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Gurugram wine drinks story : सरकार की कमाई में हो रही है बल्ले! बल्ले! पिछले 10 महीनों में 600 करोड़ की शराब पी गए गुरूग्राम के लोग

Gurugram wine drinks story : एक तरफ सरकार टीवी और अन्य संचार के माध्यमों पर शराब निरोधक विज्ञापन छपवाती है, दूसरी शराब का कारोबार दिन-प्रतिदिन बढ़ा रही है। हाल ही में जारी एक्साइज विभाग के आंकड़े बताते हैं कि गुरूग्राम के लोगों ने पिछले 10 महीनों में लगभग 6 हजार करोड़ रूपये की शराब का सेवन किया है। इस भारी खपत ने केवल स्थानीय बाजार में व्यापक प्रभाव डाला है, बल्कि एक्साइज राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि कर रहा है।

 

टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोतरी

बता दें कि 2023-2024 के दौरान एक्साइज विभाग ने जो टैक्स वसूली की है, उसमें पिछले साल की तुलना में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। यह बढ़ोतरी न केवल शराब (Gurugram wine drinks story) की बढ़ती खपत को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि, कैसे शराब व्यवसाय से शहर के आर्थिक ढांचे पर प्रभाव पड़ रहा है।

 

नई एक्साइज नीधि के प्रभाव

गौरतलब है कि, 12 जून 2024 को नई पॉलिसी लागू होने वाली है। जबकि लागू करने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होगी। इस नई नीधि के अनुसार बड़े परिवर्तनों की संभावना कम है, पर यह नीधि शहर में शराब की बिक्रि और उपभोगताओं पर डाल सकती है।

 

शराब बाजार का विस्तार इस प्रकार बढ़ा

गुरूग्राम में शराब का बाजार विस्तार ईस्ट जोन और वेस्ट जोन के वेंडर्स का हाथ है। गुरूग्राम में शराब (Gurugram wine drinks story) के व्यापार में ईस्ट और वेस्ट जोन में कुल 245 वेंडर्स को प्रत्येक का दो वाइन शॉप खोलने की अनुमति है, जिससे शहर में शराब की उपलब्धता और भी सरल हो गई है। वेस्ट जोन में तो इंडियन मेड लीकर का कोटा पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है। जबकि शहर की बढ़ती मांग को पूरा करने में सहायक हो रहा है।

 

शराब का इस तरह का व्यापार से बढ़ सकती है चुनौतियां

एक्साइज विभाग के अनुसार, आने वाले समय में शराब (Gurugram wine drinks story) की खपत में और वृद्धि होने की संभावना है, जिससे रेवेन्यू में भी उत्तरोत्तर वृद्धि होगी। यह बढ़ती खपत शहर की आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालेगी, और यह एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ सकती है। व्यवसायी और प्रशासन को इस बढ़ती खपत को संभालने के लिए नई रणनीतियों और नीतियों का विकास करना होगा। ताकि सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को संतुलित किया जा सके।

 

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Mughal Harem story : मुगल हरम में रहती थी 5 हजार से भी अधिक महिलाएं ! मुगल बादशाह कहां से लाते थे इतनी महिलाएं, आए जानें

Mughal Harem story : मुगल इतिहास की कहानियां अक्सर हम बड़े बुज्रकों से सुनते रहते हैं या फिर किताबों में कहीं ना कहीं पढ़ते रहते हैं। अक्सर सुनने में आता है कि मुगलों के बादशाह अपने हरम में 5 हजार से भी अधिक महिलाएं रखते थे। लेकिन ये सुनने के बाद आपको एक दम आश्चर्य में डाल देता है। इस तरह की कहानी के प्रति आपके दिमाग में एक सवाल जरूर आता होगा कि बादशाह इतनी महिलाओं का करते क्या थे और ये महिलाएं आती कहां से थी।

बताया जाता है कि, हरम के अंदर बादशाह के अलावा अन्य कोई मर्दों नहीं जा सकता था। बिना अनुमति के मुगल हरम में कोई नहीं जा सकता था। मुगल हरम में इतनी सारी महिलाएं होने के बाद भी महिलाएं उसमें जाने को मजबूर क्यों हो जाती थीं।

क्यों रखा जाता था मुगल हरम में महिल्याओं को ?

यदि आपको सरल शब्दों में बताया जाए तो, मुगल हरम (Mughal Harem story) वो जगह थी जहां मुगल बादशाह से संबंध रखने वाली औरतें रहती थीं। इनमें खासतौर पर उनकी बेगमें होती थीं। इसका मतलब है कि, जिस महल में बादशाह की बेगमें रहती थीं। उस जगह को मुगल हरम कहा जाता था। इसके अलावा युद्ध में जीती गईं महिलाओं को भी मुगल हरम में रखा जाता था।

इतिहासिक तथ्यों के अनुसार, मुगल हरम (Mughal Harem story) में जो महिलाएं होती थीं, उनको जंग में जीता जाता था। इसका अर्थात है कि मुगल जंग में हारे हुए राजा की महिलाओं को अपने हरम में शामिल कर लेते थे। जबकि कई विदेशी भी बादशाह के दरबार में आते थे, जो बादशाह को तोहफे के रूप में महिलाओं को देते थे।

मुगल हरम में किस तरह की महिलाएं रखी जाती थी ?

बता दें की, मुगल बादशाह के हरम (Mughal Harem story) में उनकी बेगमें, महिला रिश्तेदार, रखैलें, दासियां, जंग में जीती हुई महिलाएं और तोहफे में मिलीं महिलाएं होती थीं, इसी वजह से इनकी संख्या हजारों में पहुंच जाती थी।

दरअसल, मुगल हरम में रहने वाली महिलाओं का बाहरी दुनिया से कोई नाता नहीं था। उनको केवल मुगल हरम के अंदर ही रखा जाता था, उनको बाहर आने की अनुमति नहीं दी जाती थी।

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America news : अब अमेरिका में रहना होगा मुश्किल, अमेरिका में बसने का सपना देख रहे हैं तो ठीक से सोच लीजिए

America news : दशकों से रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड (जीसी) का इंतजार करते-करते थक चुके भारतीयों को अमेरिका में रहने में मुश्किलें बढ़ रही हैं। हाल ही में, अमेरिकी नागरिकता और इमिग्रेशन सर्विस (USCIS) ने गर्व से एक्स पर पोस्ट किया कि भारत की एक 99 वर्षीय महिला को नागरिकता प्रदान की गई है। ‘वे कहते हैं कि उम्र सिर्फ एक नंबर है। यह बात 99 वर्षीय इस महिला के लिए सच साबित होती है जो हमारे ऑरलैंडो ऑफिस में नई अमेरिकी नागरिक बन गई हैं। दाईबाई भारत से हैं और निष्ठा की शपथ लेने के लिए उत्साहित थीं। ‘

एक व्यक्ति ने यूएससीआईएस को जवाबी बयान देते हुए लिखा, ‘हाहाहा, जल्द ही आप मरणोपरांत ग्रीन कार्ड देंगे!’ ग्रीन कार्ड अमेरिकी नागरिकता (America news) की ओर पहला कदम है। आम तौर पर, जी.सी. रखने के पांच साल बाद ही (अगर आप किसी अमेरिकी नागरिक से विवाहित हैं तो यह अवधि तीन साल तक कम हो जाती है) आप नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। दिक्कत यह है कि अगर आप भारत से हैं तो इसके लिए दशकों तक लाइन में लगना पड़ता है।

 

अमेरिका ने 1920 से लीगल इमीग्रेशन को कर रखा है बैन

बता दें की, 1920 के दशक से ही अमेरिका (America news) ने लीगल इमीग्रेशन को प्रतिबंधित कर रखा है। कैटो इंस्टीट्यूट में इमीग्रेशन स्टडीज के निदेशक डेविड जे बियर बताते हैं कि यह सिस्टम उन लोगों को प्लान पूरी तरह से फेल कर देती है जो वैध और व्यवस्थित तरीके से ‘अमेरिका में रहने के सपने’ को पूरा करने की आकांक्षा रखते हैं।

उनके फरवरी 2024 के रिसर्ट में पता चलता है कि ‘ग्रीन कार्ड अप्रूवल रेट रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। ये दिखाता है कि ग्रीन कार्ड का आवेदन जमा करने वालों में से महज 3 फीसदी को ही वित्त वर्ष 2024 (30 सितंबर, 2024 को समाप्ति) के दौरान स्थायी दर्जा प्राप्त होगा।

 

1 अक्टूबर, 2023 तक, लगभग 34.7 मिलियन एप्लिकेशंस पेंडिंग थे। 1996 में लगभग 10 मिलियन से ज्यादा आवेदन लंबित थे। कैटो इंस्टीट्यूट में इमीग्रेशन स्टडीज के निदेशक डेविड जे बियर कहते हैं कि इनमें से कई लोग सही मायने में आवेदक नहीं हैं। अधिकांश (ज्यादातर भारतीय) कैप नंबर उपलब्ध होने का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद वे औपचारिक ग्रीन कार्ड आवेदन दायर कर सकते हैं।

समग्र सीमा के अलावा, चाहे वह रोजगार या परिवार आधारित जी.सी. के लिए हो, कोई भी देश ग्रीन कार्ड (देश की सीमा) के 7 फीसदी से अधिक प्राप्त नहीं कर सकता है। यह लिमिट भारतीयों और, कुछ हद तक, चीनी नागरिकों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी, जिसने हाल ही में इमिग्रेशन संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया है, बताया कि 1.2 मिलियन से अधिक हाई स्किल्ड भारतीय, जिनमें उनके आश्रित भी शामिल हैं, पहले, दूसरे और तीसरे रोजगार-आधारित जी.सी. कैटेगरी में प्रतीक्षा कर रहे हैं।

 

रोजगार के आधार पे मिलता है ग्रीन कार्ड

वित्त वर्ष 2024 में, लगभग 8 फीसदी पेंडिंग रोजगार आधारित आवेदनों को ग्रीन कार्ड के लिए स्वीकृत किया जाएगा। लेकिन इनमें से अधिकांश उन आवेदकों को नहीं मिलेंगे जिन्होंने सबसे लंबे समय तक इंतजार किया है। वहीं अमेरिका (America news) कुल सीमा 1.4 लाख प्रति वर्ष निर्धारित की गई है, साथ ही इस श्रेणी में आने वाले परिवार से संबंधित ग्रीन कार्ड भी शामिल हैं।

इसके बजाय, देश की सीमा के कारण, अगले साल अप्लाई करने वाले आवेदक चीन और भारत के आवेदकों को पीछे छोड़ देंगे। इनमें से कई पहले से ही 100 से अधिक वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे हैं।

पहले के रिसर्च से पता चला था कि भारत से रोजगार आधारित GC बैकलॉग (EB-2 और EB-3 स्किल्ड कैटेगरी) मार्च 2023 में 1 मिलियन को पार कर गया। अगर मृत्यु और ‘उम्र बढ़ने’ जैसे कारकों पर विचार किया जाए, तो GC के लिए प्रतीक्षा अवधि 54 साल है। अन्यथा, यह 134 साल है।

 

क्या है ? परिवार प्रायोजित ग्रीन कार्ड

इस श्रेणी में प्रतीक्षा कर रहे 4.14 लाख भारतीय ग्रीन कार्ड प्राप्त करने से पहले ही मर जाएंगे। भारतीय परिवारों के 1 लाख से अधिक बच्चे वयस्क हो जाएंगे (21 वर्ष के हो जाएंगे), और उनका डिपेंडेंट वीजा अब मान्य नहीं होगा, और वे ग्रीन कार्ड की लाइन से बाहर हो जाएंगे।

इन 21 वर्षीय लोगों के लिए, इसका मतलब है इंटरनेशन स्टूडेंट वीजा (America news) या फिर सेल्फ डिपोर्टेशन। अध्ययन के बाद, अगर वे अमेरिका में रहना जारी रखना चाहते हैं, तो इतिहास खुद को दोहराता है, H-1B और ग्रीन कार्ड बैकलॉग के प्रयासों के साथ ही ऐसा होगा।

जी.सी. धारकों के जीवनसाथी और नाबालिग बच्चों के लिए 2.26 लाख की सीमा है। यहां तक कि अमेरिकी नागरिकों के वयस्क बच्चे और भाई-बहन भी इस श्रेणी में आते हैं। यहां, मेक्सिको और फिलीपींस के लोगों को सबसे लंबा इंतजार करना पड़ता है।

 

बाइडेन के 2020 के चुनावी वायदे

अपने 2020 के चुनावी अभियान में, जो बाइडेन ने कानूनी आव्रजन प्रणाली (लीगल इमिग्रेशन सिस्टम) में सुधार का वादा किया था। 21 जनवरी, 2021 को पदभार ग्रहण करने के अपने पहले दिन, उन्होंने कांग्रेस को यूएस सिटिजनशिप एक्ट भेजा। भारतीय प्रवासियों के लिए और वास्तव में, अमेरिका (America news) में रहने के इच्छुक लोगों के लिए – रोजगार-आधारित वीजा बैकलॉग को साफ करने का प्रस्ताव इसमें था। इसके अलावा अनयूज्ड वीजा को फिर प्राप्त करने, लंबे प्रतीक्षा समय को कम करने और प्रति देश वीजा कैप को समाप्त करने के प्रपोडल भी इसमें प्रमुख थे।

इस विधेयक में एच-1बी वीजा धारकों के आश्रितों को काम करने की अनुमति भी दी गई है। उनके बच्चों को सिस्टम से ‘वृद्धावस्था से बाहर’ होने से बचाया गया है। ये सुधार – भले ही इसके बाद आए द्विदलीय विधेयकों सहित कई अन्य बिल में नजर आया। हालांकि, ये फलीभूत नहीं हुए। 2024 के लिए बाइडेन का कैंपेन लोगो है- ‘चलो काम खत्म करते हैं’। अभी तक, राजनीतिक बहसों और तीखे हमलों में बॉर्डर कंट्रोल पर ध्यान केंद्रित किया गया है। भारतीय प्रवासी इंतजार कर रहे हैं।

 

भारतीयों के प्रति ट्रम्प का प्रस्तावित नियोजना

भारतीय प्रवासियों के दृष्टिकोण से, जन्म से नागरिकता (America news) को खत्म करना एक गंभीर मुद्दा होगा। ट्रम्प की ओर से लीगल इमिग्रेशन पर भी नकेल कसने की संभावना है।

इसमें फिर से H-1B वीजा में पत्नियों के वर्क परमिट को खत्म करने, अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए वीजा अवधि को सीमित करने, उनके लिए अध्ययन के बाद के स्टडी वर्क प्रोग्राम को सीमित करने और H-1B वीजा कार्यक्रम में सख्ती लाने से संबंधित नीतियों को देख सकते हैं। जैसे कि इन वीजा (America news) को सबसे अधिक वेतन पाने वालों को आवंटित करना। लीगल इमिग्रेंट्स के लिए बदलाव की हवा अभी तक आती नहीं दिख रही है।

डोनाल्ड ट्रम्प का इमिग्रेशन विरोधी रुख, कथित तौर पर, और भी तेज होगा। बड़े पैमाने पर निर्वासन, डाका (डेफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स) को खत्म करना, जो उन लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है जो बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों के बच्चों के रूप में अमेरिका में प्रवेश करते हैं। इसके अलावा मुस्लिम देशों से आने वालों के लिए यात्रा प्रतिबंध कार्ड पर प्रतीत होते हैं।

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Haryana news : हरियाणा सरकार इस जगह खरीदेगी 2300 एकड़ जमीन, किसानों को मिलेंगे मुंहमांगे दाम

Haryana news : हरियाणा के अंबाला में 40 किलोमीटर तक रिंग रोड बनाया जा रहा है। जिसे 152 डी हाईवे से भी जोड़ने की चर्चा भी चल रही है। गौरतलब है की, साइंस इंडस्ट्री के लिए ट्रांसपोर्टेशन बेहतर करने के लिए, ईर्स्टन डेडीकेटिड फ्रेट कॉरिडोर पर नए फ्रेट टर्मिनल निर्माण की प्रक्रिया भी चल रही है।

हरियाणा के पूर्व गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कुछ माह पहले बताया था कि अम्बाला (Haryana news) की साइंस इंडस्ट्री पर अम्बाला का सबकुछ निर्भर करता है। उद्योगपतियों को बढ़ावा मिले, इसके लिए राज्य सरकार साहा ग्रोथ सेंटर के विस्तार हेतु 2300 एकड़ भूमि की खरीद करने जा रही है।

यह जानकारी अनिल विज ने कुछ समय पहले अंबाला में असीमा (अम्बाला साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन) के डिजिटल डायरी के विमोचन कार्यक्रम में बतौर मुख्यतिथि अम्बाला (Haryana news) के साइंस उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए दी थी।

इस दौरान अनिल विज ने कहा था कि, अम्बाला की साइंस इंडस्ट्री द्वारा बनाए गए माइक्रोस्कोप या अन्य उपकरणों पर ही बड़े डाक्टर, इंजीनियर, स्पेस साइंटिस्ट व अन्य पढ़कर आगे बढ़े हैं। अम्बाला के विकास में साइंस इंडस्ट्री का महत्वपूर्ण योगदान है।

उन्होंने कहा था कि अम्बाला में इंडस्ट्री को बिजली, पानी, ट्रांसपोर्टेशन व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है जिससे व्यापार में इजाफा हुआ है। अम्बाला को इस समय सड़कों के जाल से बुना जा रहा है।

अम्बाला-साहा रोड (Haryana news) को फोरलेन किया जा चुका है जिससे उद्यमियों का अम्बाला से साहा ग्रोथ सेंटर तक आना-जाना काफी आसान हो गया है। इसी तरह, अब रिंग रोड, अम्बाला से दिल्ली वाया शामली एक्सप्रेस-वे, अम्बाला-कालाअम्ब व अम्बाला-चंडीगढ़ ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास किए जा रहे हैं कि रिंग रोड को हाइवे नंबर 152-डी से जोड़ा जा सके।

 

साइंस इंडस्ट्री के लिए अम्बाला में बेहतर ढांचा उपलब्ध करवाएंगे : अनिल विज

विज ने अपने सम्बोधिकीय कार्यक्रम में कहा था कि “अमेरिका इसलिए अमीर नहीं है कि उसकी सड़के अच्छी है, उसकी सड़के अच्छी है इसलिए अमेरिका अमीर है”, हम बेहतर ढांचा उपलब्ध कराते हैं तो इसका लाभ अम्बाला की साइंस इंडस्ट्री को मिलेगा।

उन्होंने कहा था की, अब हमने अम्बाला (Haryana news) में डोमेस्टिक एयरपोर्ट का भी काम प्रारंभ कर दिया है और कोशिश है कि चार-पांच माह में विमान सेवा यहां से प्रारंभ की जा सके।

उन्होंने आगे कहा था की, अम्बाला में हमने बिजली व पानी की समस्या को दूर किया, आज अम्बाला में बिजली, पानी, सड़के व अन्य सुविधाएं हैं और एक इंडस्ट्री के लिए जो सुविधाएं चाहिए वह यहां उपलब्ध है।

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Jind private school bas ban : जींद में 10 साल पुरानी स्कूली बसों पर लगेगी पाबंदी, डीसी ने जारी किए ये आदेश

Jind private school bus ban : हरियाणा सरकार के आदेशों अनुसार, जिला जींद में 10 साल से अधिक पुरानी बसों को चलने की अनुमति नहीं मिलेगी। हरियाणा सरकार के आदेश को बयां करते हुए डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने बैठक के दौरान रखी हैं। जबकि, उन्होंने यह भी कहा है कि, 10 साल पुरानी बसों (Jind private school bus ban) की एनओसी बनवाकर एनसीआर से स्कूल संचालक बाहर जरूर बेच सकते हैं। इसके साथ ही निजी स्कूल संचालकों की मुसीबतें और ज्यादा बढ़ चुकी है।

 

जींद जिले में कितनी हैं स्कूल बसें ?

डीसी ने प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के पदाधिकारियों को आदेश देते हुए कहा कि, विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा स्कूली वाहनों के लिए सड़क सुरक्षा एवं सुरक्षित स्कूल वाहन नीति बनाई गई है। जींद जिले में करीब 900 स्कूल बसें हैं। जिनमें से 50 से ज्यादा बसें 10 साल से ज्यादा पुरानी हैं। पुरानी बसें (Jind private school bus ban) ज्यादातर ग्रामीण इलाकों के निजी स्कूलों की हैं। बजट कम होने के कारण निजी स्कूल संचालक पुरानी बसें खरीद लेते हैं। जो मानकों पर खरी नहीं उतरती।

 

स्कूल वाहन नियमों का पूरी तरह से पालन करने के लिए डीसी ने दिया समय

बता दे की, महेंद्रगढ़ के किनाना में स्कूल बस पलटने के बाद से ही पूरे हरियाणा में ये सख्त कार्रवाईयां बढ़ रही है। इसके बाद से कई निजी स्कूल बंद हैं और सरकार व प्रशासन की सख्ती शांत होने का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षा विभाग की टीमें भी स्कूलों का दौरा कर सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रख रही हैं। स्कूल संचालकों (Jind private school bus ban) के आह्वान पर जिला प्रशासन एव डीसी ने नियम पूरे करने के लिए कुछ समय दिया है।

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Haryana Happy Card update : इतने रूपिए तक बन रहा हरियाणा रोडवेज का हैप्पी कार्ड, पूरे साल उठा सकते है बस सफर का मुफ्त लाभ

Haryana Happy Card update : हरियाणा सरकार रोड़वेज बसों से यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए एक खुशखबरी लेकर आई हैं, दरअसल जिनकी आय एक लाख रुपये वार्षिक हैं, उन लोगों के हैप्पी कार्ड बनाएं जा रहे हैं। सरकार ने 22.89 लाख परिवारों का कार्ड बनवाने के टारगेट रखा हैं।

अब हर दिन लोग बड़ी संख्या में इस कार्ड (Haryana Happy Card update) को पाने के लिए आवेदन कर रहें हैं। वहीं कार्ड की लागत 109 रुपये रखी गई हैं। इन हैप्पी कार्डों को प्रदेश के सभी 24 डिपो और 13 सब डिपो पर भेजा हैं, आवेदन करने वालों की बात करें तो एक अप्रैल तक प्रदेश में 7 लाख से ज्यादा लोग हैप्पी कार्ड के लिए आवेदन कर चुके हैं, प्रतिदिन पात्र लोगों द्वारा बड़ी संख्या में ऑनलाइन आवेदन किए प्रदेशभर में एक अप्रैल तक 2 लाख से ज्यादा हैप्पी कार्ड बन चुके है।

हैप्पी कार्ड से बस में कितने समय और किलोमीटर तक सफर कर सकते है ?

बता दें की, प्रतिदिन पात्र लोगों द्वारा बड़ी संख्या में ऑनलाइन आवेदन किए जा रहे हैं। 1000 किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं मुफ्त। अगर आपने हैप्पी कार्ड (Haryana Happy Card update) बनवा लिया हैं तो आप अपने इस कार्ड से हरियाणा रोडवेज बसों और हरियाणा रोडवेज से संबंधित बसों में एक साल में 1000 किलोमीटर तक की यात्रा मुफ्त कर सकते हैं। डिपो में आने के बाद आप 50 रुपये की फीस चुका कर अपना कार्ड प्राप्त कर सकते हैं।

कैसे रहेगी हैप्पी कार्ड की प्रोसेसिंग बस के सफर में ?

गौरतलब है की, हरियाणा अंत्योदय परिवार परिवहन योजना ( Haryana Antyodaya Family Transport Scheme) के माध्यम से एक लाख रुपये वार्षिक आय वालों को एक कार्ड दिया जा रहा हैं, यह कार्ड यात्री के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा देगा।

इसे हरियाणा रोडवेज बसों में मुफ्त यात्रा करने के लिए ई-टिकटिंग प्रणाली से जोड़ा गया हैं। बता दें कि यह एक स्मार्ट कार्ड है, हैप्पी कार्ड के लिए लाभार्थी को 50 रुपये का शुल्क देना होगा, कार्ड (Haryana Happy Card update) की लागत 109 रुपये रखी गई हैं, इसके अलावा कार्ड के वार्षिक रख रखाव 79 रुपये शुल्क भी वाहन किया जाएगा।

 

कौन बनवा सकता हैं, हरियाणा रोडवेज का हैप्पी कार्ड

👉हरियाणा के मूल निवासी ही इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
👉जो इस कार्ड का लाभ ले रहा है उस परिवार की वार्षिक आय एक लाख रुपये होनी चाहिए।
👉 बता दें की, अंत्योदन श्रेणी में आने वाले परिवार ही इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
👉 ध्यान रखें, परिवार पहचान पत्र में आय वेरीफाई होना जरूरी हैं।

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Jind National Highway : हरियाणा के इस जिले में लोगों को मिलेगी बड़ी राहत, जल्द ही बनाएं जाएंगे 6 नेशनल हाईवे

Jind National Highway : आज-कल हरियाणा में ज्यादें बाते होती हैं तो, नेशनल हाईवे की होती हैं। क्योंकि हरियाणा के हर जिले को किसी न किसी नेशनल हाईवे से जोड़ा जा रहा है। इसलिए इन दिनों हरियाणा में नेशनल हाईवे नेेटवर्क बिछाया जा रहा हैं। इसी प्रकार आने वाले समय मे हर एक शहर नेशनल हाईवे से जुड़ जाएगा।

विचारणीय है कि, नेशनल हाईवों (Jind National Highway) को किसी भी देश की रीढ़ माना जाता है, क्योेंकि देश से जुड़ी सभी आर्थिक संस्थाओं का समान परिवहन सुविधाओं के द्वारा नेशनल हाइवों पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जाता है, यदि किसी देश की सड़क की अच्छी आर्थिक संस्थाओं से जुड़ाव हैं, तो देश की अर्थव्यवस्था भी अच्छी है।

आपको बता दें कि, हम हरियाणा के जींद जिले की बात कर रहे हैं। जी हां, आप सही सुन रहें हैं! जहां आने वाले समय में 1-2 नहीं बल्कि 6-6 हाईवे से कनेक्टिविटी होने वाली है। जबकि विकास के मामले में काफी प्रगति हुई है, पर इन राजमार्गों के निर्माण से जींद शहर में विकास एक बार फिर से गति पकड़ने वाला है।

 

आपको पता ही होगा, जींद को हरियाणा की नाजनीतिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता हैं। क्योंकि हरियाणा के सबसे सात पुराने जिलों में से एक जींद शहर भी है, जो अब विकास की गति को प्राप्त कर रहा है। इसके मुख्य कारण हैं, शहर से जुड़ने नेशनल राजमार्ग।

जब भी आप जींद शहर जाते हो, तो आपको जींद के नए सामान्य बस स्टेंड के पास सोनीपत से जींद तक 352 ए नेशनल राजमार्ग का निर्माण कार्य तेजी से चल रहे को देख पा रहे हैं। जबकि यह राजमार्ग आने वाले दिनों में जल्द ही तैयार हो जाएगा और लोगों को अपनी सेवाएं प्रदान करेगा। आपको बता दें कि, नेशनल हाईवे 352 ए सोनीपत को जींद से जोडे़गा। इसलिए इस नेशनल राजमार्ग का निर्माण कार्य जल्द पूरा हो जाएगा।

इस नेशनल हाईवे का निमार्ण भारतीय नेशनल राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)  के तहत 2 अलग-अलग कंपनियों के द्वारा किया जा रहा है। जबकि इस नेशनल हाईवे की कुल लंबाई 80 कि.मी है, जिसे 2 भागों मंे विभाजित किया गया है। इसलिए इस नेशनल हाईवे का निमार्ण कार्य सोनीपत से गोहाना और गोहाना से जींद तक 2 भागों में चल रहा है।

 

आपको बता दें कि, दूसरी तरफ हरियाणा सरकार जींद और सोनीपत के बीच नेशनल राजमार्ग (Jind National Highway) बनाने जा रही है। इस नेशनल हाईवे के निमार्ण में कुल 170 करोड़ रूपये का खर्च आएगा। नेशनल हाईवे का निमार्ण केंद्र की सड़क निधि योजना के अनुसार किया जाएगा। जबकि जींद से पानीपत राजमार्ग बनने से प्रति-दिन यात्रा करने वाले यात्रियों का लाभ पहुुचेगा।

जींद में 152 डी जुड़ाव होने के बाद शहर के लोग इसका लुत्फ उठा रहे हैं। जबकि, 152 डी के निर्माण के बाद जींद (Jind National Highway) के निवासियों के लिए अंबाला और चंढ़ीगढ़ की यात्रा करना आसान हो गया है। बता दें कि, पहले अंबाला जाने में यात्रियों को 3 से 4 घंटे तक का समय लगता था। जबकि, 152 डी बनने के बाद अब यात्रियों को सफर करने में सिर्फ 2 घंटे लगते हैं। वहीं, इस नेशनल हाईवे के निर्माण के बाद जींद के नागरिकों के लिए दिल्ली और राजस्थान की यात्रा करना भी सरल हो गया है।

रोहतक-जींद-नरवाना जींद को रोहतक शहर को रोहतक और नरवाना से जोड़ने वाला नेशनल राजमार्ग 352 पूरा हो गया है। जबकि चार लेन वाले नेशनल हाईवे का तोहफा कई साल पहले जींद के निवासियों को दिया जा चुका है। पर इसका निमार्ण कार्य अब तक शुरू नहीं किया जा सका है। लगता है, आने वाले समय में ये नेशनल हाईवे पूरा हो जाएगा और जींद के शहरवासियों को अपनी सेवाएं मुहैया करवा पाएगा। बता दें कि, इस नेशनल हाईवे के निर्माण के बाद जींद के लोगों के लिए रोहतक से दिल्ली के साथ-साथ पंजाब तक की यात्रा करना सरल हो जाएगा।

 

वहीं बता दें कि, पानीपत-डबवाली नेशनल हाईवे का निमार्ण आने वाले समय में जल्द ही शुरू होगा। इस नेशनल हाईवे (Jind National Highway) के निर्माण को मंजूरी दे दी गई है और सर्वेक्षण कार्य भी शुरू कर दिया गया है। इस राजमार्ग के बनने के बाद करनाल, जींद, पानीपत, फतेहबाद और सिरसा को जोड़ने का कार्य पूरा हो जाएगा। यह नेशनल हाईवे यूपी के मुजफ्फरनगर से हरियाणा के सिरसा तक बनाया जाएगा। इस सड़क के बनने के बाद जींद के कपास व्यापारियांे को सिरसा आने-जाने में काफी सुविधा मिल जाएगी।

वहीं जम्मू-कटरा-दिल्ली नेशनल हाईवे का निर्माण एनएचएआई के द्वारा किया जा रहा है। जबकि इस राजमार्ग (Jind National Highway) के बनने के बाद हरियाणा के कई जिलें यातायात से मुक्त हो सकेंगे। नेशनल हाईवे के निर्माण के बाद जींद जिला का विकास एक बार फिर गति पकड़ रहा है। बता दें कि, इस नेशनल हाईवे के निर्माण के बाद और जींद का जुड़ाव के साथ, उधमियों को भी नजर इस नेशनल हाईवे को स्थापित करने पर होगी।

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Haryana Private School Closed : हरियाणा में हजारों की तादात में निजी स्कूल होंगे बंद, एमआईएस ने जारी किया आदेश

Haryana Private School Closed : हरियाणा के महेद्रगढ़ के कनीना में स्कूल बस दुर्घटना के बाद हरियाणा सरकार और शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों पर पूरी तरह एक्शन ले रही है। शिक्षा विभाग ने इस तरह शिकंजा कसना शुरू कर दिया है कि, क्लस्टर स्तर पर टीमों का गठन करके ! उन्हें चेकिंग अभियान चलाने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं।

परिवहन और शिक्षा विभाग स्कूली वाहनों की फिटनेस जांच कर रहा है। जबकि शिक्षा निदेशालय ने राज्य भर में चल रहे 4500 गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है।

बता दें कि, बेसिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों से गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों के बारे में रिपोर्ट मांगी है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को लिख पत्र में उन्होंने गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों के एमआईएस पोर्टल को बंद करने के लिए कहा है। दरअसल, एमआईएस पोर्टल पर उपलब्ध मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची मुख्यालय को भेजने के निर्देश दिए है।

 

गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों पर हरियणा सरकार पहले ही अपना रूख स्पष्ट तय कर चुकी है। पर निजी स्कूल (Haryana Private School Closed) संचालक लगातार मान्यता के लिए प्रयास कर रहे थे। सरकार की सख्तियों के बाद, निजी स्कूल संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने सीएम नायब सैनी को एक ज्ञापन सौंपा था।

ज्ञापन में निजी स्कूलों (Haryana Private School Closed) को बंद नहीं करने, 10 साल के बाद स्थानीय मान्यता प्राप्त स्कूलों की मान्यता समीक्षा के आदेश को रद्द करने और स्कूल समितियों पर लगाए गए जुर्माने को माफ करने की मांग की गई थी। उस समय सीएम ने आश्वासन दिया था कि, कोई भी स्कूल बंद नहीं किया जाएगा।

 

हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम सन् 2003 के मुताबिक, अगर कोई स्कूल शर्तों को पूरा किए बिना संचालित होता है, तो इसे अपराध माना जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसलिए अस्थायी रूप से मान्यता प्राप्त स्कूलों को नए सत्र में प्रवेश लेने की अनुमति प्रदान तभी कि जाएगी, जब यें शर्तों को पूरा करेंगे।

इस प्रकार हरियाणा शिक्षा विभाग के द्वारा मान्यता प्राप्त छोटे और बड़े गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों (Haryana Private School Closed) पर छापे मारने के लिए गु्रपों का गठन किया गया है। यें गु्रप जहां गैर-मान्यता स्कूलों में कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं, वहां छापे-मारी करेंगे। यानी, टीम के सदस्य अपने समूह में स्कूलों का निरीक्षण करेंगे और अवैध रूप से चलाए जा रहे स्कूलों को बंद करा देंगे।

बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं जिन्हें छोटी कक्षाओ की मान्यता प्राप्त है, पर वे बड़ी कक्षाओं में प्रवेश दे रहे हैं। बता दें कि, अब तक 282 गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों (Haryana Private School Closed) की पहचान की गई है! जिन्हें आदेशों के बाद बंद कर दिया जाएगा।

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Indian Currency vs Dollar : साल 2027 तक भारतीय रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले बढ़ेगी वैल्यू ? आजादी से पहले बराबर थी दोनों की वैल्यू

Indian Currency vs Dollar : डॉलर के प्रति रूपिए की कमज़ोर हालोतों को देखते हुए, भारत दुनियाभर में लेन-देन और निवेश के लिए तेजी से भारतीय रुपये के उपयोग को बढ़ा रहा है। इसी मकसद से पिछले साल सरकार ने फॉरेन ट्रेड पॉलिसी का ऐलान किया था ताकि वर्ल्ड वाइड विदेश वाणिज्य परिचालन में घरेलू मुद्रा का इस्तेमाल बढ़ाया जा सके।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारत के रुपये की कीमत 83.15 रुपये (Indian Currency vs Dollar) है और आने वाले सालों में इसमें कमी आएगी या बढ़ोतरी, इसे लेकर एक्सपर्ट्स ने अनुमान लगाया है।

गौरतलब है की, आजादी से पहले भारतीय रुपये और अमेरिकी डॉलर की कीमत बराबर हुआ करती थी। यानी भारत का एक रुपया अमेरिका के एक डॉलर (Indian Currency vs Dollar) के बराबर होता था। लेकिन आजादी के बाद इसमें बड़ी तेजी से बदलाव आया और आज भारत के 83.15 रुपये एक अमेरिकी डॉलर के बराबर हैं।

 

2027 तक भारत का रुपिया डॉलर के प्रति कितना गिर जाएगा ?

एक्सपर्ट्स के अनुमान के अनुसार, 2027 तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये (Indian Currency vs Dollar) की वैल्यू में लगातार कमी आएगी और यह 90 रुपये से भी और नीचे चला जाएगा। एक्पर्ट्स ने रुपये की वैल्यू को लेकर लंबे समय की भविष्यवाणी की है।

वॉलेट इनवेस्टर ने भारतीय रुपये को लेकर भविष्यवाणी करते हुए कहा है की, 2025 में भारतीय रुपये में फिर से कमी आएगी और साल के अंत तक एक डॉलर की कीमत 88.276 रुपये के बराबर हो जाएगी और यह कमी जारी रहेगी। साल 2027 के नवंबर में एक डॉलर की वैल्यू 91.78 इंडियन रुपये (Indian Currency vs Dollar) के बराबर हो जाएगी। जबकि एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि 2032 तक यह आंकड़ा 92 रुपये तक पहुंच जाएगा।

 

आजादी से पहले भारत का रुपिया डॉलर के प्रति अब तक का उतार- चढ़ाव ग्राफ ?

आजाद के बाद भारतीय रुपये की कीमत में बड़ा बदलाव देखा गया है। उससे पहले भारत के एक रुपये की कीमत 1 अमेरिकी डॉलर के बराबर थी। कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि, रुपये की कीमत डॉलर से ज्यादा हुआ करी थी, लेकिन ऐसा माना जाता है कि मीट्रिक सिस्टम आने से पहले सारी करेंसी की वैल्यू एक समान थी। करेंसी की वैल्यू सेट करने के लिए साल 1944 में ब्रिटन वुड्स एग्रीमेंट लाया गया।

एग्रीमेंट के तहत सभी देशों में सहमति बनाई गई और वैश्विक करेंसी की वैल्यू सेट की गई। साल 1947 के बाद रुपये (Indian Currency vs Dollar) में कमी आनी शुरू हो गई। कंटेंपरेरी मीट्रिक सिस्टम के अनुसार, साल 1913 में एक डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 0.09 रुपये थी। 1948 में यह 3.31 रुपये हो गई। इसके बाद 1949 में 3.67 रुपये और 1970 में 7.50 रुपये पर पहुंच गई।

बता दें की, साल 2022 में इंडियन रुपये में बड़ी गिरावट देखने को मिली और डॉलर के मुकाबले रूपिए के वैल्यू में 11 फीसदी की कमी आ गई। 2022 के शुरू में यह 74.40 रुपये था और 2023 में रुपया डॉलर के मुकाबले 83.15 रुपये पहुंच गया।

पिछले साल 20 अक्टूबर को अमेरिका की कड़ी मोनेट्री पॉलिसी की वजह से रुपये को बड़ा झटका लगा और इसकी कीमत 82.77 रुपये पहुंच गई। 1948 से अब तक भारतीय रुपया (Indian Currency vs Dollar) डॉलर के मुकाबले 79.46 रुपये गिरा है।

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Jind news : जींद की प्रतिभा ने हासिल किया यूपीएससी में 356 वां रैंक, पिता एएसआई ने बांटी खुशी से मिठाई

Jind news : जींद के गांव जुलानी के बेटी प्रतिभा नें यूपीएससी में 356 वां रैंक हासिल करके देश में गांव और जिला का नाम रोशन किया। कहा जाता है कि, प्रतिभा के दादा गुरू स्व. धन सिंह का इस क्षेत्र में अपना नाम और प्रभाव था। प्रतिभा की इस तरह कि सूचना मिलने पर दिल्ली पुलिस में एएसआई जवाहर सिंह का खुशी का ठिकाना नही रहा। पिता ने अपने सके संबधीं एंव रिश्तेदारों को प्रतिभा की सफलता के बारे में सूचित करते हुए खुशी जाहिर की और मिठाई बांटी।

 

प्रतिभा के परिवार के बारें में

जींद (Jind news) के गांव जुलानी के प्रतिभा के दादा गुरू स्व. धन सिंह का इस क्षेत्र में काफी बड़ा नाम था। जबकि प्रतिभा का बड़ा भाई मंदीप विदेश मंत्रालय में कार्यरत हैं। प्रतिभा का पिता जवाहर सिंह दिल्ली पुलिस में एएसआई हैं। जबकि मां संतोष स्वास्थ्य विभाग गुरूग्राम में स्टाफ नर्स हैं।

 

प्रतिभा के जीवन के बारें में

गौरतलब है कि, प्रतिभा ने जींद (Jind news) के आदर्श विधा मंदिर में पांचवी कक्षा तक पढ़ाई की और फिर नौवीं कक्षा तक इंडस पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की। उसके बाद प्रतिभा का परिवार गुरूग्राम चला गया। वहां से प्रतिभा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीएससी और गुड़गांव विश्वविद्यालय से एमएससी किया। उन्होंने वर्ष 2020 में आईआईटी  मुंबई से गणित में एमएससी की।

प्रतिभा हमेशा शिक्षा में होनहार और संघर्षशील छात्रा रही है। उन्होंने सभी बोर्डों और उच्च शिक्षा में 80 प्रतिशत से अधिक अंकों के साथ उत्तीर्ण किया है। यूपीएससी में चयनित होना प्रतिभा का सपना था। पहले प्रयास में वह सफल नहीं हुई, लेकिन उन्होंने हार नी मानी दूसरे प्रयास में 326 वां रैंक हासिल कर अपने माता-पिता के साथ गांव और जिला का नाम प्रदेश एंव देशभर में नाम रोशन किया।

माता-पिता ने प्रतिभा का समय-समय पर पूरा समर्थन किया। प्रतिभा को अध्ययन करने के लिए भी अधिक समय दिया, जिससे प्रतिभा ने स्व-अध्ययन के साथ समसामयिक मामलों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि, गुरूग्राम में वह जिस घर में रहती हैं, उसी बिल्डिंग के एक मंजिल पर एक युवक यूपीएससी की तैयारी करता था। उसके चुनने के बाद में उससे प्रेरित हुई।

प्रतिभा ने आगे कहा, मेरी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को देती हूं ! जिन्हें हर समय मेरा पूरा सर्पोट किया। वहीं जुलानी (Jind news) के निवासी केवल कृष्ण जुलानी ने कहा कि, गांव की बेटी प्रतिभा ने न केवल गांव का बल्कि राज्य एंव देश का नाम रोशन किया है, जिससे उन्हें अपनी प्रतिभा पर गर्व है।

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