अलर्ट: कहीं बहरे न हो जाएं बच्चे, खुद पर भी लागू करें यह सख्ती

भागदौड़ भरी जिंदगी में आजकल हर कोई अपने सेहत के प्रति बेहद लापरवाह नजर आते हैं। टेक्नोलॉजी इतनी प्रभावशाली हो गई है कि हम एक तरह से उसके आगे नतमस्तक नजर आ रहे हैं। बढ़ते स्क्रीन टाइम के कारण लोगों खासकर बच्चों के आंखों पर चश्मे चढ़ गए हैं तो वहीं अब ज्यादा हेडफोन और इयरफोन का इस्तेमाल किए जाने के कारण बहरेपन की समस्याएं भी बढ़ने लगी हैं। एक रिसर्च के अनुसार पिछली पीढ़ी की तुलना में इस पीढ़ी ने बहरापन ज्यादा तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसका सीधा-सीधा कारण ईयर फोन या हेडफोन का इस्तेमाल माना जा रहा है क्योंकि अधिकतर लोग अपने काम के दौरान एकाग्रता के लिए हेडफोन या ईयर फोन इस्तेमाल करते देखे जाते हैं तो वही बच्चे भी अपनी पढ़ाई के लिए या फिर गेमिंग के लिए हेडफोन लगाते हैं।

ALSO READ  शुभ दीपावली: इस बार 5 राजयोगों में होगी माता लक्ष्मी की पूजा, पढिए

 

हेडफोन में आवाज तेज होने के कारण इसका सीधा सीधा प्रभाव हमारे कानों पर पड़ता है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हेडफोंस के दौरान आवाज एक नियमित स्तर पर हो तो कुछ हद तक इससे बचा जा सकता है। आवाज का स्तर कितना हो यह जानने के लिए एक फार्मूला भी विशेषज्ञ बताते हैं। उनका कहना है कि बच्चा या कोई भी हेडफोन यूज करने वाले को लगभग एक मीटर की दूरी पर बैठाएं और उनसे बात करें यदि वह ढंग से सुन पा रहे हैं तो आवाज का लेवल सही है, अगर उन्हें सुनने में परेशानी है तो समझे की आवाज का लेवल ज्यादा है उसे कम करने की जरूरत है।

 

अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ ने वर्ष 1998 में हेडफोन सेफ्टी सीमा निर्धारित की थी। इसके अनुसार 85 डेसीबल से अधिक ऊंची आवाज पर 8 घंटे से ज्यादा हेडफोन या ईयर फोन इस्तेमाल करना सेहत के लिए खतरनाक माना गया और यदि 108 डेसीबल की आवाज 3 मिनट से ज्यादा सुनी जाए तो यह बेहद खतरनाक होता है।

ALSO READ  Indian Marriage festival : ढाई महीने बंद हुए बैंड-बाजा-बारात, अब इस महीने में होंगी सबसे ज्यादा शादियां

 

आपको बता दें कि रोजाना घंटों तक कानों में ईयर फोन ठूसे रहने या सिर पर हेडफोन लगाकर गाने या अन्य कोई भी सामग्री सुनने पर सिर्फ हमारी सुनने की क्षमता पर ही असर नहीं होता बल्कि इससे चक्कर आने, कान में मोम जैसा पदार्थ जमने, संक्रमण होने, और कानों में तेज आवाज की परमानेंट सेंसटिविटी बन जाने की दिक्कतें भी आ सकती हैं।

 

इसलिए जितना महत्वपूर्ण स्क्रीन टाइम कम करके आंखों को बचाना है उतना ही महत्वपूर्ण कम से कम ईयर फोन और हेडफोन का इस्तेमाल कर अपने कानों को बचाना भी आज के समय में जरूरी हो गया है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *