फतेहाबाद। विधायक का पूर्व चालक बोला: राजनीतिक दबाव में लगाए आरोप .. विधायक दुड़ाराम के पीए पर लगाए जा रहे आरोपों के मामले में 16 तारीख को होने वाली महापंचायत से पहले ही विपक्षी पार्टी के नेताओं को आज बड़ा झटका लगा है। विधायक का पूर्व चालक एक बार फिर अपने आरोपों से मुकर गया और बोला कि उसने राजनीतिक दबाव में आकर यह आरोप लगाए थे, जो बिलकुल बेबुनियाद थे, उसने सरकारी नौकरी के लिए ना तो किसी को रुपये दिए न किसी से रुपये लिए।
कटघरे में विपक्षी दल के नेता
सुभाष का यह बयान अब सरकार की विपक्षी दलों के नेताओं को कटघरे में खड़ा करने वाला है। पिछले एक हफ्ते में शहर में इस मामले को लेकर पूरा हंगामा हुआ। पीए मामले को लेकर विपक्ष लगातार हावी था। यहां तक कि आम आदमी पार्टी का हिसार से नेता यहां काफी बड़बोले बयान दिए थे। वहीं अब सुभाष टोपी का जो बयान सामने आया है, उससे एक नया सवाल पैदा हो गया है कि आखिर कौन वो राजनीतिक ताकतें हैं, जिनका दबाव सुभाष टोपी पर था।
कौन हैं वो लोग जिन्होंने उसे यह आरोप लगाने के लिए दबाव बनाया। विधायक और उनके पीए के बयान सामने आए थे कि शिकायतकर्ता हंगामे की बजाए लिखित में पुलिस को शिकायत दे, पुलिस कार्रवाई में वे उनके साथ हैं, दूध का दूध पानी का पानी होगा।
एसपी को लिखित में दी शिकायत
आज एसपी को बयान दर्ज करवाने पहुंचे विधायक के पूर्व चालक कुम्हारिया निवासी सुभाष ने लिखित दर्खास्त दी कि उसने पीए राजबीर पर जो आरोप जड़े थे, वे बेबुनियाद हैं। उसने ना तो किसी से सरकारी नौकरी लगवाने के लिए रुपये लिए और न ही किसी को रुपये दिए। सारी कहानी राजनीतिक दबाव के कारण कही गई थी। अब वह पूरे होश हवास में बिना दबाव के यह दर्खास्त दे रहा है। इसलिए उसके बयान दर्ज करवाए जाएं। साथ ही उसने यह भी कहा है कि उसे विधायक से गलत फहमी हो गई थी, जो अब दूर हो गई है। जो पहले दर्खास्त विचाराधीन हैं, उन पर कार्रवाई न की जाए।
क्या हुआ था घटनाक्रम
आपको बता दें कि करीब दो माह पहले सुभाष ने अपने ऊपर जहरीला पदार्थ छिड़क लिया था और उसका सुसाइड नोट वायरल हुआ। जिसमें विधायक के पीए पर उसने नौकरी के नाम पर लाखों रुपये लेने के आरोप जड़े। बाद में वह मुकर गया कि गलती से उसके ऊपर जहरीला पदार्थ गिरा था और सुसाइड नोट बारे पता नहीं।
अब पिछले हफ्ते इसी मामले को लेकर उसने परिजनों व ग्रामीणों के साथ विधायक के घर के बाहर धरना दे दिया, जमकर हंगामा किया। दूसरे दिन पुलिस ने जबरन लोगों को उठाया और पुलिस लाइन ले गई। इसके बाद राजनीति शुरू हुई और विपक्षी दलों के नेता इस लड़ाई में कूद पड़े। एसपी ने मामले की जांच के लिए एसआईटी भी गठित कर दी। 16 सितंबर को महापंचायत होनी थी, उससे पहले ही सुभाष का अब नया बयान सामने आ गया।