WHO update : वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाईजेशन (WHO) ने एड्स को लेकर एचआईवी (HIV) पीड़ीतों को राहत देते हुुए एक खुश खबरी दी। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि आने वाले कुछ सालों में एचआईवी या नी एड्स (AIDS) की बिमारी पूरी तरह खत्म हो जाएगी। आपको बता देगी पिछले कुछ सालों से एचआईवी की बीमारी अब इतनी लाइलाज नहीं रही, जितनी पहले होती थी। शायद अब तो एचआईवी के कारण कोई मरता है।
दुनिया (world) के तमाम देश में एचआईवी के साथ जीने के लिए कई तरह की प्रभावकारी दवाइयां है, जो एचआईवी को ठीक करने में प्रयोग की जाती है। इसी कारण 1995 के बाद एचआईवी से मरने वालों की संख्या में बहुत ज्यादा कमी आई है। दरअसल सच यह है कि एचआईवी के कारण होने वाली बीमारी एड्स का अब तक पूरी तरह खात्मा नहीं हुआ है। दावा किया जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ ने ऐसी योजना बनाई है कि 2030 तक एड्स को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि लाइवसाइंस को एचआईवी पर यूनाइटेड नेशन प्रोग्राम (United Nations Program) की डायरेक्टर कुरैशिया अब्दुल करीम ने बताया कि हमारे पास अब ऐसे टूल हैं जिनकी सहायता से हम एड्स को खत्म कर सकते हैं।
एड्स के कई असरदार इलाज
ऐसे में एड्स रिसर्च पर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (University of California) की डायरेक्टर डॉ. मोनिका गांधी बताया कि 1996 से एचआईवी (HIV) को काबू करने के लिए हमारे पास कई तरह के पावरफुल इलाज है। यदि अब हम एचआईवी वायरस (HIV Virus) को हेल्दी लोगों में जाने से रोक सकें तो हम बहुत जल्दी एचआईवी को खत्म करनें में कामयाब होंगेे। इसके लिए हमें एक नियोजन के अनुसार संबंध बनाने के दौरान एचआईवी पॉजिटीव व्यक्तियों से एचआईवी निगेटिव व्यक्ति में वायरस को जाने से रोकना होगा।
दरअसल ये है कि इंफेक्टेट लोगों से वायरस को अन्य लोगों में जाने से रोकना होगा। इसलिए इस बीमारी को खत्म करने का सबसे बेहतर तरीका यही है। उन्होंने कहा कि इस वायरस का अंत हो सकता हैए लेकिन इसके लिए शिशुओं और टीनएजर्स में एचआईवी को जाने से रोकना होगा।
क्या है 95.95.95 का फॉर्मूला ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नवजात शिशुओं और टीनएज बच्चों पर फोकस करने का फैसला किया है। डब्ल्यूएचओ (who) ने नए एचआईवी से होने वाले एड्स को खत्म करने के लिए 95.95.95 का फॉर्मूला बनाया है। दरअसल यह है कि 95 प्रतिशत लोगों में यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें एचआईवी है या नहीं। इसके बाद भी जिन लोगों को एचआईवी है, उनमें से 95 प्रतिशत लोगों को हर हाल में इसके लिए दवा उपलब्ध कराना है और उसे कंट्रोल भी करना है। पर आज के समय में एचआईवी की दवा है।
यहां तक कि अगर किसी व्यक्ति में एचआईवी का जोखिम भी है तो उसे पहले से दवा दे दी जाती है, जिससे उस इंसान में एचआईवी के संक्रमण ना फैले, इससे पहले वैज्ञानिकों में इस बात की सहमति थी कि 2014 तक एचआईवी को खत्म कर दिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसलिए अब इसके बाद जिन लोगों की दवा चल रही है उनमें से 95 प्रतिशत इंफेक्टेट लोगों तक ही वायरस को सीमित कर देना है। यानी इन लोगों से किसी भी हाल में दूसरे में एचआईवी (HIV) न फैले, इसके लिए हर हाल में व्यवस्था करनी है। अगर एचआईवी को इस तरह काबू कर लिया जाए तो एड्स को 2030 तक रोका या पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।