Loksabha election 2024

Loksabha election 2024 : हरियाणा की इस लोकसभा सीट पर छिड़ी सियासी जंग, ससुर के खिलाफ मैदान में उतरीं दो बहुएं

Loksabha election 2024 : हरियाणा में आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर सियासी जंग शुरू हो चुकी है। इसी प्रकार अबकी बार हिसार लोकसभा सीट पर दिलचस्प जंग देखने को मिलेगी। इस सीट पर अबकी बार तीन चौटाला मैदान में उतरे हैं। जी हां,ससुर रणजीत चौटाला के खिलाफ जेजेपी की नैना और आईएनलडी की सुनैना मैदान में उतर आई हैं।

लोकसभा चुनावों की तैयारी करते हुए, हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट (Loksabha election 2024 ) पर बीजेपी के बाद आईएनएलडी और जेजपी ने भी उम्मीदवार उतार दिए हैं। बीजेपी ने रणजीत चौटाला को हिसार से चुनावी मैदान में उतारा है। जेजेपी और आईएनएलडी ने भी चौटाला परिवार से ही प्रत्याशी उतारकर हिसार की ये जंग दिलचस्प बना दी है। जेजेपी ने अजय चौटाला की पत्नी और दुष्यंत की मां नैना चौटाला को उम्मीदवार बनाया है।

 

वहीं आईएनएलडी ने देवी लाल के पोते रविंद्र उर्फ रवि चौटाला की पत्नी सुनैना चौटाला को टिकट दिया है। रंजीत चौटाला नैना और सुनैना के चाचा ससुर लगते हैं। ऐसे में हिसार की जंग अब चौटाला परिवार के बीच देखने को मिलेगी। जबकि अभी तक कांग्रेस ने इस सीट पर प्रत्यासी नहीं उतारा है।

गौरतलब है की, रणजीत चौटाला अपने राजनीतिक करियर में अब तक 8 चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन उनका जीत का रिकॉर्ड खराब रहा है। वो सिर्फ तीन बार ही जीत हासिल कर पाए और 5 बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। इन 8 चुनावों में एक राज्यसभा चुनाव भी शामिल है, जो उन्होंने 1990 में लड़ा और इसमें उसे जीत मिली थी।

वो एक बार हिसार लोकसभा (Loksabha election 2024 ) से ही सांसद के तौर पर भी चुनाव लड़ चुके हैं। मगर उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। अब बीजेपी ने उन्हें 2024 लोकसभा चुनाव के लिए हिसार लोकसभा से प्रत्याशी बनाया है। इस बार उनका मुकाबला अपन ही परिवार की दो बहुओं से है।

 

नैना चौटाला कभी चुनाव नहीं हारी

नैना चौटाला का सियासी ट्रैक रिकॉर्ड बहुत मजबूत है। अबतक उन्होंने दो चुनाव लड़े हैं और दोनों में ही उन्होंने जीत हासिल की। नैना चौटाला 2014 में डबवाली से इनेलो की सीट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बनी थी। पारिवारिक कलह के बाद नई पार्टी जजपा (Loksabha election 2024 ) का गठन हुआ तो नैना चौटाला को डबवाली सीट की बजाए बाढड़ा सीट से चुनाव लड़ाया गया। नैना चौटाला ने कांग्रेस के रणबीर सिंह महेंद्रा को 13704 वोट से हराया।

इस चुनाव में भी उनका चाचा ससुर से मुकाबला था। आईएनलडी ने डॉ. केवी सिंह को मैदान में उतारा था। लेकिन नैना ने इस चुनाव में भारी मतों से जीत हासिल की थी। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी नैना चौटाला ने डबवाली सीट से जीत हासिल की थी। इस चुनाव में उन्हें 68,029 वोट मिले थे।

 

सुनैना चौटाला पहली बार उतरेगी लोकसभा चुनाव के मैदान में

बता दें की, सुनैना चौटाला का ये उनका पहला चुनाव है, जो लोकसभा प्रत्यासी (Loksabha election 2024 ) के रूप में उतरेगी। सुनैना मूल रूप से हिसार के गांव दौलतपुरखेड़ा की रहने वाली हैं। प्राथमिक शिक्षा रोहतक के एक निजी स्कूल में हुई। बाद में एफसी कॉलेज हिसार में दाखिला करवाया। ग्रेजुएशन करने के बाद एमए (अंग्रेजी) की। वर्ष 1995 में कॉलेज छात्र संघ की प्रधान बनी। अपने पहले लोकसभा चुनाव में नैना चौटाल और ससुर रणजीत चौटाला को टक्कर देंगी।

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Loksabha election: Colors of politics: Once there was a figure of 36 among themselves, now Devi Lal, Bhajan Lal and Jindal will seek votes for the same BJP

Loksabha election : राजनीति के रंग : कभी आपस में था 36 का आंकड़ा, अब देवीलाल, भजनलाल और जिंदल की पढ़ी उसी भाजपा के लिए मांगेगी वोट

देखें क्या कहते हैं हरियाणा की राजनीति के समीकरण

Loksabha election : कहते हैं समय बलवान है और किसी को इतनी बड़ी बात भी नहीं करनी चाहिए कि उसे वापस लेनी पड़ी। हरियाणा की राजनीति की ही बात कर लो। कभी जिन पार्टियों का आपस में 36 का आंकड़ा था और दोनों के बीच हमेशा राजनीतिक प्रहार चलते रहते थे, आज उन्हीं के लिए वोट मांगने पड़ रहे हैं। इसका उदाहरण देख भी सकती हैं। चौधरी देवीलाल, भजनलाल और जिंदल परिवार की पीढ़ी इस बार भाजपा के लिए वोट मांगती नजर आएगी, जबकि इनका कभी भाजपा के साथ 36 का आंकड़ा था।

भाजपा के रणनीतिकारों ने प्रदेश में सभी दस की दस लोकसभा (Loksabha election) सीटें जीतने के पिछले सुखद अतीत को दोहराने के लिए आपस में धुर विरोधी कहलाने वाले इन परिवारों को एक-दूसरे के लिए मतदाताओं के बीच जाने की अनूठी युक्ति निकाली है। इसका सबसे बड़ा दृश्य हिसार लोकसभा सीट पर दिखाई भी देने लगा है। चौधरी देवीलाल के पुत्र और हिसार से भाजपा प्रत्याशी रणजीत सिंह चौटाला के लिए उस जिंदल परिवार के वारिस मतदाताओं से अपील करेंगे, जिन्हें कुरुक्षेत्र के चुनावी मैदान में अक्सर देवीलाल के ही परिवार से ही चुनौती मिलती रही।

यही नहीं, प्रदेश की राजनीति में परस्पर कट्टर विरोधी देवीलाल और भजनलाल के पुत्र भी इस बार साथ चलेंगे। मन से अथवा बेमन, भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई देवीलाल के पुत्र रणजीत सिंह चौटाला के लिए वोट की अपील करेंगे। इस संयोग पर राजनीति के विशेषज्ञ भी हैरान हैं।

 

26 साल पहले ओपी जिंदल और रणजीत चौटाला थे आमने-सामने
विशेषज्ञों की हैरानी यूं ही नहीं है। यह लोकसभा चुनावी वाकया 26 साल पहले का है जब जिंदल हाउस के आदर्श और प्रसिद्ध उद्योगपति ओमप्रकाश जिंदल और रणजीत सिंह हिसार सीट पर आमने-सामने थे। हालांकि ओपी जिंदल बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी से प्रत्याशी थे जबकि रणजीत सिंह कांग्रेस से। दोनों ही हार गए थे। इस चुनाव में हरियाणा लोकदल के प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह बरवाला की जीत हुई थी। ओपी जिंदल दूसरे स्थान पर और रणजीत सिंह चौथे स्थान पर रहे थे।

 

जिंदल परिवार को देवीलाल परिवार से मिलती रही चुनौती
वर्ष 1998 का इकलौता लोकसभा चुनाव (Loksabha election) नहीं था जब ओपी जिंदल अथवा उनके वारिस को देवीलाल परिवार से चुलौती मिली। देवीलाल के पुत्र ओमप्रकाश चौटाला की अगुवाई वाली इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और जिंदल परिवार के बीच कुरुक्षेत्र के चुनावी संग्राम में खूब घमासान हुआ। कभी कैलाशो देवी, कभी अभय सिंह चौटाला तो कभी अशोक अरोड़ा उनके सामने रोड़ा अटकाते रहे। हालांकि, एक बार ओपी जिंदल और दो बार उनके पुत्र नवीन जिंदल ने कुरुक्षेत्र का मैदान मारा है।

 

भजनलाल से स्पर्धा में हुड्डा के साथ थे जिंदल
नब्बे के दशक का दौर कांग्रेस में कलह की शुरुआत का था। बंसीलाल ने अलग बंसी बजाई तो भजनलाल और भूपेंद्र हुड्डा के बीच प्रतिद्वंद्विता परवान चढ़ रही थी। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, इन दोनों के बीच कुर्सी की होड़ के दिनों में ओमप्रकाश जिंदल हुड्डा के साथ थे। सैद्धांतिक रूप से जिंदल और भजनलाल परिवार के बीच कभी नहीं बनी। ओपी जिंदल के परिवार ने पिछले लोकसभा चुनाव तक भूपेंद्र हुड्डा का साथ दिया।

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