जीव प्रेमियों का पीएम से अपील: चीतों का निवाला ना बनाए, बल्कि लुप्त होती हिरणों को बचाए
फतेहाबाद। 70 वर्षों द्वारा भारत में चीतों के पुनर्वास के लिए किए जा रहे प्रयासों में उनका भोजन हिरणों को बनाए जाने की खबरों के बाद आक्रोशित जीव प्रेमियों का धरना आज दूसरे दिन भी जारी रहा। आज लघु सचिवालय के बाहर धरनारत जीव प्रेमी एवं बिश्नोई समाज के लोगों ने नारेबाजी कर सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की। इसके बाद डीसी को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन सौंपते हुए अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के प्रदेशाध्यक्ष विनोद कड़वासरा ने कहा कि देश में चीतों को पुन: विस्थापित किया जा रहा है और मीडिया के माध्यम से पता चला है कि चीतों के शिकार के लिए उनके इलाकों में चीतल व अन्य हिरणों को छोड़ा जा रहा है, सरकार के इस निर्णय से जीव प्रेमी खासकर बिश्नोई समाज को गहरा आघात पहुंचा है। हिरण हर किसी का मन मोह लेने वाला निरीह जीव है, जिसे हमेशा बिश्नोई समाज अपनी जान जोखिम में डाल बचाता आ रहा है। हिरण संरक्षित प्रजाति है, इसलिए उनको चीतों का नीवाला बनाना ठीक नहीं है।
हिरण, काले हिरण व इस प्रजाती के अन्य जीव भी लुप्त प्राय की श्रेणी में हैं। कई दशक पहले यह लाखों की संख्या में भारत में विचरते थे और अब हजारों में है, इन्हें भी बचाए जाने की जरूरत है। हिरणों का मुख्य शिकारी कुत्ते हैं, कुत्ते भी हिरण के प्राकृतिक शिकारी नहीं हैं। हजारों वन्य जीव मरें हैं, जो वन विभाग के रिकार्ड में भी दर्ज नहीं हैं। सरकार शेर, टाइगल और चीता संरक्षण पर खर्च कर रही है।
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लेकिन लुप्त होती जा रही हिरणों को बचाने के लिए अभी कोई काम नहीं हो रहा। इसलिए सरकार कुनो जंगल में हिरणों, चीतलों को डालने पर प्रतिबंध लगाए। इसके अलावा हरियाणा, राजस्थान में घटती हिरणों की तादाद को लेकर भी चिंता करे। इस अवसर पर सुरजीत सिंह, रामतीर्थ, लक्ष्मण बिश्नोई, अमित कुमार, हंसराज भादू, अजय कुमार, महेंद्र सिंह, सुमित, सुंदर सिंह, विश्वजीत, दलीप आदि शामिल थे।