international news

Difficulties for Indian students increase in Canada, Trudeau government cuts income along with studies

Canada News : कनाडा में भारतीय छात्रों की बढ़ी मुश्किल, पढ़ाई के साथ इनकम पर ट्रूडो सरकार की चली कैंची

Canada News : भारतीय समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय छात्रों को कनाडा में आर्थिक मुश्किले झेलनी पड़ सकती हैं। छात्रों की पढ़ाई के साथ-साथ कमाई पर ट्रूडो सरकार ने कैंची चला दी है। यानी कैंपस या पढ़ाई के बाद काम करने के उनके घंटो में कमी कर दी गई है। कनाडा के नए नियमों के मुताबिक, अब छात्र सितंबर माह से पर हफ्ता 24 घंटे ही परिसर से बाहर रहकर काम कर सकेंगे। आने वाले दिनों में इस संबंध में नया नियम प्रभाव में आएगा।

 

 

 

 

कनाडा के नागरिकता मंत्री मार्क मिलर ने छात्रों पर क्या कहा ?

कनाडा (Canada News) के आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता मंत्री मार्क मिलर ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि, छात्रों को प्रति सप्ताह परिसर से बाहर 20 घंटे से अधिक काम करने की ईजाजत देने वाली अस्थायी नीति 30 अप्रैल, 2024 को बंद हो जाएगी। उन्होंने कहा कि, हम छात्रों द्वारा प्रति सप्ताह परिसर से बाहर काम करने के घंटों की संख्या को बदलकर 24 घंटे करना चाहते हैं।

 

 

 

 

 

छात्रों को कोविड-19 महामारी में मिली थी छूट

कनाडा (Canada News) के पीएम जस्टिन ट्रूडो सरकार ने देश में कामगारों की कमी को पूरा करने के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए काम के घंटों की 20 घंटे की सीमा को अस्थायी रुप से माफ कर दिया था। इसी कारण से छात्र प्रति सप्ताह 20 घंटे से ज्यादा तकरीबन 40 घंटे तक यानि पूर्ण समय काम कर रहे थे और उससे अतिरिक्त इनकमिंग कर रहे थे। लेकिन एक मीडिया रिर्पोट के मुताबिक, यह छूट मंगलवार को समाप्त हो रही है।

 

 

 

 

कनाडा में कितने छात्र पढ़ते है ?

भारतीय छात्रों के हिसाब से कनाडा सबसे पसंदीदा गंतव्य है। कनाडाई अंतरराष्ट्रीय शिक्षा ब्यूरो की 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा (Canada News) में उस साल 3,19,130 भारतीय छात्र थे। कनाडा में कॉलेजों और विश्नविद्यालयों में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों में भारतीय बहुतायत में हैं।

सीएएसए के एडवोकेसी निदेशक माटेउज सलमासी ने कहा, ” इस घोषणा के बाद 200,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों को हर साल अपनी जेब से औसतन, कम से कम 5,000 डॉलर यानी 4.17 लाख रुपये का नु्कसान होगा। “

 

Canada News : कनाडा में भारतीय छात्रों की बढ़ी मुश्किल, पढ़ाई के साथ इनकम पर ट्रूडो सरकार की चली कैंची Read More »

British company also admitted that AstraZeneca's Corona vaccine poses a risk of heart attack, Covishield vaccine has been prepared from the same formula, 1.75 crore doses administered in the country

Corona Vaccine news : ब्रिटिस कंपनी ने भी माना, एस्ट्राजेनेका की CORONA वैक्सीन से हार्ट अटैक का खतरा, इसी फार्मूले से तैयार की गई है कोविशील्ड की Vaccine, देश में 1.75 करोड़ डोज लगे

जानें पूरा मामला

Corona Vaccine news : देश भर के लोगों को हिला देने वाली खबर सामने आ रही है। ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि ऐसा बहुत रेयर (दुर्लभ) मामलों में ही होगा। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई है।

ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन (Corona Vaccine news) से कई लोगों की मौत हो गई। वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। कंपनी के खिलाफ हाईकोर्ट में 51 केस चल रहे हैं। पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है।

ब्रिटिश हाईकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने माना है कि उसकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है।

 

 

 

सबसे पहले ब्रिटिश नागरिक जेमी स्कॉट ने केस किया

अप्रैल 2021 में जेमी स्कॉट नाम के शख्स ने यह वैक्सीन लगवाई थी। इसके बाद उनकी हालत खराब हो गई। शरीर में खून के थक्के बनने का सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा। इसके अलावा स्कॉट के ब्रेन में इंटर्नल ब्लीडिंग भी हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों ने उनकी पत्नी से कहा था कि वो स्कॉट को नहीं बचा पाएंगे।

 

 

 

 

कंपनी ने पहले दावों को नकारा, फिर माना

पिछले साल स्कॉट ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। मई 2023 में स्कॉट के आरोपों के जवाब में कंपनी ने दावा किया था कि उनकी वैक्सीन से TTS नहीं हो सकता है। हालांकि इस साल फरवरी में हाईकोर्ट में जमा किए दस्तावेजों में कंपनी इस दावे से पलट गई। इन दस्तावेजों की जानकारी अब सामने आई है।

हालांकिअवैक्सीन में किस चीज की वजह से यह बीमारी होती है, इसकी जानकारी फिलहाल कंपनी के पास नहीं है। इन दस्तावेजों के सामने आने के बाद स्कॉट के वकील ने कोर्ट में दावा किया है कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन में खामियां हैं और इसके असर को लेकर गलत जानकारी दी गई। वैज्ञानिकों ने अप्रैल 2021 में वैक्सीन से होने वाली बीमारी की पहचान की

वैज्ञानिकों ने सबसे पहले मार्च 2021 में एक नई बीमारी वैक्सीन-इंड्यूस्ड (वैक्सीन से होने वाली) इम्यून थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (VITT) की पहचान की थी। पीड़ितों से जुड़े वकील ने दावा किया है कि VITT असल में TTS का ही एक सबसेट है। हालांकि एस्ट्राजेनेका ने इसे खारिज कर दिया।

 

 

 

 

कंपनी ने कहा- हमने मानकों का पालन किया

एस्ट्रजेनेका ने कहा, “उन लोगों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं, जिन्होंने अपनों को खोया है या जिन्हें गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। मरीजों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। हमारी रेगुलेटरी अथॉरिटी सभी दवाइयों और वैक्सीन (Corona Vaccine news) के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए सभी मानकों का पालन करती है।”

कंपनी ने आगे कहा, “क्लिनिकल ट्रायल और अलग-अलग देशों के डेटा से यह साबित हुआ है कि हमारी वैक्सीन (Corona Vaccine news) सुरक्षा से जुड़े मानकों को पूरा करती है। दुनियाभर के रेगुलेटर्स ने भी माना है कि वैक्सीन से होने वाले फायदे इसके दुर्लभ साइड इफेक्ट्स से कहीं ज्यादा हैं।”

 

 

 

 

ब्रिटेन में नहीं इस्तेमाल हो रही एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन

खास बात यह है कि इस वैक्सीन (Corona Vaccine news) का इस्तेमाल अब ब्रिटेन में नहीं हो रहा है। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार में आने के कुछ महीनों बाद वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन के खतरे को भांप लिया था। इसके बाद यह सुझाव दिया गया था कि 40 साल से कम उम्र के लोगों को दूसरी किसी वैक्सीन का भी डोज दिया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से होने वाले नुकसान कोरोना के खतरे से ज्यादा थे।

मेडिसिन हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी (MHRA) के मुताबिक ब्रिटेन में 81 मामले ऐसे हैं, जिनमें इस बात की आशंका है कि वैक्सीन (Corona Vaccine news) की वजह से खून के थक्के जमने से लोगों की मौत हो गई। MHRA के मुताबिक, साइड इफेक्ट से जूझने वाले हर 5 में से एक व्यक्ति की मौत हुई है।

 

 

रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन के जरिए हासिल किए गए आंकड़ों के मुताबिक ब्रिटेन में फरवरी में 163 लोगों को सरकार ने मुआवजा दिया था। इनमें से 158 ऐसे थे, जिन्होंने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगवाई थी। एस्ट्राजेनेका ने बचाई 60 लाख लोगों की जान

 

कंपनी ने यह भी दावा किया है कि उन्होंने अप्रैल 2021 में ही प्रोडक्ट इन्फॉर्मेशन में कुछ मामलों में TTS के खतरे की बात शामिल की थी। कई स्टडीज में यह साबित हुआ है कि कोरोना महामारी के दौरान एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन आने के बाद पहले साल में ही इससे करीब 60 लाख लोगों की जान बची है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी कहा था कि 18 साल या उससे ज्यादा की उम्र वाले लोगों के लिए यह वैक्सीन (Corona Vaccine news) सुरक्षित और असरदार है। इसकी लॉन्चिंग के वक्त ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसे ब्रिटिश साइंस के लिए एक बड़ी जीत बताया था।

Corona Vaccine news : ब्रिटिस कंपनी ने भी माना, एस्ट्राजेनेका की CORONA वैक्सीन से हार्ट अटैक का खतरा, इसी फार्मूले से तैयार की गई है कोविशील्ड की Vaccine, देश में 1.75 करोड़ डोज लगे Read More »

Not only the spices of Everest or MDH, ethylene oxide also found in 527 Indian products from almonds to Ashwagandha.

Indian Masalen ban : एवरेस्ट या MDH के मसाले ही नहीं, बादाम से अश्वगंधा तक 527 भारतीय प्रोडक्ट्स में भी मिला एथिलीन ऑक्साइड

Indian Masalen ban : देश के दो सबसे पॉपुलर और बड़े मसाला ब्रांड एवरेस्ट और एमडीएच के कुछ मसालों पर हांगकांग एवं सिंगापुर में बैन लग गया है। इन कंपनियों के कुछ मसाला मिक्स में एथिलीन ऑक्साइड जैसा कीटनाशक मिलने का दावा किया गया है। इसके बाद भारत में भी फूड सेफ्टी को लेकर नई बहस छिड़ गई है। इस बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत से यूरोप निर्यात (export) की जाने वाली 500 से ज्यादा वस्तुओं में एथिलीन ऑक्साइड पाया गया है।

 

 

क्या है एथिलीन ऑक्साइड ?

एक शोध के अनुसार, एथिलीन ऑक्साइड को कृषि में उत्पादों को फंगस से बचाने के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि , दुनिया के कई देशों में इस पर बैन लगाया गया है क्योंकि माना जाता है कि, ये इंसान के शरीर में कैंसर का कारण बनता है। कई सालों पहले यूरोपीय यूनियन ने 1991 में एथिलीन ऑक्साइड को बैन की श्रेणी में डाल दिया था। जबकि समय के साथ इंपोर्ट बढ़ने पर इसे लेकर कड़ी जांच की व्यवस्था बनाई गई। अब यूरोपीय यूनियन की ही एक रिपोर्ट में इसे लेकर बड़े खुलासे हुए हैं।

 

 

बादाम से अश्वगंधा तक में मिला एथिलीन ऑक्साइड

यूरोपीय यूनियन की फूड सेफ्टी अथॉरिटी ने सितंबर 2020 से अप्रैल 2024 के बीच भारत से इंपोर्ट किए जाने वाले फूड आइटम्स की जांच करते हुए उस पर शोध किया और 527 प्रोडक्ट्स में कार्सिनोजेनिक एथिलीन ऑक्साइड पाया गया। इससे पहले 2020-21 में भी यूरोपीय यूनियन भारत समेत कई अन्य देशों से इंपोर्ट की गई 468 वस्तुओं में एथिलीन ऑक्साइड होने की सूचना दी थी।

 

 

किन फूड प्रोडक्ट्स में कैंसर के केमिकल मिले है ?

यूरोपीय यूनियन की एक लास्टेड रिपोर्ट के अनुसार, भारत से मंगाए गए 527 फूड प्रोडक्ट्स में से 313 ड्राई फ्रूट्स और तिल से बने आइटम्स, 60 तरह की जड़ी-बूटियों और मसाले, 48 डायट्री फूड और सप्लीमेंट आइटम्स और बाकी 34 अन्य प्रोडक्ट्स में भी कैंसर उत्पन्न करने वाले केमिकल मिले हैं। इनमें से तिल, काली मिर्च और अश्वगंधा जैसी वे वस्तुएं भी शामिल हैं जिन पर ‘ऑर्गेनिक’ का लेबल लगा हुआ था।

 

 

यूरोपियन यूनियन ने 87 प्रोडक्ट्स को बॉर्डर पर ही किया रिजेक्ट

जबकि , कुछ फूड प्रोडक्ट्स ऐसे भी हैं, जिनसे इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने का दावा किया जाता है। इनके अलावा कई प्रोडक्ट ऐसे हैं जो अनाज, फल और सब्जियां, सूप, आइसक्रीम और मीट की श्रेणी में भी आते हैं। इनमें भी एथिलीन ऑक्साइड पाया गया है। एथिलीन ऑक्साइड पाए जाने के बाद यूरोपियन यूनियन ने 87 प्रोडक्ट्स को बॉर्डर पर ही रिजेक्ट कर दिया। बाकी को वहां के बाजारों से हटा दिया गया।

 

 

 

भारत सरकार ने फूड रेग्युलेटर FSSAI से डिटेल्स रिपोर्ट मांगी

भारतीय ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों (Indian Masalen ban) पर हांगकांग और सिंगापुर के द्वारा बैन लगाने के बाद अब भारत सरकार ने फूड रेग्युलेटर FSSAI से डिटेल्ड रिपोर्ट मांगी है। वहीं देश में मौजूद मसालों की जांच का जिम्मा सौंपा है। भारत में मसालों के एक्सपोर्ट को भारतीय मसाला बोर्ड हैंडल करता है। सरकार ने बोर्ड से सिंगापुर और हांगकांग निर्यात होने वाले सभी मसालों की गुणवत्ता जांच भी अनिवार्य कर दी है। सरकार का कहना है कि अगर रिपोर्ट में मसालों की गुणवत्ता खराब पाई गई तो, इन ब्रांड्स के निर्यात पर पाबंदी भी लग सकती है।

 

 

 

भारत सबसे बड़ा मसाला निर्यातक

भारत दुनियाभर में मसालों (Indian Masalen ban) का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। यहां से हर साल 14-15 लाख टन मसालों का दुनिया में निर्यात होता है। ये पूर्ण कारोबार करीब 3-4 अरब डॉलर का है। ऐसे में दुनिया बाजार में भारतीय मसालों की गुणवत्ता पर उठे सवालों से इनका निर्यात प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। भारत से सबसे ज्यादा चीन, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), अमेरिका, मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल और इंडोनेशिया को मसालों का निर्यात किया जाता है। वहीं यूरोप में ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और स्पेन भारतीय मसालों के बड़े ग्राहक हैं।

निर्यात (export) होने वाले मसालों (Indian Masalen ban) में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी लाल मिर्च, हल्दी, जीरा, धनिया, करी पाउडर, लहसुन, मेथी दाना और अदरक की है। इसी तरह ड्राइ फ्रूट्स में ज्यादातर निर्यात अखरोट, काजू और किशमिश का होता है। वित्त वर्ष 2023-24 में जनवरी तक देश से 39,244 टन किशमिश, 60,222 टन काजू औ करीब 450 टन अखरोट का निर्यात हुआ है।

Indian Masalen ban : एवरेस्ट या MDH के मसाले ही नहीं, बादाम से अश्वगंधा तक 527 भारतीय प्रोडक्ट्स में भी मिला एथिलीन ऑक्साइड Read More »

Bus conductor's son becomes Asia's biggest robotic surgeon, has performed more than 20 thousand complex cancer surgeries

Doctor success Story : बस कंडक्टर का बेटा बना एशिया का सबसे बड़ा रोबोटिक सर्जन, 20 हजार से ज्यादा कर चुके है जटिल कैंसर की सर्जरी

Doctor success Story : दिल्ली के छोटे से गांव से आने वाले सामान्य बस कंडक्टर का बेटा डॉक्टर डबास, आज भारत के ही नहीं बल्की एशिया के सबसे बड़े रोबोटिक सर्जन हैं। उन्होंने अब तक ढाई हजार से ज्यादा रोबोटिक सर्जरी  की है। इतना ही नहीं उन्होंने 20000 से ज्यादा जटिल कैंसर की भी सर्जरी की है। आखिर कैसे एक छोटे से गांव का लड़का एशिया का सबसे बड़ा रोबोटिक सर्जन बन गया, तो आईए जानते हैं डॉक्टर डबास की कहानी। 

 

 

 

पैतृक गांव से की पढ़ाई

डॉक्टर सुरेंद्र कुमार (Doctor success Story) डबास ग्रामीण दिल्ली से आते हैं। उन्होंने क्लास 6 से लेकर बारहवीं तक की पढ़ाई डबास ने जवाहर नवोदय विद्यालय से की। डॉक्टर डबास बताते हैं कि, वह बचपन में फाइटर पायलट बनना चाहते थे, लेकिन कान में कुछ दिक्कत होने के कारण उन्हें वो सपना छोड़ना पड़ा और फिर उन्होंने मेडिकल की तरफ जाने का मन बनाया।

 

 

 

घरवालों से नहीं मिली ईजाजत

डॉ सुरेंद्र कुमार डबास (Doctor success Story) के पिताजी डीटीसी में बस कंडक्टर थे, बाद में वो प्रमोट होकर कैशियर बने। उनकी तनख्वाह बेहद कम थी और घर वालों को लगता था कि मेडिकल की पढ़ाई में बहुत ज्यादा पैसे लगते हैं, जिसे डबास को ओफर्ड नहीं कर पायेंगे। डबास की बहन टीचर बन गई थी, तो घर वालों का भी सपना था कि बेटा भी टीचर बने। लेकिन ऐसा कुछ नहीं था, जब डबास ने दिल्ली पीएमटी यानी मेडिकल का एंट्रेंस एग्जाम दिया तो उसकी अच्छी रैंक आई। डबास काे डॉक्टर मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गया। यहां पूरीे साल की फीस मात्र ₹800 थी।

 

 

 

रोजाना 5 घंटे लंबा सफर करते थे 

डॉक्टर डबास (Doctor success Story) का गांव दिल्ली के बहादुरगढ़ के पास है जो कॉलेज से काफी दूर था। हॉस्टल के लिए अप्लाई किया तो दिल्ली का ही होने की नाते हॉस्टल नहीं मिला। इसलिए वह रोज तीन बसों को चेंज करके कॉलेज जाया करते थे। कॉलेज का समय सुबह 8:00 बजे का था तो वो अपना घर सुबह 5:30 छोड़ दिया करते थे जिससे वो टाइम से कॉलेज पहुंच सके।

 

 

 

फर्स्ट ईयर में हो गई थी पिता की मृत्यु

डॉक्टर डबास जब एमबीबीएस के फर्स्ट ईयर में थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। डॉक्टर डबास ने कहा, ‘पिताजी का देहांत अप्रैल में हुआ और मेरा सेमेस्टर एग्जाम जून में था। एक तो 5 घंटे सफर करने की वजह से मैंने कुछ पढ़ नहीं पाया था तो पिताजी की मृत्यु से मैं एकदम से टूट गया। लेकिन डॉक्टर डबास (Doctor success Story) ने वहां से प्रेरणा ली कि, मैं अपने पिता का सपना पूरा करूंगा। फिर मैंने मन लगाकर पढ़ाई की अपना एमबीबीएस कंप्लीट किया’ ।

 

 

 

अमेरिका से ली डिग्री

एमबीबीएस कंप्लीट के बाद भी डॉक्टर डबास (Doctor success Story) ने पढ़ाई जारी रखी और 3 साल तक जर्नल सर्जन की पढ़ाई की। फिर कैंसर सर्जन की पढ़ाई कंप्लीट की, आपको बता दें की डॉक्टर डबास भारत के ऐसे पहले डॉक्टर हैं जिन्होंने शिकागो विश्वविद्यालय से रोबोटिक सर्जरी की पढ़ाई की है।

Doctor success Story : बस कंडक्टर का बेटा बना एशिया का सबसे बड़ा रोबोटिक सर्जन, 20 हजार से ज्यादा कर चुके है जटिल कैंसर की सर्जरी Read More »

Canada has placed a reward of Rs 30 lakh on a fugitive of Indian origin, know what crime he committed.

Canada news : कनाडा ने भारतीय मूल के भगोड़ा पर रखा 30 लाख का ईनाम, क्या किया अपराध आए जानें

Canada news : कनाडा ने 25 अपराधियों की मोस्ट वांटेड लिस्ट में भारतीय मूल के एक भगोड़ा का नाम भी शामिल किया है। धरम सिंह धालीवाल के द्वारा 21 वर्षीय पवनप्रीत की हत्या के मसले में उन्हें कनाडा द्वारा भगोड़ा साबित करते हुए 25 अपराधियों की लिस्ट में रखा है। कनाडा सरकार ने धालीवाल की अरेस्ट के लिए कोई भी जानकारी देने वाले व्यक्ति को 30 लाख रूपये तक का इनाम मिलेगा।

 

 

 

कौन है भगोड़ा धर्म सिंह धालीवाल

धालीवाल सिंह को कनाडा (Canada news) के ( मिसीसॉगा ओंटारियों )का निवासी बताया जाता है। उसे कनाडाई पुलिस ने एक ’’ सशस्त्र और खतरनाक ’’ अपराधी घोषित किया है। पुलिस के मुताबिक, धरम सिंह के ग्रेटर टोरंटो एरिया, विन्निपेग/लोअर मेनलैंड और भारत में कनेक्शन हैं। पील क्षेत्रीय पुलिस फर्स्ट-डिग्री हत्या के लिए धरम सिंह धालीवाल को अरेस्ट करना चाहती है। धरम धालीवाल को बॉलो (Bolo) प्रोग्राम पर रखा गया है। यह गंभीर अपराधों के लिए आंतक व्यक्तियों के लिए है। इस प्रोग्राम के तहत (Canada news) कनाडा के मोस्ट वांटेड संदिग्धों की खोज में नागरिकों को शामिल करने के लिए सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है।

 

 

 

धालीवाल ने पवनप्रीत कौर की हत्या क्यों की ?

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 21 वर्षीय पवनप्रीत कौर की दिसंबर 2022 में बै्रम्पटन में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी हत्या से कुछ महीनों पहले, धालीवाल पर कौर के खिलाफ घरेलू-संबंधित अपराधों का आरोप लगाया गया था। धालीवाल ने पुलिस से बचने के लिए कौर की हत्या से पहले आत्महत्या की साजिश भी रची थी। पुलिस बयान में कहा गया है कि, ’’ धालीवाल जानबूझकर सितंबर 2022 में लापता हो गया, लेकिन जांच से पता चला है कि, यह पवनप्रीत कौर की हत्या की प्लानिंग का हिस्सा था। ’’

 

 

 

धालीवाल परिवार के सदस्यों की हो चुकी है गिरफ्तारी

धालीवाल के परिवार के दो सदस्यों, प्रीतपाल धालीवाल और अमरजीत धालीवाल को 18 अप्रैल, 2023 को मॉन्कटन, न्यू ब्रंसविक में अरेस्ट किया गया और उन पर हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया गया। पुलिस ने बताय कि, ’’ जांचकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि, अरेस्टींग से बचने में धालीवाल की मदद करने वाले किसी भी व्यक्ति को समान आरोपों का सामना करना पड़ेगा। ’’

Canada news : कनाडा ने भारतीय मूल के भगोड़ा पर रखा 30 लाख का ईनाम, क्या किया अपराध आए जानें Read More »

Big action by NIA regarding Khalistani attack in London, main accused Inderpal Singh Gaba caught

NIA Action : लंदन में खालिस्तानी हमले को लेकर एनआईए का बड़ा ऐक्शन, पगड़ा गया मुख्य आरोपी इंद्रपाल सिंह गाबा

NIA Action : पिछले साल लंदन में भारतीय दूतावास पर हमले संबंधित एक मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) यानि एनआईए ने मुख्य आरोपी इंद्रपाल को अरेस्ट कर लिया है। एनआईए के एक प्रवक्ता ने अपने एक बयान जारी करते हुए बताया कि, ब्रिटेन के हाउंस्लो निवासी इंद्रपाल सिंह गाबा को 22 मार्च, 2023 को लंदन में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोपा में अरेस्ट किया गया है।

 

 

 

किस मामले को लेकर खालिस्तानियों हमला किया था ?

मामले की गंभीरता को लेकर एनआईए (NIA Action) की अब तक की जांच से पता चला हैं कि, पिछले साल 19 और 22 मार्च को लंदन में हुई घटनाएं भारतीय मिशन और उसके अधिकारियों पर हमले करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थीं। बयान में बताया गया है कि, 18 मार्च 2023 को खालिस्तानी समर्थक अलगाववादी अर्मतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के प्रतिशोध में मार्च, 2023 में लंदन में ये हमले किये गये थे।

 

 

 

अधिकारियों पर हमले की साजिश में था आरोपी इंद्रपाल सिंह गाबा

बता दें कि एनआईए (NIA Action) ने अपने म बयान में कहा कि, हाउंस्लो निवासी इंद्रपाल सिंह गाबा को 22 मार्च के विरोध प्रदर्शन के दौरान गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप में अरेस्ट किया गया हैं। एजेंसी ने कहा कि, मामले में एनआईए की चल रही जांच से पता चला है कि, लंदन में 19 मार्च और 22 मार्च की घटनाएं भारतीय मिशनों और उसके अधिकारियों पर शातिर हमले करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थीं।

एनआईए प्रवक्ता ने बताया कि, ’ ब्रिटेन के हाउंस्लो निवासी इंद्रपाल सिंह गाबा को 22 मार्च, 2023 को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप में अरेस्ट किया गया है। जबकि, एजेंसी ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि, क्या गाबा को दिल्ली में हवाई अड्डे पर अरेस्ट किया गया था। एजेंसी ने हमले में उसकी अहम भूमिका या खालिस्तानी समर्थक नेताओं के साथ उसके संबंध का भी खुलासा नहीं किया।

 

 

 

राष्ट्रीय ध्वज का किया था अपमान

एनआईए (NIA Action) की सूचना से पता चला कि, भारतीय उच्चायोग में राष्ट्रीय ध्वज को खालिस्तानी समर्थकों ने भारत द्वारा अलगाववादी तत्वों पर कार्रवाई के खिलाफ में विरोध प्रदर्शन के दौरान उतार दिया था। इस घटना के मद्देनजर अप्रैल में गृह मंत्रालय की ब्रिटेन के गृह मंत्रालय की ब्रिटेन के गृह कार्यालय के प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद एनआईए ने दिल्ली पुलिस से जांच अपने हाथ में ले ली।

प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि, 19 मार्च की हिंसा का मास्टरमाइंड अवतार सिंह उर्फ आजाद उर्फ रणजोध सिंह को बताया गया था, जो नामित आतंकी संगठन खालिस्तान लिबरेशन फोर्स का स्वयंभू प्रमुख था। इस प्रकार कुछ सप्ताह बाद बर्मिंघम के एक अस्पताल में मौत हो गई थी। वहीं वारिस पंजाब दे प्रमुख अमृतपाल सिंह के कथित हैंडलर खांडा की मौत खालिस्तान समर्थक तत्वों या पीकेई के लिए एक बड़ा झटका थी।

NIA Action : लंदन में खालिस्तानी हमले को लेकर एनआईए का बड़ा ऐक्शन, पगड़ा गया मुख्य आरोपी इंद्रपाल सिंह गाबा Read More »

America imposed sanctions on three Indian companies, took a tough decision on dealing with Iran

Indian international Company ban : भारत की तीन कंपनियों पर अमेरिका ने लगाई पाबंदी, ईरान के साथ डील करने पर लिया कड़ा फैसला

Indian international Company ban : ईरान के साथ कारोबार करने पर अमेरिका ने एक दर्जन से ज्यादा कंपनियों पर पांबदी लगाई है। इन कंपनियों में भारत की तीन कंपनियां भी शामिल हैं। इन कंपनियोें पर आरोप है कि, ईरान की ओर से यूक्रेन युद्ध के लिए रूस की मदद के लिए इन कंपनियों ने डील के साथ ड्रोन भेजे थे। अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट का कहना है कि, हमने जांच में पाया है कि, इन कंपनियों ने ईरान के साथ रूस की डील में सहायता की थी। अमेरिका विभाग के मुताबिक, इस डील में मुख्य कंपनी सहारा थंडर थी, जिसने ईरान के ड्रोन्स को दूसरे देशों में बेचने में सहायता की।

 

 

 

भारत की कौन-सी तीन कंपनियों पर आरोप लगे ?

सहारा थंडर को इस डील में सहायता करने के आरोप में भारत की तीन कंपनियों जेन शिपिंग, पोर्ट इंडिया, प्राईवेट लिमिटेड और सी आर्ट शिप मैनेजमेंट प्राईवेट लिमिटेड पर लगा है। अमेरिकी एजेंसी के मुताबिक ईरानी सैन्य यूनिट सहारा थंडर एक विशाल शिपिंग नेटवर्क वाली कंपनी है। यह ईरान के रक्षा और सशस्त्र बल रसद मंत्रालय की ओर से पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, रूस, वेनेजुएला और कई देशों में ईरानी वस्तुओं की बिक्रि करती है।

 

 

 

किस तरह भारतीय कंपनियों ने ईरान के साथ काम किया ?

सहारा थंडर ने कुक आइलैंड्स-ध्वजांकित जहाज सीएचईएम आईएमओ 9240914 के लिए भारत स्थित जेन शिपिंग और पोर्ट इंडिया प्राईवेट लिमिटेड के साथ टाइम-चार्टर के साथ करार किया है। इसका प्रबंधन और संचालन संयुक्त अरब अमीरात स्थित सेफ सीज मैनेजमेंट एफजेडई द्वारा किया जाता है। ट्रेजरी विभाग ने कहा है कि, ’ सहारा थंडर ने 2022 से वस्तुओं के कई जहाज भेजने के लिए सीएचईएम का उपयोग किया है। ईरान स्थित अर्सांग सेफ ट्रेडिग कंपनी ने सीएचईएम सहित कई सहारा थंडर-संबंधित जहाज परिवहन में सर्विस की हैं।’

 

 

 

भारतीय कंपनियों ने ईरान के लिए जहाजों का प्रबंधन किया

ट्रेजरी के मुताबिक, ईरान स्थित एशिया मरीन क्राउन एजेंसी ने कई सहारा थंडर शिपमेंट में सहयोग करते हुए ईरान के बंदर अब्बास में बंदरगाह एजेंट के रूप में काम किया हैं। इस दौरान कहा गया है कि, ’ भारत स्थित सी आर्टशिप मैनेजमेंट, प्राईवेेट लिमिटेड और यूएई स्थित कंपनी ट्रांस गल्फ एजेंसी एलएलसी ने सहारा थंडर के समर्थन में जहाजों का प्रबंधन करने के लिए मिलकर काम किया है। इसके एवज में यूएई और ईरान स्थित कोरल ट्रेडिंग ईएसटी ने सहारा थंडर से ईरानी वस्तुएं खरीदी हैं। ’

Indian international Company ban : भारत की तीन कंपनियों पर अमेरिका ने लगाई पाबंदी, ईरान के साथ डील करने पर लिया कड़ा फैसला Read More »

Indian student arrested in America for protesting against Israel, let's know who this student is

 Indian Student protest Story : इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन करने पर अमेरिका में अरेस्ट हुई भारतीय छात्रा, आए जानें कौन है ये छात्रा

 Indian Student protest Story :  इजरायल विरोधी प्रदशर्न करने वाली भारतीय मूल की एक छात्रा को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया है। अमेरिका की प्रतिष्ठित प्रिंसटन विश्वविद्यालय में पढ रही है ये छात्रा। सूचना के मुताबिक अरेस्ट की गई छात्रा तमिलनाडु में जन्मी अचिंत्य शिवलिंगन है।

जबकि उसके साथ ही सैयद नाम का एक युवक भी अरेस्ट हुआ है। ये छात्र ( Indian Student protest Story) कई अन्य छात्र नेताओं और सामान्य छात्रों के साथ गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों के समर्थन में और इजरायली हमलों का विरोध प्रदर्शन कर रहें थे। जबकि, दोनों की अरेस्ट सूचना प्रिंसटन एल्युमनाई वीकली की रिपोर्ट से मिली है।

 

 

 

विश्वविद्यालय की तरफ से भारतीय छात्रा को मिल रही थी चेतावनी

अरेस्ट दोनों छात्रों पर विश्वविद्यालय की प्रवक्ता जेनिफर मोरिल ने कहा कि, दोनों छात्रों के कैंपस में आने पर रोक लगा दी गई है। जबकि, इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय में बिना परिमशन के टेंट लगाने और प्रदर्शन करने का भी आरोप इन लोगों पर है। दरअसल, इन छात्रों को विश्वविद्यालय के हॉस्टल में रहने की अनुमति होगी।

बता दें कि, तमिलनाडु की रहने वाली भारतीय छात्रा अचिंत्य शिवलिंगन मार्स्टस इन पब्लिक अफेयर्स की डिग्री ले रही है। वहीं सैयद हसन प्रिंसटन विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहा है। एक बयान में विश्वविद्यालय की प्रवक्ता ने कहा कि, छात्रों ( Indian Student protest Story) को कई बार चेतावनी दी जा चुकी थी कि, वे स्थान खाली कर देें और राजनीतिक प्रदर्शन न करें।

 

 

 

 

इजरायली पीएम ने की अमेरिका की आलोचना

विश्वविद्यालय की प्रवक्ता ने आगे बताया कि, चेतावनी के बाद ये छात्र ( Indian Student protest Story) नहीं माने तो अरेस्टिंग की गई। जबकि अचिंत्य और हसन की गिरफ्तारी के बाद दूसरे छात्रों ने आंदोलन बंद कर दिया है और वहां से टेंट भी हटा लिए गए हैं।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस आंदोलन में छात्र, फैकल्टी मेंबर और अन्य बाहरी लोग भी शामिल थे। दरअसल, अमेरिका के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटीयों में इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं। इसे लेकर इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने भी अमेरिका की आलोचना की और कहा कि, आपके यहां हमारे खिलाफ बर्बादी के नारे लग रहे हैं।

 Indian Student protest Story : इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन करने पर अमेरिका में अरेस्ट हुई भारतीय छात्रा, आए जानें कौन है ये छात्रा Read More »

India gave Brahmastra to Philippines and China got furious

India supply weapon news : भारत ने फिलीपींस को दिया ब्रह्मास्‍त्र तो आगबबूला हुआ चीन

India supply weapon news : फिलीपींस को भारत की ओर से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की डिलीवरी मिलने के बाद चीन का गुस्सा सामने आया है। फिलीपींस को ऐसे दौर में भारत से मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी मिली है, जब उसका बीजिंग के बीच साउथ चाइना सी में तनाव है।

फिलीपींस को मिसाइल की पहली गस्त पहुंचने के एक सप्ताह बाद चीनी सेना की ओर से इस पर बयान दिया गया है। भारत (India supply weapon news) द्वारा फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की डिलीवरी पर सवाल करते हुए चीनी सेना के प्रवक्ता ने कहा कि, दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग में इस बात का ख्याल रखा जाए कि, इससे किसी तीसरे पक्ष के हितों को नुकसान नहीं पहुंचे।

 

 

 

अमेरिका की तीखी आलोचना

चीनी रक्षा मंत्रालय के सीनियर प्रवक्ता वू कियान ने बयान दिया की, ‘ चीन हमेशा मानता है कि, दो देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग से किसी तीसरे पक्ष के हितों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरा नहीं होना चाहिए। 

वू ने दक्षिण चीन सागर विवाद में चीन और फिलीपींस के बीच बढ़ती शत्रुता के बीच इस महीने फिलीपींस (India supply weapon news) में मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात करने के लिए अमेरिका की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा, ‘एशिया-प्रशांत में अमेरिका की ओर से बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती का हम कड़ा विरोध करते हैं। अमेरिका का यह कदम क्षेत्रीय देशों की सुरक्षा को गंभीर रूप से खतरे में डालते हुए क्षेत्रीय शांति को खतरा पैदा करता है। 

फिलीपींस को हथियार, पर चीन हुआ सशंकित

 

फिलीपींस ने चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने और अपनी रक्षात्मक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भारत से ब्रह्मोस मिसाइलों का अधिग्रहण किया है, ये उसकी अपनी रक्षात्मक क्षमताओं को बढ़ाने की तरफ एक अहम रणनीतिक कदम है। दक्षिण चीन सागर में दूसरे थॉमस शोल और स्कारबोरो शोल को लेकर चीन और फिलीपींस के बीच तनाव है। जबकी, दूसरी ओर भारत (India supply weapon news) भी चीन के विस्तारवादी रवैये को देखते हुए फिलीपींस के साथ रक्षा संबंधों को बढ़ा रहा है। ऐसे में चीन इससे सशंकित नजर आ रहा है।

बता दें की, भारत और फिलीपींस के बीच हथियारों का सौदा 2022 में हुआ था। इस डील में तीन मिसाइल बैटरी, ऑपरेटर और अनुरक्षक प्रशिक्षण और एक एकीकृत लॉजिस्टिक्स सपोर्ट (आईएलएस) पैकेज शामिल है। प्रत्येक मिसाइल बैटरी में आम तौर पर दो या तीन मिसाइल ट्यूबों के साथ तीन मोबाइल स्वायत्त लांचर होते हैं, जो अपेक्षित ट्रैकिंग सिस्टम के साथ होते हैं। फिलीपींस को मिली ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है।

India supply weapon news : भारत ने फिलीपींस को दिया ब्रह्मास्‍त्र तो आगबबूला हुआ चीन Read More »

America announced the results dates of Diversity Visa-2025, know complete details

Diversity Visa 2025 : अमेरिका ने डायवर्सिटी वीजा-2025 के रिजल्ट की तारीखों की घोषणा की, जानें पूरा विवरण

Diversity Visa 2025 : अमेरिका ने ग्रीन कार्ड लॉटरी रिजल्ट की तारीखों की घोषणा कर दी है। जिसे डायवर्सिटी वीजा (Diversity Visa 2025) के रूप में जाना जाता है। अमेरिकी विदेश विभाग डायवर्सिटी वीजा कार्यक्रम का प्रबंधन करता है। यह कार्यक्रम उन देशों से रेंडमली विजेताओं का चयन करता है, जिनकी अतीत में अमेरिका में इमिग्रेशन रेट कम था और भाग्यशाली विजेताओं को 55,000 तक ग्रीन कार्ड दिए जाते हैं।

एचटी की रिपोर्ट के अनुसार , डायवर्सिटी वीजा-2025 (Diversity Visa 2025) के परिणाम 4 मई को स्थानीय समयानुसार दोपहर 12 बजे से ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। मिंट की रिपोर्ट के अनुसार , अमेरिकी विदेश विभाग 12 मई को ग्रीन कार्ड लॉटरी विजेताओं की घोषणा करेगा।

कैसे चेक करें अपना स्टेटस ?

अमेरिकी विदेश विभाग ने घोषणा के अनुसार, जिन लोगों ने डायवर्सिटी वीजा-2025 (Diversity Visa 2025) कार्यक्रम के लिए आवेदन किया है, वे आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध लिंक पर जाकर अपना कन्फर्मेशन डिटेल दर्ज कर सकते हैं। यह प्रोसेस  4 मई, 2024 को दोपहर (EDT) से शुरू होगी। प्रत्यासियों को सलाह दी गई है कि, उन्हें भविष्य में संदर्भ के लिए अपना कन्फर्मेशन नंबर 30 सितंबर, 2025 तक संभाल कर रखना चाहिए। डायवर्सिटी वीजा-2025 (Diversity Visa 2025) कार्यक्रम के लिए एंट्री पीरियड 4 अक्टूबर, 2023 और 7 नवंबर, 2023 के बीच था।

 

कार्यक्रम के लिए कौन उम्मीदवार है ?

ग्रीन कार्ड लॉटरी में भाग लेने के लिए आवेदकों को दो मुख्य आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। पहली यह कि आवेदकों का जन्म इस कार्यक्रम के लिए उम्मीदवार देश में हुआ हो। ऑफिशियल डायवर्सिटी वीजा (Diversity Visa 2025) प्रोग्राम वेवसाइट पर जाकर उम्मीदवार देश के बारे में जानकारी जुटाई जा सकती है। दूसरी यह कि आवेदकों के पास या तो हाई स्कूल की डिग्री होनी चाहिए या किसी ऐसे पेशे में पिछले पांच वर्षों में दो साल का कार्य अनुभव होना चाहिए जिसके लिए न्यूनतम दो साल के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

 

 

ग्रीन कार्ड के लिए आवेदकों के पास दस्तावेज होना जरूरी है

 

  • दो पासपोर्ट साइज फोटो
  • जन्म प्रमाण पत्र की कॉपी
  • फॉर्म I-693, मेडिकल जांच की रिपोर्ट और वैक्सीनेशन रिकॉर्ड
  • गैर-आप्रवासी वीजा के साथ पासपोर्ट पेज की कॉपी (यदि लागू हो)
  • प्रवेश (प्रवेश) या पैरोल स्टाम्प (यदि लागू हो) के साथ पासपोर्ट पेज की कॉपी
  • फॉर्म I-94, आगमन/प्रस्थान रिकॉर्ड
  • अदालती रिकॉर्ड की प्रमाणित प्रतियां (यदि व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है)
  • डीओएस से डायवर्सिटी वीजा लॉटरी (Diversity Visa 2025) के लिए मुख्य आवेदक के चयन पत्र की कॉपी
  • डायवर्सिटी वीजा (Diversity Visa 2025) लॉटरी प्रोसेसिंग शुल्क के लिए डीओएस से रसीद की कॉपी
  • फॉर्म I-601, अस्वीकार्यता के आधार पर छूट के लिए आवेदन (यदि लागू हो)
  • लागू शुल्क  (Diversity Visa 2025)

Diversity Visa 2025 : अमेरिका ने डायवर्सिटी वीजा-2025 के रिजल्ट की तारीखों की घोषणा की, जानें पूरा विवरण Read More »