Haryana Mid-Day Mill Workers News : वेतन के लिए मिड-डे-मील महिला वर्करों ने हरियाणा में भिन्न-भिन्न जगहों पर धरने-प्रर्दशन किए। इस तरह लंबा संघर्ष के बाद महिला मिड डे मील वर्करों को हाईकोर्ट से खुशखबरी मिली। प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में सेवाएं दे रहे मिड-डे मील वर्कर्स को बड़ी राहत देते हुए उन्हें 2 महिने की छुट्टियों का वेतन भी देने के आदेश जारी किए हैं। इससे पहले हरियाणा सरकार वर्करों को सिर्फ 10 महीनों का वेतन ही देती थी। मिड-डे मील वर्कर्स के संघ ने पूरे साल का वेतन की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले मेंं क्या कहा ?
बता दें कि, हाईकोर्ट की एकल पीठ ने संघ की याचिका को स्वीकारते हुए मिड-डे मील वर्कर्स (Haryana Mid-Day Mill Workers News) को 19 महीने की जगह 12 महीने का वेतन दिए जाने के आदेश जारी किये थे। इन आदेशों को सरकार ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी, लेकिन इस सरकार की चुनौती को न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने शिक्षा विभाग को आदेश दिया है कि मिड-डे मील वर्कर्स को पूरे वर्ष का वेतन उनके खाते में डालें। जबकि हरियाणा सरकार ने कोर्ट के आदेश पर तर्क देते हुआ कहा है कि, यह केंद्र सरकार की योजना है, इसलिए हरियाणा सरकार इस योजना के तहत अपने स्तर पर इन्हें पूरे वर्ष का वेतन नहीं दे सकती।
कोर्ट ने खारिज कि हरियाणा सरकार की दलील
कोर्ट ने हरियाणा सरकार की दलील को खारिज करते हुए कहा है कि, जब हरियाणा सरकार अपने स्तर पर इन वर्कर्स (Haryana Mid-Day Mill Workers News) के वेतन को बढ़ा सकती है तो पूरे वर्ष का वेतन क्यों नहीं दे सकती। वहीं याचिका में आरोप लगाया गया था कि, शिक्षा विभाग प्रार्थी यूनियन के साथ भेदभाव कर रहा है। शिक्षा विभाग में कार्यरत गैर-शिक्षक कर्मचारियों को भी पूरे वर्ष का वेतन दिया जाता है, पर उन्हें 10 ही महीने का वेतन ही दिया जा रहा है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसला में कहा है कि, शिक्षा विभाग मिड-डे मील वर्कर्स के साथ भेदभाव नहीं कर सकता। क्योंकि, यह संविधान के अनुच्छेद 14 का सरासर उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसला का हवाला देते हुए कहा है कि, मिड-डे मील वर्कर्स 10 महीनों की जगह 12 महीनों के वेतन की हकदार हैं। कोर्ट ने इसे घृणित भेदभाव का मामला बताते हुए टिप्पणी कि जब शिक्षा विभाग स्कूलों में तैनात शिक्षकों और गैर-शिक्षकों को लाखों रुपए पूरे वर्ष अदा करता है तो उस स्थिति में मिड-डे मील वर्कर्स के साथ भेदभाव नहीं कर सकता।