Ladies Police Constable Story : आपने बॉलिवुड अभिनेत्री रानी मुर्खजी की मर्दानी फिल्म तो देखी ही होगी, जिन्होंने फिल्म में बच्चों काे ढूंढ़ते हुए महिला पुलिस का किरदार निफाया था। इसी फिल्म की तरह महाराष्ट्र की महिला पुलिस कॉस्टेबल उषा कोंडलकर की कहानी है। उषा कोंडलकर साल 1991 में महाराष्ट्र पुलिस में भर्ती हुई थी. उषा पिछले 6 वर्षों में 700 से अधिक लापता लोगों को उनकी घर वापसी कराई है। उषा कोंडलकर ने एक मीडिया रिर्पोट में बताया कि, इस वक्त थाने में लापता होने की रोजाना 1-2 शिकायत लिखी जाती है।
लोग गुस्से में परिवार तो छोड़ देते हैं, लेकिन अपने पीछे क्या छोड़ जाते हैं, उन्हें इस बात का तब एहसास होता है कि, जब वह कुछ दिन अकेले गुजारते हैं। आगे उन्होंने बताया कि, वह अपने 32 साल के पुलिस करियर के स्ट्रांग नेटवर्क का प्रयोग कर इन लापता लोगों की घर वापसी करवाती आई हैं।
2021 से अब तक 575 बच्चों काे पता लगाया गया है
एक मीडिया रिर्पोट के मुताबिक, एमआईडीसी पुलिस (Ladies Police Constable Story ) स्टेशन के मिसिंग स्क्वाड में कार्यरत उषा कोंडलकर ने 2021 से अब तक 575 बच्चों, महिलाओं और पुरुषों में से 536 का पता लगा पाई हैं और उन्हें उनके परिवारों को सौंपा है। तत्कालीन पुलिस निरीक्षक बेसरकर, भीमा नारके और वर्तमान पुलिस निरीक्षक प्रवीण काले के मार्गदर्शन में सहायक पुलिस निरीक्षक प्रशांत साबले के नेतृत्व में उन्होंने यह उपलब्धि सफलतापूर्वक हासिल की।
गुमशुदा लोगों को ढूंढने के लिए क्या तकनीकी अपनाती है ?
वे देश के विभिन्न राज्यों और जिलों में लापता व्यक्तियों (Ladies Police Constable Story ) की जांच और लापता व्यक्तियों का पता लगाने के लिए जरुरी संपर्क और तकनीकी विश्लेषण, सीसीटीवी फुटेज, न्यूज पेपर में इस्तेहार, सीसीटीएनएस, आईसीजेएस, सोशल मीडिया आदि की प्रणाली का कुशलतापूर्वक उपयोग करती हैं। इससे पहले वह प्रतापनगर थाने में भी 150 गुमशुदा लोगों को ढूंढ चुकी हैं।
उन्होंने बताया कि, घर से भागे हुए लोगों को ढूंढना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसे लोग अपना घर से अपना संपर्क तोड़ने के लिए अपना फोन वगैरा सब बंद कर देते हैं, जिससे इन्हें ट्रैक करना थोड़ा मुश्किल होता है। लेकिन लगातार उस दिशा में काम करने से उनकी टीम ऐसे लोगों को खोज निकालती है।