वर्ष 2022 में 13 करोड़ से ज्यादा बच्चे पैदा हुए, 6.5 करोड़ से ज्यादा जानें गईं, जानिए ऐसे ही कई रिकार्डों के बारे में

वर्ष 2022 अब जाने को है और नया साल 2023 अपनी बाहें पसारे हमारा स्वागत कर रहा है। बीत रहे वर्ष 2022 के पहले दिन के बारे में सोचें तो ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात है। हर बार ऐसा ही लगता है। यह साल कई अच्छी और कुछ बुरी यादों को समेटे हुए है। इस वर्ष यह राहतभरी बात रही कि कोरोना रूपी महामारी ने 2022 में कम दर्द दिया है, हालांकि 2023 आने से पहले एक बार फिर कोरोना के काले बादल छाने लगे हैं। आज हम बात करेंगे 2022 के कुछ रिकॉर्डों के बारे में। (नोट डेटा worldometer.info से 23 दिसम्बर 2022 तक का है)

 

13 करोड़ से ज्यादा बच्चे पैदा हुए, 6.5 करोड़ से ज्यादा जानें गईं

इस वर्ष दुनियाभर में 13 करोड़ से ज्यादा बच्चे पैदा हुए, जबकि 6.5 करोड़ लोग अलविदा भी हो गए। इस वर्ष 13 करोड़ 8 लाख 61 हजार 627 बच्चे पैदा हुए। नए बच्चे सबसे ज्यादा ढाई करोड़ केवल भारत में ही पैदा हुए। देश की जनसंख्या बेहद तेजी से बढ़ रही है और 2023 में ही भारत चीन को पीछे छोड़ देने वाला है।

दुनियाभर में 32 लाख करोड़ का अवैध नशा बिका। दुनिया के सभी शेयर मार्केट का संयुक्त मार्केट कैप 10.17 हजार लाख करोड़ रुपये है। इस वर्ष 129 करोड़ टन अनाज बर्बाद हुआ। जिनमें सबसे ज्यादा चीन में 9 करोड़ टन अनाज बर्बाद हुआ। भारत दूसरे नंबर पर है। यहां 6 करोड़ टन अनाज की बर्बादी हुई।

कार्बन बढ़ाता खतरा

दुनिया में प्रदूषण अब सबसे ज्यादा बड़ा मुद्दा बन गया है। दुनियाभर में इस वर्ष 35 हजार करोड़ टन से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन हुआ। चीन ने सबसे ज्यादा 1 हजार टन कार्बन पैदा किया। अमेरिका ने 541 टन कार्बन के साथ दूसरे नंबर जबकि भारत 265 टन कार्बन उत्सर्जन के साथ तीसरे नंबर पर रहा।

इतना पानी पी लिया गया

दुनिया की बढ़ती आबादी के साथ पानी की खपत भी बढ़ती जा रही है। इस वर्ष 4 हजार लाख करोड़ लीटर पानी पीने व दूसरे घरेलू कार्यों में प्रयोग हुआ। अब इस संख्या को लिखने बैठें तो 4 के बाद हमें 15 बार शून्य लगाने पड़ेंगे। चीन में सबसे ज्यादा 362 लाख करोड़ गैलेन जबकि अमेरिका में 216 लाख करोड़ गैलेन व भारत में 40 लाख करोड़ गैलेन पानी इस्तेमाल हुआ।

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8 करोड़ से ज्यादा बनीं कारें

अब जब जनसंख्या बढ़ रही है तो स्वाभाविक है कि कारों की डिमांड बढ़ी। दुनिया में इस जाते वर्ष में 8 करोड़ 20 लाख 45 हजार 783 कारें बनी हैं। इनमें सबसे ज्यादा 1 करोड़ कारें जापानी कंपनी टोयोटा ने बनाईं। जबकि जर्मन कार कंपनी वॉक्स वैगन ने दूसरे नंबर पर 82 लाख कारें बनाईं। भारत की सबसे ज्यादा कार बनाने वाली कंपनी मारूति सुजूकी ने इस वर्ष 16 कारें बनाईं और बिकी भी। लोग भी बेधड़क मारुति की कारों को खरीद रहे हैं, बिना इस बात की फिक्र किए कि मारूति की कारें क्रैश टेस्ट में शर्मनाक प्रदर्शन कर रही हैं।

 

15 करोड़ से ज्यादा साइकिलें बनीं

दुनियाभर में 15 करोड़ 17 लाख 1519 साइकिलें वर्ष 2022 में बनी हैं। भारत में सबसे ज्यादा हीरो कंपनी की साइकिलें बनती हैं, हर साल यह 40 प्रतिशत साइकिलें यानि 50 लाख साइकिल बनाती है। वहीं दुनिया में सबसे ज्यादा साइकिलें बनाने व बेचने वाली कंपनी जायंट ने हर वर्ष 70 लाख साइकिलें बनाती है।

इतने जंगलों का हुआ विनाश

अब जब जनसंख्या बढ़ रही है तो स्वाभाविक है कि इंसान अपने पैर पसारने के लिए जंगलों की बलि ले रहा होगा। इस वर्ष 50 लाख 78 हजार हेक्टेयर वनों को काटा गया है। सबसे ज्यादा ब्राजील के अमेजन जंगलों में कटाई हुई। यहां 48 लाख एकड़ के करीब वन काट दिए गए। वहीं अचंभित करने वाला आंकड़ा भारत का है। यहां वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में जंगलों का एरिया 1540 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है।

इतनी छपी किताबें

हालांकि अब दुनिया में ऑनलाइन ही सबकुछ पढ़ लिया जाता है, लेकिन फिर भी किताबें अपनी जगह बनाए हुए हैं। इस वर्ष 27 लाख 283 किताबें प्रिंट हुईं। आरईएलएक्स ग्रुप ने हर वर्ष सवा 4 लाख किताबें छाप रहा है। सबसे ज्यादा किताबें छापने के मामले में भारत 6वें स्थान पर है।

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इतने कंम्प्यूटर या लैपटॉप बने

इस वर्ष दुनिया में 23 करोड़ 29 लाख 16 हजार 750 कम्प्यूटर बने। लेनेवो कंपनी हर वर्ष 20 लाख से ज्यादा कम्प्यूटर सिस्टम बनाती है। दूसरे नंबर पर एचपी हर वर्ष 18 लाख से ज्यादा सिस्टम बनाती है।

इंटरनेट प्रयोग करने वाले हम 547 करोड़

आबादी के साथ-साथ अब इंटरनेट का प्रयोग बेतहाशा बढ़ गया है। यदि आज से 8-10 साल पहले की तुलना आज से करें तो आज हर काम नेट पर हो रहा है। बिना इंटरनेट जीने बारे सोचा नहीं जा सकता। इस वर्ष इंटरनेट यूजर्स की संख्या बढ़कर 547 करोड़ हो गई है। यहां भी चीन नंबर एक पर है। जहां 102 करोड़ लोग इंटरनेट चलाते हैं। भारत में 65 करोड़ आबादी नेट चलाती है।

डिजिटल दुनिया में ट्रांजेक्शन भी डिजिटल

वेबसाइट स्टेटिस्टा के अनुसार दुनिया में 704 लाख करोड़ का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ। पहले नंबर पर भारत है। यहां 7 हजार करोड़ से ज्यादा का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ है। दूसरे नंबर पर चीन में 2 हजार करोड़ से ज्यादा का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ। यहां काबिलेगौर बात यह है कि दुनिया में यह प्रचलन बहुत पहले से है, जबकि भारत में 2016 में नोटबंदी के बाद से ही डिजिटल ट्रांजेक्शन का प्रचलन बढ़ा और अब 2022 में भारत के आसपास भी कोई देश इस मामले में नहीं रहा।

 

खत्म होता कोयला भंडार

जैसे जैसे फैक्ट्री बढ़ रही हैं, कोयला भी खत्म होता जा रहा है। दुनिया में अब 1 लाख 47 हजार 896 दिनों का कोयला बचा है। हालांकि यह अनुमान भर है। इस साल चीन ने सबसे ज्यादा 394 टन से ज्यादा कोयला निकला। जबकि भारत ने दूसरे स्थान पर रहते हुए 76 टन से ज्यादा कोयला निकाला।

इस साल साढ़े 6 करोड़ से ज्यादा लोग मरे

इस वर्ष 6 करोड़ 55 लाख 29 हजार 582 लोग मरे, इनमें सबसे ज्यादा डेथ रेट सॢबया का है। यहां हर 1000 लोगों पर 16 लोगों की मौत हुई। भारत 31वें नंबर पर है। जहां हर एक हजार पर 10 लोगों की मौत हो गई। इस वर्ष कैंसर से 80 लाख 22 हजार 729 लोगों की जान गई। जिनमें मंगोलिया में सबसे ज्यादा एक लाख लोगों के आंकड़ें से 175 लोगों की रेशो में मौत हुई। भारत में यह रेशो 62 का है।

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10 लाख से ज्यादा आत्महत्याएं

दुनिया में इस वर्ष 10 लाख 47 हजार 517 लोग आत्महत्याएं कर गए। सबसे ज्यादा सुसाइड डेथ रेट साऊथ कोरिया का है। यहां एक लाख लोगों पर 26 ने सुसाइड किया। भारत में यह रेशो 12 है। देश में एक लाख 64 हजार लोग सुसाइड कर गए।

मलेरिया से गई पौने 4 लाख मौतें

मलेरिया से सबसे ज्यादा नाइजीरिया में लोग मरते हैंं। जहां 31 प्रतिशत लोगों की जान जाती है। पूरी दुनिया में 3 लाख 85 हजार 231 लोगों की जान गई। इनमें 51 प्रतिशत केवल चार अफ्रीकी देश नाइजीरिया, कांगो, तंजानिया और नाइजर में मामले सामने आते हैं। भारत में 75 लोगों की मलेरिया से इस वर्ष मौत हुई।

48 लाख से ज्यादा जानें स्मोङ्क्षकग से गई

हम सब जानते हैं कि स्मोकिंग जानलेवा होती हैं, लेकिन फिर भी लोग स्मोकिंग खूब करते हैं, क्योंकि इससे जान जाने के जोखिम की रफ्तार धीमी होती है। यदि आंकड़ें देखें तो स्मोकिंग से इस बार 48 लाख 83 हजार 558 लोगों की जान गई। ग्रीन लैंड में सबसे ज्यादा जानें जाती हैं, जहां कुल मौतों में 26 प्रतिशत मामलों में स्मोकिंग जिम्मेदार होती है। जबकि भारत में आए साल साढ़े 3 लाख से ज्यादा की जान जाती हैं। अमेरिका में यह आंकड़ा बढ़कर 4 लाख 80 हजार हो जाती है।

सड़क हादसे लील जाते 13 लाख से ज्यादा जानें

दुनिया में फर्राटे भरने वाले वाहन अब पसंदीदा हैं, इससे हादसे भी बढ़ रहे हैं। इस वर्ष 13 लाख 18 हजार 714 लोगों की जान सड़क हादसों में गई। भारत में प्रति एक लाख में से 13 मौत सड़क हादसों में होती है। जबकि डोमिनिक रिपब्लिक में सबसे ज्यादा एक लाख पर 67 लोगों की जानें सड़क हादसे ले जाते हैं। पिछले 10 सालों में भारत में 14 लाख से ज्यादा भारतीयों की मौत हो चुकी है।

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