फिर लांच होने की तैयारी में कैंपा कोला … 1970 और 80 के दशक में भारतीय बाजार में राज करने वाले कोल्ड ड्रिंक ब्रांड कैंपा कोला एक बार फिर इंडियन मार्केट में उतरने की तैयारी में है। देश की दिग्गज कंपनी रिलायंस ने कैंपा कोला ब्रांड बनाने वाली कंपनी प्योर ड्रिंक्स ग्रुप के साथ डील कर 22 करोड़ में कैंपा कोला का अधिग्र्रहण कर लिया है। जल्द ही रिलायंस अपने एफएमसीजी कारोबार में इसे लांच कर सकती है।
पुराने दिनों की याद होगी ताजा
रिलायंस कैंपा कोला के वही दो पुराने फ्लेवर कोला और ऑरेंज तो लांच करेगी ही साथ ही नींबू स्वाद भी बाजार में पेश करेगी। कोला और ऑरेंज फ्लेवर देखकर आपको अपने वही पुराने दिन याद आ सकते हैं। रिलायंस पहले चरण में इस ब्रांड को अपने रिटेल स्टोर्स, जिओमार्ट और किराना स्टोर्स पर बेचेगी। बाजार में लांच होते ही कैंपा कोला की टक्कर अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी कोका कोला और पैप्सीको से होगी।
ऐसे हुई थी शुरू
देश आजाद होने के बाद से ही प्योर ड्रिंक ग्रुप अमेरिकी कंपनी कोका कोला की भारत में डिस्ट्रीब्यूटर थी। 1977 में जब आपात काल खत्म हुआ और जनता पार्टी की सरकार आई तो नई सरकार ने आज की सरकार की तरह लोकल ब्रांड पर जोर दिया। सरकार ने कोका कोला को अपना सीक्रेट फॉम्र्यूला छोडऩे को कहा। कंपनी नहीं मानी और देश छोड़ गई। कोका कोला का स्वाद लोगों को देने के लिए सरकार द्वारा खुद का डबल 7 यानि 77 ब्रांड लांच किया गया, लेकिन इसका स्वाद लोगों को पसंद ना आया।
कोका कोला की डिस्ट्रीब्यूटर दिल्ली बेस्ड कंपनी प्योर ड्रिंक ने अवसर को हाथ में लेते हुए कैंपा कोला को बाजार में लांच कर दिया। जिसका स्वाद कुछ हद तक कोका कोला जैसा था। इसकी ब्रांडिंग भी वैसी ही थी, जो सफल रहा। कोला की पंच लाइन द ग्रेट इंडियन टेस्ट भी लोगों को भाया। इसी दौरान पारले जी ने भी अपनी थम्स अप लांच कर दी। दोनों ही कंपनियां मार्केट में पैर जमा गई, लेकिन थम्स अप कुछ आगे रही।
फिर ऐसे हुई खत्म
1993 में जब देश में उदारीकरण चल रहा था तो इसी दौरान कोका कोला ने फिर बाजार में एंट्री की। साथ ही आई पेप्सीको। बॉटलर्स की संख्या कम होने से जूझ रही पारले ने 1993 में ही अपने थम्स अप, गोल्ड स्पॉट, लिम्का आदि सभी सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड कोका कोला को ही बेच दिए। जिनमें से कोका कोला और थम्सअप आज भी चल रहे हैं, जबकि गोल्ड स्पॉट, सिट्रा आदि उत्पाद बंद हो गए। उधर कैंपा कोला का मार्केट शेयर भी कम होने लगा। लगभग वर्ष 2000 में प्योर ड्रिंक कंपनी ने अपने सभी बॉटलिंग प्लांट बंद कर दिए।