Haryana Agriculture news : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए है। लेकिन समय के साथ अब ऐसा लगने लगा है कि जिस उद्देश्य से योजना शुरू की गई थी, वह पूरा नहीं हो पा रही है। किसानों को आपदा से निकालने वाली योजना, अब खुद आपदा में फंसती नजर आ रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक करनाल समेत सात जिलों (Haryana Agriculture news ) के किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। इन जिलों को इस बार किसी बीमा कंपनी को काम नहीं मिला है। योजना की शुरुआत साल 2016 से की गई थी। योजना के तहत पिछले साल करनाल के 79 किसानों को फसल बर्बादी पर 6 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था।
बारिश और ओलावृष्टि से खराब हुई फसल
हालांकि, अभी हरियाणा में बारिश और ओलावृष्टि हुई थी, लेकिन इस बार करनाल (Haryana Agriculture news ) में फसल बीमा योजना लागू नहीं की गई। बड़ा सवाल यह है कि, किसान अपनी फसल का बीमा कैसे कराएं ? सरकार की इस लापरवाही की वजह से बदलते मौसम के कारण किसानों को आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस योजना के तहत अब तक करनाल के किसानों को कुल 84.23 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जा चुका है। पिछले साल करनाल के कुल 79 किसानों को फसल बर्बादी के मुआवजे के तौर पर 6 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था। हाल ही में भी हरियाणा (Haryana Agriculture news ) में बारिश और ओलावृष्टि हुई थी, लेकिन इस बार करनाल में फसल बीमा योजना लागू नहीं की गई।
बड़ा सवाल यह है कि, किसान अपनी फसल का बीमा कैसे कराएं ? सरकार की इस लापरवाही की वजह से बदलते मौसम के कारण किसानों को आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है।
इन जिलों में नहीं आई कंपनी
इस बार राज्य के करनाल, अंबाला, सोनीपत, हिसार, जींद, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम को फसल बीमा योजना के लिए कोई बीमा कंपनी नहीं मिली है। फसल के नुकसान की भरपाई के लिए किसानों से बीमा के लिए फसल की लागत का डेढ़ प्रतिशत प्रीमियम लिया जाता है।
12 हजार एकड़ फसल हुई प्रभावित
हाल ही में करनाल (Haryana Agriculture news ) समेत कई जिलों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हुई थी। 12 हजार एकड़ में गेहूं और सरसों की फसल प्रभावित हुई। कृषि विभाग द्वारा प्रभावित फसलों का आकलन किया गया। हालांकि प्रभावित फसलों का मुआवजा फसल बीमा योजना के तहत नहीं मिलेगा।
सरकार (Haryana Agriculture news ) को फसलों का बीमा कराना चाहिए
किसानों का कहना है कि, निजी कंपनी के माध्यम से फसलों का बीमा किया जा रहा है। निजी कंपनी पूरे गांव को एक इकाई बनाती है और किसानों की फसलों का बीमा होता है। पूरे गांव में आपदा से 70 प्रतिशत तक फसल बर्बाद होने पर मुआवजा दिया जाता है।
किसानों का कहना है कि, लोगों की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। सरकार को पूरे गांव का आकलन करने के बजाय खुद ही फसलों का बीमा कर प्रत्येक किसान के नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।