Pindara Tirth : Somvati Amavasya, this is the time for bathing and charity, know how to do Pitru Tarpan

Somwati amavasya 2024 : सोमवती अमावस्या आज, ये है स्न्नान और दान का समय, जानें कैसे करें पितृ तर्पण, इस साल 3 बार आएंगी सोमवती अमावस

Somwati amavasya 2024: इस बार अमावस्या सोमवार को है और पांडू पिंडारा तीर्थ पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है।  सोमवती अमावस्या के मौके पर तीर्थ (pindara tirth) पर सबसे ज्यादा भीड़ लगती है। इस वर्ष चैत्र माह की अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ रही है। इसे सोमवती अमावस्या के नाम जाना जाता है।

 

 

धार्मिक मान्यता के अनुसार इस खास अवसर पर तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और साधक को जीवन में सुख समृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि ऐसा करने से काल, कष्ट, दुख, संकट से छुटकारा मिलता है। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने कहा कि आठ अप्रैल को अमावस्या तिथि की शुरुआत सुबह तीन बजकर 21 मिनट से होगी और इसका समापन इसी दिन रात 11 बजकर 50 मिनट पर होगा। इस दिन स्नान और दान सुबह चार बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह पांच बजकर 18 मिनट तक किया जा सकेगा।

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2024 में तीन सोमवती अमावस्या (Somwati amavasya) के बनेंगे योग

-पहला योग आठ अप्रैल को।
-दूसरा योग दो सितंबर को
-तीसरा योग 30 दिसंबर को

 

 

ये है सोमवती अमावस्या (Somwati amavasya) पूजा विधि

सोमवती अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। इसके बाद पवित्र नदी या फिर घर में पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके पश्चात भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें। भोलेनाथ को फल, फूल, भांग, धतूरा, बेलपत्र अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें और शिव स्त्रोत और शिव चालीसा का सच्चे मन से पाठ करें। सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें।

 

Pindara Tirth : Somvati Amavasya, this is the time for bathing and charity, know how to do Pitru Tarpan
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पिंडारा तीर्थ (history of Pindara Tirth) का ये है महत्व
पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं।

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व्यवस्था बनाने का रहेगा प्रयास : राकेश यादव
एसडीएम राकेश यादव ने कहा कि कुछ समय पहले ही नहरी पानी तीर्थ में छोड़ा गया था, जो करीब सात से आठ दिन तक लगातार चला था। यातायात पुलिस को भी व्यवस्था बनाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। प्रयास रहेगा कि श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी नहीं आए।

 


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