सोनी, नोकिया, कोका कोला पहले वो नहीं बनाती थी, जो आप यूज करते हैं

सोनी, नोकिया, कोका कोला पहले वो नहीं बनाती थी, जो आप यूज करते हैं

आज लगभग हर किसी के घर ऑफिस में सैमसंग, एलजी, सोनी की एलईडी या फिर फ्रिज, वॉशिंग मशीन या अन्य होम एप्लाइंसेस जरूर होंगे या फिर अधिकतर लोगों की जेब में सैमसंग का मोबाइल होगा। आपने मोबाइल टैक्नॉलोजी के शुरूआती दिनों नोकिया का मोबाइल भी जरूर होगा। कोका कोला के कोल्ड ड्रिंक हर कोई पीता है।

आपने टोयोटा इनोवा या फॉरचूनर की सवारी की होगी या आपके पास होगी। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि दुनिया के कई बड़े ब्रांडस की शुरूआत इन प्रोडक्टस से नहीं हुई थी, बल्कि शुरूआत में वे कुछ और उत्पाद बनाते थे और बाद में आज वे किन्हीं और प्रोडक्ट्स के लिए मशहूर हैं।

राइस कुकर बनाती थी सोनी, नाम भी और था..

बात शुरू करते हैं सोनी से। सोनी के मोबाइल कुछ समय पहले तक काफी मशहूर थे। सोनी की एलईडी की डिमांड आज भी बहुत है। सोनी के फ्रिज, होम थियेटर सहित कई इलेक्ट्रॉनिक्स सामान डिमांड में है। लेकिन सोनी ने अपनी शुरूआत की थी राइस कुकर से। जो सफल नहीं हो पाया, इसके बाद पॉकेट रेडियो बनाया।

सोनी ने जापान का पहला टेप रिकॉर्डर बनाया था। मासारू इबुका ने आकियो मोरिता ने 1946 में कंपनी शुरू की थी। नाम था टोक्यो टेलीकाम्युनिकेशंस इंजीनियरिंग कारपोरेशन। जापान की सभी कंपनियों के नाम जापानी में थे, लेकिन सोनी पहली कंपनी थी, जिसका नाम इंग्लिश रोमन में था। कंपनी के पहले कुछ और नाम सोचे गए, लेकिन बाद में नाम सोनी पड़ा। सोनी शब्द लेटिन शब्द सोनस से आया, इसी शब्द से साऊंड शब्द भी आया।

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कागज बनाता था नोकिया

आप यह जानकर हैरान होंगे कि अपने मोबाइलों के लिए मशहूर नोकिया कंपनी शुरूआत में पेपर बनाती थी और टायलेट पेपर भी बेचती थी। माइनिंग इंजीनियर फ्रेडरिक इडेस्टाम ने 1865 में एक कागज मिल खोली। 1868 में फिनलैंड के नोकिया में दूसरी मिल खोली। फिर लियो मिचेलिन के साथ मिलकर नोकिया कंपनी शुरू की। कंपनी उस समय कई तरह के कागज बना रही थी, जिसमें टायलेट पेपर भी शामिल है।

इडेस्टाम रिटायर हुए तो कंपनी ने अन्य कारोबार शुरू कर दिए। 1902 में इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन का काम शुरू किया। 1922 में बिजली, रबड़ और तार बनाने का काम था। 1967 में इलेक्ट्रॉनिक्स का अलग डिवीजन बना। फिर फिनलैंड सेना के लिए उपकरण बनाए। 1981 में नोकिया ने ही पहला इंटरनेशनल सेल्यूलर नेटवर्क बनाया। 1982 में कार फोन मोबिरा सीनेटर लांच किया।

1991 में नोकिया के नेटवर्क और उपकरण पर दुनिया की पहली जीएसएम कॉल हुई। 1992 में नोकिया ने पहला मोबाइल फोन नोकिया 1011 लांच किया। जो आपने भी शुरूआती दिनों में जरूर यूज किया होगा।

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मछली, फल सब्जी बेचती थी सैमसंग

सैमसंग कंपनी की स्थापना ली ब्युंग-चुल ने की थी। ली ने 1938 में कोरिया के देइगु में सैमसंग ट्रेडिंग कंपनी खोली। तब कंपनी में 40 लोग काम करते थे। कंपनी सूखी मछली और किराने का सामान बेचती थी।1947 में कंपनी इंश्योरेंस और रिटेल सहित अन्य सेक्टर में आई। कंपनी ने 1960 के दशक में इलेक्ट्रॉनिक्स का अलग डिवीजन शुरू किया। 1980 तक इस डिवीजन में सैमसंग ने निवेश बहुत बढ़ा लिया।

1992 तक कंपनी इंटेल के बाद सबसे बड़ी चिप निर्माता कंपनी बनी। 1995 में कंपनी ने अपना पहला एलसीडी स्क्रीन बनाया। फिर इलेक्ट्रानिक्स सामान के बाजार में छा गई। 2007-08 में स्मार्ट फोन बनाना शुरू किया। 2012 में नोकिया को पछाड़ सबसे बड़ी फोन निर्माता कंपनी बन गई। सैमसंग की कंस्ट्रक्शन विंग भी दुनिया में खासी चॢचत है। कंपनी ने बुर्ज खलीफा का कंस्ट्रक्शन किया और मलेशिया के पेट्रोनॉस टॉवर भी बनाए।

1980 से 1990 के दशक में सैमसंग प्लेन भी बनाता था। यह सैमसंग, देइवू और हुंडई का ज्वाइंट वेंचर था। कंपनी का नाम कोरियन एयरस्पेस इंडस्ट्री यानि काई था।

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कपड़े बुनने वाली मशीन करघा बनाती थी टोयोटा

1924 में साकिची तोयोदा ने ऑटोमेटिक लूम यानि करघा बनाया। जो कपड़े बुनती थी। उनकी कंपनी का नाम तोयोदा ऑटोमेटिक लूमवक्र्स था। यह जापानी सिद्धांत जिडोका पर आधारित मशीन थी। यह सिद्धांत अब हर जापानी कंपनी पर लागू होता है। 1929 में मशीन का पेटेंट ब्रिटेन के प्लैट ब्रदर्स को बेचा गया। कंपनी ऑटोमोबाइल सेक्टर में जापानी सरकार के कहने पर उतरी। साकिची के बेटे किचोरो अमेरिका गए। जहां कार निर्माता कंपनियों का काम करीबी से देखा। 1934 में कंपनी ने कार निर्माण की आधिकारिक घोषणा कर दी।

कंपनी का पहला प्रोटाटाइप ए1 25 सितंबर 1934 को बना। फिर कार की बजाए ट्रक निर्माण पर ज्यादा फोकस रखा। कंपनी ने जी 1 ट्रकों का निर्माण व बिक्री शुरू की। 1936 में पहली सेडान कार मोडल एए लांच की। बिक्री होते ही सरकार ने बाहरी कंपनी के कारों के आयात पर रोक लगा दी। कार कंपनी के नाम के लिए प्रतियोगिता रखी गई, जिसमें जापानी अक्षरों में नाम टोयोडा पसंद किया गया। जिसका अर्थ धान के ऊपजाऊ खेत होता है। बाद में कंपनी के भावी प्रेसिडेंट ने नाम टोयोटा रखने का सुझाव दिया। 1937 में आधिकारिक रूप से कंपनी का नाम टोयोटा पड़ा।

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