीदारी 70% से भी कम हो गई है. उन्होंने इस फरवरी राज्य सभा में अपने भाषण में हरियाणा में व्याप्त बेरोजगारी का ज़िक्र करते हुए कहा था कि इस राज्य का बेरोजगार युवक बाध्य होकर विदेश पलायन कर रहा है. इसके बाद उन्होंने अग्निपथ योजना की आलोचना करते हुए कहा कि पहले हर वर्ष हरियाणा से ‘5,500 पक्की भर्तियाँ हुआ करती थीं, अब केवल 900 भर्ती किए जा रहे हैं ’
रक्षा मंत्रालय से आरटीआई के तहत सवाल पूछा कि अग्निवीर भर्तियों में वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान किस राज्य से कितने लोगों का चयन हुआ है ? मगर मंत्रालय ने यह आंकड़ा यह कहते हुए देने से इनकार कर दिया, कि उनके पास ‘यह सूचना मांगे गए फॉर्मेट में उपलब्ध नहीं है ‘, और ‘इस जानकारी को एकत्र करना वक्त और संसाधन की बर्बादी है ‘
वायुसेना ने जवाब में लिखा, ‘ आरटीआई में मांगी गई जानकारी ‘सशस्त्र बल के सामर्थ्य से संबंधित है. यह संवेदनशील जानकारी है और इसका खुलासा भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है और यह व्यापक सार्वजनिक हित में नहीं है’
वहीं, नौसेना ने जवाब दिया कि ‘सशस्त्र बलों में कर्मियों की नियुक्ति/भर्ती/जॉइनिंग से संबंधित आंकड़ा सुरक्षा कारणों को देखते हुए सार्वजनिक नहीं किया जा सकता ‘
अंबाला हेडक्वार्टर से बीते 5 सालों में चयनित अभ्यर्थियों की संख्या मांगी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला
सेना की तैयारी कराने वाले कई कोचिंग सेंटर बंद हुए
रोहतक के निवासी मिल्खा ग्रेवाल सेना भर्ती की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटर चलाते थे। अब उन्होंने अपनी कोचिंग बंद कर दी है. वह बताते हैं कि अग्निवीर आने के 6 महीने बाद सिर्फ 15-20 अभ्यर्थी उनकी कोचिंग में रह गए थे। पहले ये संख्या 200-250 तक होती थी। इस घाटे में कोचिंग चलाना मुमकिन नहीं था।
‘यही हाल कई अन्य कोचिंग का हुआ, कुछ कोचिंग अभी भी बचे हुए हैं, जहां बहुत मुश्किल से 30-40 लड़के मिलेंगे. अब सेना की तैयारी छोड़कर सब IELTS के पीछे लग गए हैं। उनमें अब विदेश जाने की होड़ ज्यादा है,’ वह कहते हैं।
करनाल में अपना इमीग्रेशन ऑफिस चलाने वाले गौरव कुमार इसकी पुष्टि करते हैं। गौरव बताते हैं, ‘पहले गांव-देहात में युवा 10वीं, 12वीं के बाद सेना में भर्ती की तयारी करते थे, अब IELTS और PTE करते नजर आ रहे हैं ‘
बीते डेढ़ साल में 2 लाख से ऊपर पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट
विदेशों में पलायन को लेकर किसी संस्था के पास सटीक आंकड़ा नहीं है। हरियाणा पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अंबाला और आसपास के 6-7 जिलों जींद, हिसार, भिवानी,अंबाला, रोहतक, कैथल, करनाल में बीते डेढ़ साल में कम से कम 2 लाख से ऊपर पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट दिया गया होगा
पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट उन लोगों को दी जाती है, जो विदेशों में नौकरी या लंबी अवधि के वीजा के लिए अप्लाई करते हैं। मगर इससे बड़ी संख्या अवैध रूप से जाने वालों की है, जिसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
इमीग्रेशन ऑफिस चलाने वाले एजेंट्स बताते हैं कि, पासपोर्ट बनाने के लिए अंबाला में प्रतीक्षा-सूची इतनी लंबी होती है कि लोग जयपुर, चंडीगढ़ और दिल्ली तक निकल जाते हैं. ‘अंबाला और चंडीगढ़ में रोजाना पासपोर्ट के लिए 835 अपॉइंटमेंट होते हैं। किसी को बहुत जल्दी चाहिए तो वो जयपुर या दिल्ली की तरफ रुख करते हैं,’ एक एजेंट ने कहा।
डंकी रूट से विदेश जाने वालों की संख्या तेज़ी से बढ़ी
2022 में 748 भारतीय इंग्लिश चैनल पार कर के ब्रिटेन आए थे, जबकि 2023 में यह संख्या 50% तक बढ़कर 1,192 हो गई. 2022 में जहां 2,612 भारतीयों ने शरण मांगी थी, 2023 में यह संख्या 5,253 हो गई।
इसी तरह अमेरिका में भी यह संख्या तेजी से बढ़ी है । 2022 में 65 हजार भारतीय अवैध रूप से अमेरिका की सीमा में घुसे थे, 2023 में यह संख्या 1 लाख के पार चली गई. डंकी रूट से विदेश जानेवाले लगभग 60% से अधिक युवा होते हैं।
Haryana train time table : हरियाणा में रेलयात्रियों के लिए एक और अच्छी खबर सामने आई है। रेलवे विभाग की ओर से बीकानेर- दानापुर स्पेशल ट्रेन का संचालन शुरू किया गया है। इस ट्रेन के संचालन से दक्षिण हरियाणा के जिलों को यूपी और राजस्थान के कई बड़े शहरों के लिए सीधी ट्रेन की सुविधा का लाभ मिलेगा। इस ट्रेन का महेंद्रगढ़ और लोहारू रेलवे स्टेशन पर ठहराव (स्टॉप सेल्टर) होगा।
रेल का टाईम शेड्यूल
दैनिक रेल यात्री महासंघ के अध्यक्ष रामनिवास पाटोदा ने बताया कि, इस ट्रेन (Haryana train time table) का संचालन 2 मई से 28 जून तक रहेगा. यह ट्रेन प्रत्येक वीरवार को सुबह पौने 11 बजे बीकानेर स्टेशन से रवाना होकर दोपहर 02:35 बजे सादलपुर, 03:15 बजे लोहारू व 03:45 बजे महेंद्रगढ़ स्टेशन से रवाना होकर शाम 6 बजे दिल्ली, रात को 22:35 बजे मुरादाबाद, 12:03 बजे बरेली, 03:40 बजे लखनऊ, 08:45 बजे वाराणसी और 11:37 बजे बक्सर स्टेशन से आरां होते हुए शुक्रवार को 01:45 बजे दानापुर स्टेशन पहुंचेगी।
उन्होंने बताया कि इसी तरह वापसी में दानापुर- बीकानेर साप्ताहिक स्पेशल ट्रेन (Haryana train time table) शुक्रवार को सुबह 04:20 बजे दानापुर से रवाना होकर 9 बजे वाराणसी, 02:40 बजे लखनऊ, 06:16 बजे बरेली, 11:35 बजे दिल्ली, 14:35 बजे रेवाड़ी से चलकर 15:29 बजे महेंद्रगढ़ स्टेशन पर पहुंचेगी। इसके बाद 04:15 बजे लोहारु, 05:50 बजे सादलपुर व शनिवार को 07:20 बजे बीकानेर स्टेशन पर पहुंचेगी।
Young died lightning : हरियाणा के कैथल जिले के कलायत हलके के गांव बालू में दर्दनाक हादसा सामने आया है। गांव बालू में आसमानी बिजली गिरने से 20 वर्षीय युवक की मौत हुई है। युवक परिवार का इकलौता बेटा था। उसका रिश्ता पक्का हो चुका था और कुछ दिन बाद शादी की तैयारी थी।
बालू (रापड़िया) गांव का युवक संजू शुक्रवार शाम करीब साढ़े 7 बजे गांव में स्थित खेतों में तूड़ी बनाने का कार्य कर रहा था। जब वह चाय पीने के लिए खेत में बने एक मकान में आया तो अचानक आसमान से बिजली गिरी।
आसमानी बिजली (Young died lightning) की चपेट में आने से वह झुलस गया। उसे नागरिक अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
परिजनों ने बताया कि संजू की कुछ दिन पहले ही सगाई हुई थी और कुछ दिन के बाद उसका विवाह होना था। परंतु इससे पहले ही दर्दनाक हादसे ने युवक को लील लिया। प्रत्यक्षदर्शियों अनुसार गांव में देर शाम में 5 युवक तूड़ी बनाने का काम कर रहे थे। संजू में उन युवकों में शामिल था। मकान में चाय पीने के लिए आया तो आसमानी बिजली (Young died lightning) उस पर गिर गई।
बताया गया है कि संजू के पिता छोटे से किसान हैं। संजू के 3 बहनें हैं। इनमें संजू सबसे छोटा है। घटना के बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंची और छानबीन की। शव को पोस्टमार्टम के लिए शवगृह में रखवाया गया है।
Haryana agriculture news : हरियाणा सरकार किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी लाई है। हरियाणा सरकार द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा बीज पर 80% की सब्सिडी दी जा रही है। राज्य सरकार द्वारा इस योजना के तहत सब्सिडी प्रदान करने के लिए इच्छुक किसानों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राज्य के जो भी किसान बीज (Haryana agriculture news) प्राप्त करना चाहते हैं वह आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत किसान केवल 20% राशि देकर बीज प्राप्त कर सकते हैं| हम इस पोस्ट में जानेंगे किस तरह ढेंचा बीज के लिए सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।
ढेंचा बीज पर सब्सिडी
हरियाणा सरकार द्वारा राज्य के किसानों के लिए ढेंचा बीज पर 80% की सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना के तहत एक किसान अधिकतम 10 एकड़ क्षेत्र में डेंचा (Haryana agriculture news) की खेती के लिए अनुदान प्राप्त कर सकता है। हरियाणा कृषि विभाग के अनुसार, ढैंचा फसल के लिए बीज दर 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।
इस तरह, लगभग 12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होगी, अतः किसान को 10 एकड़ के लिए अधिकतम 120 किलोग्राम बीज उपलब्ध किया जाएगा। इच्छुक किसान इस योजना के तहत सब्सिडी पाने के लिए 20 मई 2024 से पहले पहले आवेदन कर सकते हैं।
ढेंचा खेती के फायदे ढेंचा बीज
ढैंचा फसल किसानों (Haryana agriculture news) को कम लागत में अच्छी हरी खाद प्राप्त कराती है। इससे भूमि को पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन मिलता है, जिससे अगली फसल के लिए कम यूरिया की आवश्यकता होती है। हरी खाद से भूमि में कार्बनिक पदार्थ बढ़ते हैं, जिससे भूमि और जल का संरक्षण होता है और संतुलित मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं, जो भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं।
ढैंचा को खेत में पलटने से नाइट्रोजन, पोटाश, गंधक, कैल्शियम, मैग्नेशियम, जस्ता, तांबा, लोहा आदि विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं। इससे फसलों की पैदावार बढ़ती है और कम रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता होती है, जिससे कृषि की लागत भी कम होती है।
ढेंचा बीज सब्सिडी के लिए पात्रता
ढेंचा बीज प्राप्त करने के लिए आवेदक किस का मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर पंजीकरण होना चाहिए।
राज्य का कोई भी किसान जो ढेंचा की खेती करना चाहता है आवेदन कर सकता है।
इस योजना के तहत 10 एकड़ भूमि के लिए सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है।
ढेंचा बीज सब्सिडी के लिए दस्तावेज
आधार कार्ड
मेरी फसल मेरा ब्यौरा
बैंक खाता
मोबाइल नंबर
भूमिज संबंधी दस्तावेज
ढेंचा बीज सब्सिडी के लिए आवेदन कैसे करें?
सबसे पहले Agri Haryana की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
होम पेज पर Farmers Corner में Apply For Agriculture Schemes पर क्लिक करें।
अब आपके सामने सभी स्कीम्स आ जाएगी|
अब आपको Dhaincha seed Distribution under CDP के सामने View पर क्लिक करना है।
अब आपके सामने एक नया पेज आएगा|
इस पेज पर Daincha Beej Subsidy Yojana संबंधी जानकारी दी होगी|
अब आपको Terms & Conditions को Agreed करना है| और Click Here To Registration पर क्लिक कर देना है।
अब आपको अपना मेरी फसल मेरा ब्यौरा पंजीकरण संख्या दर्ज करनी है।
और सच रिकॉर्ड के ऑप्शन पर क्लिक करना है।
अब आपके सामने पंजीकृत डिटेल आ जाएगी।
अब आप आपसे मांगी गई जानकारी आपको दर्ज करनी है।
उसके बाद आवश्यक दस्तावेजों को अपलोड करना है।
अंत में सबमिट के ऑप्शन पर क्लिक कर देना है।
इस प्रकार से आप हरियाणा ढेंचा बीज सब्सिडी प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
Haryana Congress politics : हरियाणा में कांग्रेस के 8 सीटों पर उम्मीदवार घोषित करते ही घमासान मच गया है। बेटी श्रुति चौधरी की भिवानी-महेंद्रगढ़ से टिकट कटने पर उनकी विधायक मां किरण चौधरी ने समर्थकों की मीटिंग बुला ली है। यह मीटिंग शनिवार दोपहर 12 बजे भिवानी में उनके घर पर होगी। करीबी समर्थकों का कहना है कि किरण चौधरी और उनका परिवार इसी बैठक में कोई बड़ा फैसला ले सकता है।
वहीं हिसार से बेटे बृजेंद्र सिंह की टिकट कटने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि बेटे को टिकट क्यों नहीं मिली, यह सवाल है?। उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। बृजेंद्र को मौका मिलता तो अच्छा होता।
उन्होंने कहा कि अगर कोई बुलाएगा तो ठीक, वर्ना किसी का प्रचार करने नहीं जाऊंगा। इसके अलावा बीरेंद्र सिंह ने जींद में 28 अप्रैल को अपने समर्थकों की मीटिंग बुलाई है। अब इस बैठक में बीरेंद्र सिंह क्या फैसला लेंगे, इस पर सभी की नजरें बनी हुई हैं।
वहीं हरियाणा कांग्रेस (Haryana Congress politics) के अध्यक्ष उदयभान ने सफाई दी कि टिकट बंटवारे से कोई नाराज नहीं है। बृजेंद्र पर उन्होंने कहा कि कोई पार्टी छोड़कर आए और उसे टिकट मिल जाए, ऐसा नहीं होता। उनके नाम पर विचार हुआ लेकिन फैसला किसी एक पर ही होना था। हालांकि, उन्होंने विधानसभा या राज्यसभा में बृजेंद्र को एडजस्ट करने के संकेत जरूर दिए।
हिसार से हुड्डा के करीबी को टिकट
हिसार (Haryana Congress politics) से टिकट मिलने की आस लगाए बैठे चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे रिटायर्ड IAS अफसर एवं भाजपा के टिकट पर सांसद रह चुके बृजेन्द्र सिंह को टिकट नहीं दिया गया। हिसार से कांग्रेस ने हुड्डा के करीबी जय प्रकाश उर्फ जेपी को टिकट दिया है। जय प्रकाश हिसार से पहले भी सांसद रह चुके हैं। हाल ही में जय प्रकाश ने आदमपुर उपचुनाव में भी भव्य बिश्नोई के सामने कांग्रेस की टिकट पर ताल ठोकी थी मगर हार का सामना करना पड़ा था। जाट बाहुल्य हिसार सीट पर कांग्रेस ने भी जाट कैंडिडेट को मैदान में उतारा है।
सोनीपत से सतपाल की पैरवी कर रहे थे हुड्डा
हरिद्वार कांग्रेस अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी को सोनीपत लोकसभा सीट से टिकट दिया गया है। सतपाल हरियाणा (Haryana Congress politics) के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी हैं। हुड्डा सतपाल की टिकट के लिए शुरू से पैरवी कर रहे थे। कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक कांग्रेस उम्मीदवारों की फेक लिस्ट जारी हुई थी, उसमें भी सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी को ही प्रत्याशी दर्शाया गया था।
भिवानी से श्रुति चौधरी का टिकट काटा
भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से कांग्रेस ने पूर्व सांसद श्रुति चौधरी का टिकट काटकर हुड्डा के करीबी राव दान सिंह को टिकट दिया है। श्रुति चौधरी भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुकी हैं। वह पहली बार 2009 में इसी संसदीय क्षेत्र से चुनी गई थी। राव दान सिंह महेंद्रगढ़ से कांग्रेस के विधायक हैं और उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता रामबिलास शर्मा को इस सीट से हराया था। राव दान सिंह 2000, 2005, 2009 और 2019 में महेंद्रगढ़ विधानसभा से विधायक चुने गए हैं।