Check your ex-partner on social media every day! So be careful, this can be a serious disease

Rebecca Syndrome disease explain : रोज सोशल मीडिया पर अपने एक्स पार्टनर को करते हैं चेक ! तो हो जाए सावधान, हो सकती है ये गंभीर बीमारी

Rebecca Syndrome disease explain : जब युवक या युवती किसी कॉलेज या लाईब्रेरी में पढ़ते समय एक- दूसरे की सुंदरता या भावनाओं के आकर्षण से प्रभावित होकर पसंद करते है। ऐसे में युवक-युवती एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हुए दिनचर्या काम में सहयोग करते है। इस तरह के सहयोग से दोनों में दाेस्ती का महत्व बढं जाता है। फिर दोस्ती एक अवधि समय के बाद प्रेम में बदलने लग जाती है। फिर यहां से रिलेशनशिप का दौर शुरु हो जाता। जाहिर सी बात है कि रिलेशनशिप में रिश्तो का बचाना हर दिन संदेह की दृष्टि से विश्वासी कमजोर का परिणाम है। किसी भी रिलेशनशिप में लोग अचानक से अलग होते हैं तो उनके लिए यह पल आसान नहीं होता। कई लोग जल्दी मूवऑन करके जीवन में आगे बढ़ जाते हैं, तो कई लोग जो अपने एक्स पार्टनर को भूल नहीं पाते। हालांकि, पार्टनर की याद में पड़े रहना सामान्य बात नहीं बल्कि यह संकेत है, एक गंभीर बीमारी का।

 

 

 

रेबेका सिंड्राेम (Rebecca Syndrome disease explain)

आज के दौर में रिलेशनशिप टूटने का सबसे बड़ा कारण है, सोशल मीडिया । संदेह की दृष्टि से रिलेशनशीप में से एक पार्टनर तब अचानक से रिश्ता तोड़कर और साेशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म से अपने पार्टनर काे ब्लॉक कर देता है। इस तरह से अपने पार्टनर को फोन और साेशल मीडिया की लत लगाकर उसे छोड़कर जाना उसे बेहद खतरनाक बिमार में छोड़कर जाने के बराबर है। अगर किसी युवक या युवती द्वारा अपने पार्टनर को भूल ना पाना और रोजाना उसका पीछा करना एक बीमारी है। इस बीमारी का नाम रेबेका सिंड्रोम है, जो किसी व्यक्ति के अपने पार्टनर का बार-बार याद करना और उसके पीछा करने से होती है। ब्रिटेन के लंदन में सेंटर फॉर फ्रायडियन एनालिसिस एंड रिसर्च के संस्थापक सदस्य और मनोविश्लेषक डॉक्टर डेरियन लीडर द्वारा गढ़ा गया ‘रेबेका सिंड्रोम’, एक व्यक्ति द्वारा अपने साथी के पूर्व प्रेमी के प्रति अनुभव की जाने वाली पैथोलॉजिकल ईर्ष्या के एक गंभीर रूप का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता है।

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जलन और जुनून के कारण होता है रेबेका सिंड्राेम (Rebecca Syndrome disease explain)

रिलेशनशिप मामले से परिचित चार्टर्ड मनोवैज्ञानिक डॉक्टर लुईस गोडार्ड-क्रॉली ने न्यूजवीक को बताया कि, यह स्थिति मुख्य रूप से प्रभावित व्यक्ति की अतार्किक ईर्ष्या और अपने साथी के प्रति जुनून के बारे में है। यह ईर्ष्या पूर्वव्यापी ईर्ष्या में निहित है, जहां व्यक्ति अपने साथी के पिछले रिश्तों के प्रति जुनूनी रूप से व्यस्त हो जाते हैं और उसके ख्यालों में खोये रहते है। भले ही ऐसा हो उनकी ईर्ष्या का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। जबकि, यह ध्यान देना आवश्य है कि, रेबेका सिंड्रोम को मुख्यधारा के रोगों का निदान करने वाले वर्गीकरणों में आधिकारिक तौर पर एक मनोवैज्ञानिक विकार के रूप में मान्यता नहीं दी गई है। बल्कि, यह एक सांस्कृतिक संदर्भ के रूप में कार्य करता है। इस स्थिति से जुड़े जुनून के कारण दखल देने वाले विचार, पीछा करने वाले व्यवहार और अन्य नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। 

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कैसे करें रेबेका सिंड्रोम (Rebecca Syndrome disease explain) से बचाव ?

अगर आपको संदेह है कि, रेबेका सिंड्रोम आपके रिश्ते को प्रभावित कर सकता है तो कुछ स्पष्ट संकेतों पर नजर रखें। डॉक्टर गोडार्ड-क्रॉली ने कहा, “एक सामान्य संकेत एक जुनूनी व्यस्तता है जहां प्रभावित व्यक्ति लगातार अपने साथी के पिछले रोमांटिक या यौन संबंधों के बारे में सोच रहा है।”डॉक्टर ने कहा, “व्यक्ति अपनी ईर्ष्या को प्रबंधित करने के प्रयास में नियंत्रण या दखल देने वाले व्यवहार में संलग्न हो सकता है जैसे कि अपने साथी के संदेशों की चेक करना या उन्हें दूसरों से अलग करने की कोशिश करना। वे अपने साथी के पिछली घटनाओं के बारे में संदेह या माेह के विचार रख सकते हैं, यह मानते हुए कि पूर्व-साझेदार मौजूदा रिश्ते के लिए खतरा बना हुआ है।

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रेबेका सिंड्रोम से जुड़ी प्राथमिक चिंताओं में से एक रिश्ते के अंतर विश्वास और अंतरंगता को खत्म करने की क्षमता है। कभी-कभी स्वस्थ साझेदारियों के विघटन की ओर भी ले जाती है। अच्छी खबर यह है कि पैथोलॉजिकल ईर्ष्या को प्रबंधित करने और इसे रिश्ते को नष्ट करने से रोकने के तरीके हैं। खुले और ईमानदार संचार को बढ़ावा देना और दोनों भागीदारों के लिए अपनी भावनाओं और डर पर चर्चा करने के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाना और स्वस्थ संबंध बनाए रखने में महत्वपूर्ण है।

डॉक्टर ने सलाह दी है कि रिश्ते के भीतर विश्वास बनाना और बनाए रखना महत्वपूर्ण है। दोनों भागीदारों को भरोसेमंद होने और एक-दूसरे पर भरोसा करने की कोशिस करने चाहिए। सहानुभूति का अभ्यास करना और एक-दूसरे के दृष्टिकोण और भावनाओं को समझना अधिक सहायक और पोषणपूर्ण वातावरण को बढ़ावा दे सकता है। इससे दंपत्ती के बीच समस्या कम होगी।

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